क्या है माइक्रो-रिटायरमेंट? क्यों जेन- Z के लिए है फायदेमंद? जानें इससे होने वाले फायदे

Benefits Of Micro Retirement : माइक्रो-रिटायरमेंट जेन- Z के लिए आराम करने का एक बेहतरीन तरीका हो सकता है ताकि वे अपने मेंटल हेल्थ का ध्यान रखें और साथ ही अपने करियर को भी कंटिन्यू आगे बढ़ाते रहें.

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जानिए क्या है माइक्रो-रिटायरमेंट.

Benefits Of Micro Retirement : आज के तेजी से बदलते वर्ल्ड में हर किसी के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब वह अपनी डेली रुटीन से कुछ समय के लिए बाहर निकलने का सोचता है. जब हम रिटायरमेंट के बारे में सोचते हैं तो हमारी मेंटल कंडीशन एक पूरी तरह से रिलैक्स करने और अपने काम से दूर जाने की होती है. लेकिन एक नया थॉट सामने आया है जो हमें पूर्ण रिटायरमेंट से पहले ही थोड़े समय का ब्रेक लेने की पर्मीशन देता है. इसे माइक्रो-रिटायरमेंट कहा जाता है. यह थॉट खासतौर पर जेन-Z के लिए एक नया और जरूरी उपाय साबित हो रहा है, क्योंकि वे अपने मेंटल हेल्थ और वर्किंग स्टाइल को इंपॉर्टेंस देते हैं. इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि माइक्रो-रिटायरमेंट क्या है और क्यों यह जेन-Z के लिए एक बेहतरीन ऑप्शन बन रहा है.

माइक्रो-रिटायरमेंट क्या है?

माइक्रो-रिटायरमेंट एक ऐसी प्रोसेस है, जिसमें आप अपने नियमित काम से कुछ समय के लिए ब्रेक लेते हैं, जो कुछ हफ्तों से लेकर महीनों तक हो सकता है. इस ब्रेक का ऑब्जेक्टिव फिजिकल और मेंटल पीस पाना है. यह पूर्ण रिटायरमेंट का ऑप्शन नहीं है, बल्कि इसमें आप अपने जीवन के छोटे-छोटे ऐम, ट्रैवल, शौक और पर्सनल डेवलपमेंट पर ध्यान फोकस करते हैं. माइक्रो-रिटायरमेंट से आप बिना अपने करियर को छोड़ें, शांति और रिफ्रेशमेंट का अनुभव कर सकते हैं.

जेनरेशन Z क्यों अपनाती है माइक्रो-रिटायरमेंट?

जेन- Z को अपनी मेंटल स्टेट और सेल्फ केयर पर विशेष ध्यान देने की आदत है. यह पीढ़ी जानती है कि बर्नआउट और मेंटल स्ट्रेस को नजरअंदाज करना हानिकारक हो सकता है. आजकल के वर्किंग प्लेस में कई लोग खुद को थका हुआ और मेंटली अलग-थलग महसूस करते हैं. दुनिया भर में लगभग 85% लोग काम के प्रेशर से थके हुए हैं और ऐसे में माइक्रो-रिटायरमेंट एक प्रभावी उपाय बनकर उभरा है. यह पीढ़ी अपने मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता देती है और जानती है कि कभी-कभी एक छोटा सा ब्रेक उन्हें बेहतर तरीके से काम करने के लिए तैयार कर सकता है. 

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माइक्रो रिटायरमेंट के फायदे (Benefits Of Micro Retirement)

1. मेंटल क्लियरिटी: लगातार काम करने से दिमाग थक सकता है. माइक्रो-रिटायरमेंट एक प्रकार से दिमाग को रीसेट करने का मौका देता है, जिससे आप तरोताज़ा होकर वापस लौट सकते हैं और अपने काम पर पूरी तवज्जो दे सकते हैं. यह मेंटल क्लियरिटी और एनर्जी को फिर से हासिल करने में मदद करता है.
   
2. अपने जुनून का पीछा करें: क्या आपका कोई ऐसा शौक है जिसे आप समय की कमी के कारण छोड़ चुके हैं? माइक्रो-रिटायरमेंट आपके लिए एक बेहतरीन मौका हो सकता है जिसमें आप अपने शौक को न सिर्फ फिर से अपनाएं बल्कि उसमें पूरी तरह से डूब सकें. यह आपके अंदर के क्रिएटिव साइड को उभारने का एक तरीका बन सकता है.
   
3. प्रोफेशन और लाइफ के बीच बैलेंस: अगर आप लगातार काम में ही व्यस्त रहते हैं, तो आपको लगता है कि आपके जीवन में कोई बैलेंस नहीं है. माइक्रो-रिटायरमेंट आपको प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच एक बैलेंस बनाने का मौका देता है, जिससे आप अपने जीवन का पूरा आनंद ले सकते हैं.

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माइक्रो-रिटायरमेंट से जुड़े कुछ पहलू

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हालांकि, माइक्रो-रिटायरमेंट के फायदे क्लीयर हैं, इसके साथ कुछ पहलू भी हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है-

1. फाइनेंशियल प्लानिंग: जब आप लंबी छुट्टी लेते हैं, तो आपके पास काम से जुड़ी इनकम नहीं होती. इसका मतलब है कि आपको अपने बजट पर कड़ी नजर रखनी होगी और यह ध्यान रखना होगा कि आपके पास पर्याप्त पैसे हों ताकि आप बिना किसी स्ट्रेस के आराम कर सकें.

2. करियर पर असर: लंबे समय तक छुट्टी लेने से कभी-कभी आपके सहकर्मियों से दूरी बढ़ सकती है और आपके करियर की गति धीमी पड़ सकती है. इसका असर आपके काम के एक्सपीरिएंस और प्रोफेशनल डेवलपमेंट पर भी हो सकता है, इसलिए यह निर्णय सोच-समझकर लेना जरूरी है.

3. लॉजिस्टिक्स: काम के माहौल और दबाव के हिसाब से, लंबी छुट्टियों का को-ऑर्डिनेशन करना हमेशा आसान नहीं होता है. खासकर अगर आपकी भूमिका टीम-निर्भर है या हाई प्रेशर वाली स्टेट में है, तो छुट्टी का को-ऑर्डिनेशन चैलेंजिंग हो सकता है.

क्या माइक्रो-रिटायरमेंट आपके लिए सूटेबल है?

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भारत में लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ने के साथ-साथ प्रोफेशनल लाइफ के चैलेंज भी बढ़ रहे हैं. एक तरफ जहां भागदौड़ और लगातार स्ट्रेसफुल लाइफ स्टाइल ने लोगों को मेंटल और फिजिकल रूप से थका दिया है, वहीं दूसरी ओर माइक्रो-रिटायरमेंट एक कारगर तरीका हो सकता है. यह थॉट सिर्फ वर्किंग प्रोफेशनल्स के लिए नहीं, बल्कि हर व्यक्ति के लिए अपने जीवन को बैलेंस और खुशहाल बनाने का एक तरीका हो सकता है. माइक्रो-रिटायरमेंट से जुड़े फायदे और चुनौतियों को समझते हुए, यह जरूरी है कि आप इसे अपनी पर्सनल सरकमस्टेंसेस के हिसाब से अपनाएं. अगर आप सोच-समझ कर सही योजना बनाते हैं, तो यह आपके जीवन को और ज्यादा बैलेंस, हेल्दी और प्रोडक्टिव बना सकता है. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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