टाइप-5 डायबिटीज क्या है? कुपोषण से होने वाली इस बीमारी से दुनिया भर में 2.5 करोड़ लोग प्रभावित

Type-5 Diabetes: दुनिया भर में जहां एक ओर ब्लड शुगर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं एक कम पहचाने जाने वाले शुगर के प्रकार 'टाइप-5 डायबिटीज' पर भी अब दुनिया का ध्यान जा रहा है. यह बीमारी कुपोषण से जुड़ी होती है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
लगभग 75 साल पहले पहली बार इस बीमारी का जिक्र हुआ था.

Malnutrition-related Diabetes: लगभग 75 साल पहले पहली बार इस बीमारी का जिक्र हुआ था, लेकिन तब इसे ठीक से समझा नहीं गया था. अब हाल ही में थाईलैंड के बैंकॉक में हुई इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (आईडीएफ) की बैठक में इसे औपचारिक रूप से 'टाइप-5 डायबिटीज' नाम दिया गया है. यह बीमारी अक्सर दुबले-पतले और कमजोर युवाओं में पाई जाती है. सबसे पहले इसका ज़िक्र 1955 में जमैका में हुआ था और तब इसे जे-टाइप डायबिटीज कहा गया था. 1960 के दशक में भारत पाकिस्तान और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में कुपोषित लोगों में भी यह बीमारी देखी गई.

1985 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे डायबिटीज की एक अलग किस्म के रूप में मान्यता दी थी, लेकिन 1999 में यह मान्यता वापस ले ली गई, क्योंकि उस समय इसके बारे में पर्याप्त शोध और प्रमाण नहीं थे.

यह भी पढ़ें: शरीर में कोलेजन की कमी होने पर क्या दिक्कतें होती है? नेचुरल तरीके से कैसे बढ़ाएं इसे

Advertisement

टाइप-5 डायबिटीज एक कुपोषण से जुड़ी हुई डायबिटीज की बीमारी है. यह आमतौर पर कमजोर और कुपोषित किशोरों व युवाओं में पाई जाती है, खासकर गरीब और मध्यम आय वाले देशों में. इस बीमारी से दुनिया भर में लगभग 2 से 2.5 करोड़ लोग प्रभावित हैं, जिनमें ज्यादातर लोग एशिया और अफ्रीका में रहते हैं. पहले यह माना जाता था कि यह बीमारी इंसुलिन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया कम होने (इंसुलिन रेजिस्टेंस) के कारण होती है. लेकिन, अब पता चला है कि इन लोगों के शरीर में इंसुलिन बन ही नहीं पाता, जो पहले ध्यान नहीं दिया गया था.

Advertisement

न्यूयॉर्क स्थित 'अल्बर्ट आइंस्टीन कॉलेज ऑफ मेडिसिन' में प्रोफेसर मेरीडिथ हॉकिंस, कहती हैं, "यह खोज हमारे इस बीमारी को समझने के तरीके को पूरी तरह बदल देती है और इसके इलाज को लेकर नया रास्ता दिखाती है.”

Advertisement

2022 में 'डायबिटीज केयर' नामक जर्नल में छपे एक अध्ययन में डॉ. हॉकिंस और उनके सहयोगियों (वेल्लोर के क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज से) ने यह साबित किया कि यह बीमारी टाइप-2 डायबिटीज (जो मोटापे के कारण होती है) और टाइप-1 डायबिटीज (जो एक ऑटोइम्यून बीमारी है) से बिल्कुल अलग है.

Advertisement

यह भी पढ़ें: इन 2 विटामिन की कमी से शरीर में होने लगती है नसों की कमजोरी, कहीं आप तो नहीं जूझ रहे

हालांकि डॉक्टरों को अब भी यह ठीक से समझ नहीं आ पाया है कि टाइप-5 डायबिटीज के मरीजों का इलाज कैसे किया जाए, क्योंकि कई मरीज बीमारी का पता चलने के एक साल के भीतर ही नहीं बच पाते.

हॉकिन्स के अनुसार, इस बीमारी को "पहले ठीक से पहचाना नहीं गया और न ही इसे अच्छे से समझा गया. कुपोषण से होने वाली डायबिटीज टीबी से ज्यादा है और लगभग एचआईवी/एड्स जितनी ही आम है. कोई आधिकारिक नाम न होने के कारण मरीजों की पहचान करने या असरदार इलाज ढूंढने में दिक्कत आ रही थी." इस बीमारी को अच्छे से समझने और इसका इलाज ढूंढने के लिए आईडीएफ ने एक टीम बनाई है.

इस टीम को अगले दो सालों में टाइप 5 डायबिटीज के लिए औपचारिक पहचान और इलाज के नियम बनाने का काम सौंपा गया है. यह टीम बीमारी की पहचान के मापदंड तय करेगी और इसके इलाज के लिए नियम बनाएगी. यह रिसर्च में मदद के लिए एक ग्लोबल रजिस्ट्री भी बनाएगी और दुनिया भर के स्वास्थ्य कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए अध्ययन सामग्री तैयार करेगी.

Watch Video: सांस लेने से परे फेफड़े करते हैं ये अद्भुत काम जो आप नहीं जानते होंगे

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
National Herald Case: राहुल-सोनिया, सैम पित्रोदा, नेशनल हेराल्‍ड का सच क्या? | Metro Nation @ 10