भारत के शहर धीरे-धीरे कोविड-19 महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के कारण हुए लॉकडाउन से बाहर निकल रहे हैं और टीकाकरण की गति को भी धीरे-धीरे बढ़ाया जा रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, वायरस के अधिक संक्रमणीय रूप सामने आए हैं, डेल्टा वेरिएंट सबसे अधिक चिंताजनक है. यह पहली बार भारत में पिछले अक्टूबर में रिपोर्ट किया गया था और तब से 100 से अधिक देशों में फैल गया है.
नई चर्चा में, भारत में कोविड के नए वेरिएंट कप्पा के दो मामले सामने आए हैं. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में 109 सैंम्पल की जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान इसका पता चला था. कोविड के कप्पा वेरिएंट से पॉजिटिव हुए रोगियों में से एक, यूपी के संत कबीर नगर के 66 वर्षीय व्यक्ति की मृत्यु हो गई है, जिससे लोगों में दहशत पैदा हो गई है.
कप्पा वेरिएंट क्या है और यह कितना खतरनाक है?
कोविड का कप्पा वेरिएंट म्यूटेशन के बी.1.617 कॉन्टस्टेलेशन से जुड़ा हुआ है. यह पहली बार भारत में पाया गया था, जिसने डेल्टा वेरिएंट को जन्म दिया है, जिसे पहली बार अक्टूबर 2020 में देश में रिपोर्ट किया गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मई के अंत में इस वेरिएंट को कप्पा का नाम दिया. इस वेरिएंट में एक दर्जन से ज्यादा म्यूटेशन पाए गए हैं, जिनमें से दो की पहचान की गई है. E484Q और L452R. इसी वजह से कप्पा को "डबल म्यूटेंट" भी कहा जाता है.
हेल्थ एक्सपर्ट L452R म्यूटेशन की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं, क्योंकि यह वायरस को शरीर के नेचुरल इम्यून रिएक्शन से बचने में मदद करता है.
कोरोनोवायरस जीनोम का एक विश्वव्यापी डेटाबेस रखने वाले म्यूनिख स्थित GISAID के अनुसार, भारत ने अब तक 3,693 कप्पा सैम्पल जमा किए हैं. यह दुनिया में सबसे बड़ी संख्या है. पिछले 4 हफ्तों में, भारत में इस वेरिएंट के 2 सैंम्पल लिए गए थे.
कप्पा के बारे में क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन?
कप्पा वैरिएंट को डब्ल्यूएचओ वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट (VOI) के रूप में चित्रित करता है.
यह SARS-CoV-2 वैरिएंट है. डब्ल्यूएचओ ने वर्तमान में कोविड के इस प्रकार को चिंता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया है.
वेरिएंट का नामकरण कैसे किया जाता है?
वेरिएंट का नाम देने के लिए, डब्ल्यूएचओ ने VOI और VOC के लिए ईजी-टू-प्रोनाउंस और नॉन-स्टिगमाटाइजिंग लेबल पर विचार करने के लिए वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के एक समूह को बुलाया. इस समूह ने ग्रीक वर्णमाला, यानी अल्फा, बीटा, गामा, डेल्टा, कप्पा, आदि के अक्षरों का उपयोग करने की सिफारिश की, जो गैर-वैज्ञानिक समुदाय के लोगों की मदद करेंगे.
वेरिएंट के खिलाफ टीके कितने प्रभावी हैं?
हाल के एक अध्ययन में, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि कोवैक्सिन कप्पा के साथ-साथ कोरोनावायरस के बीटा और डेल्टा वेरिएंट के लिए भी प्रभावी था. कुछ दिनों पहले, यूनाइटेड स्टेट्स के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) ने भी कहा था कि कोवैक्सिन ने कोरोनावायरस के अल्फा और डेल्टा दोनों वेरिएंट को प्रभावी रूप से बेअसर कर दिया है.
डेल्टा और कप्पा के बीच अंतर | Difference Between Delta And Kappa
ये दोनों वेरिएंट B.1.617 के एक ही वंश से संबंधित हैं. भारत में पहली बार अक्टूबर 2020 में पाए गए हैं. डेल्टा दुनिया भर में एक खतरे के रूप में उभरा है क्योंकि दुनिया में वर्तमान में ज्यादातर कोविड-19 मामले डेल्टा वेरिएंट के हैं. भारत में महामारी की दूसरी लहर भी डेल्टा वेरिएंट के कारण थी. डेल्टा प्लस नामक डेल्टा का एक और म्यूटेंट अब भारत सहित कई देशों में उभरा है.
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