पॉल्यूशन से बचने के लिए कौन सा मास्क पहनें, कितने घंट में बदलना चाहिए मास्क? क्या है पहनने का सही तरीका, एक्सपर्ट से जानिए

Right Way To Wear Mask: डॉ. मीरा पाठक ने आगे कहा कि अगर मास्क को समय पर नहीं बदला जाए, तो वह संक्रमण का स्रोत बन सकता है. उन्होंने यह सुझाव दिया कि मास्क को 20 से 40 घंटे के बीच बदलना चाहिए, ताकि संक्रमण से बचा जा सके.

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How To Wear A Mask Correctly: लंबे समय तक मास्क पहनने से कई समस्याएं हो सकती हैं.

Expert Advice On Masks: दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण का लेवल लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है. वायु प्रदूषण से बचने के लिए मास्क का उपयोग बढ़ गया है, लेकिन लंबे समय तक मास्क पहनने से कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इस संबंध में हमने नोएडा स्थित सीएचसी भंगेल की सीनियर मेडिकल ऑफिसर और गाइनेकोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. मीरा पाठक से खास बातचीत की.

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कौन सा मास्क पहनना चाहिए?

डॉ. मीरा पाठक ने कहा कि अगर हम मास्क का उपयोग वायु प्रदूषण से सुरक्षा के लिए कर रहे हैं, तो हमें सही मास्क चुनना चाहिए. एन 95, एन 99 या केएन 99 मास्क जो फिल्टर के साथ होते हैं, वह प्रदूषण से बचाव के लिए सबसे प्रभावी होते हैं. उन्होंने कहा कि सर्जिकल मास्क प्रदूषण से बचने के लिए बेकार साबित होते हैं, क्योंकि ये प्रदूषण के कणों को पूरी तरह से रोकने में सक्षम नहीं होते.

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मास्क पहनने का सही तरीका:

डॉ. पाठक ने आगे बताया कि ज्यादा समय तक मास्क के उपयोग से सांस लेने में परेशानी हो सकती है. उन्होंने कहा कि अगर मास्क बहुत टाइट हो, तो यह सांस लेने में कठिनाई पैदा कर सकता है. खासकर उन लोगों को जो पहले से ही सांस से संबंधित समस्याएं या हृदय रोग से ग्रसित हैं. इसके अलावा, अगर मास्क ज्यादा ढीला है, तो वह हवा को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाता और इससे एक झूठा सुरक्षा अहसास होता है.

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लंबे समय तक मास्क पहनने के नुकसान:

उन्होंने बताया कि अगर आप लंबे समय तक मास्क को पहने रहते हैं तो मास्क के स्ट्रैप के कारण चेहरे पर प्रेशर मार्क्स बन सकते हैं और कानों में इरिटेशन हो सकता है. इसके साथ ही मास्क के लगातार उपयोग से चेहरे पर पसीने और गर्मी की वजह से रैशेज हो सकते हैं, जिसे 'मास्कने' कहा जाता है.

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कितने घंटे के भीतर बदलना चाहिए?

डॉ. मीरा पाठक ने आगे कहा कि अगर मास्क को समय पर नहीं बदला जाए, तो वह संक्रमण का स्रोत बन सकता है. उन्होंने यह सुझाव दिया कि मास्क को 20 से 40 घंटे के बीच बदलना चाहिए, ताकि संक्रमण से बचा जा सके. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि कुछ लोग जिन्हें मानसिक समस्याएं हैं, जिन्हें घबराहट होती है वह मास्क को लगाने के बाद एंजाइटी फील कर सकते हैं. वह क्लॉस्ट्रोफोबिया फील कर सकते हैं.

रुमाल लगाने से नहीं होता बचाव: 

प्रदूषण के दौरान अक्सर लोगों को चेहरे पर रुमाल बांधते हुए देखा जाता है. इस पर डॉ. पाठक ने कहा कि रुमाल बांधने से प्रदूषण से बचाव में कोई खास फर्क नहीं पड़ता. प्रदूषक गैस के रूप में होते हैं, वह रुमाल पहनने के बाद भी शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. वहीं, पार्टिकुलेट मैटर जैसे पीएम 2.5 जो बहुत सूक्ष्म होते हैं, वह भी रुमाल से नहीं रुक सकते. उन्होंने बताया कि पीएम 2.5 का आकार मानव बाल से 30 गुना छोटा होता है और यही प्रदूषक सांस के जरिए से सीधे फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और ब्लड फ्लो में भी समा सकते हैं, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ सकता है.

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पीएम 2.5 के प्रदूषक कण कैंसर भी बना सकता है:

डॉ. मीरा पाठक ने खासतौर से पीएम 2.5 के बारे में चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि ये प्रदूषक कण न केवल फेफड़ों के लिए खतरनाक हैं, बल्कि ये कैंसर और प्री-कैंसरस स्थितियों का कारण भी बन सकते हैं. पीएम 2.5 के बहुत ज्यादा प्रभाव से शरीर में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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