कोरोना की दूसरी लहर ने भारत में खूब तबाही मचाई और इससे हजारों लोगों की जानें गईं. हालांकि अब पहले के मुकाबले काफी कम केस आ रहे हैं. दुनियाभर में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने का एक ही तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके खिलाफ इम्यून मजबूत किया जाए जो वैक्सीनेशन से ही संभव है. ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है. आपने इम्यूनिटी के बारे में सुना है लेकिन क्या आप हर्ड इम्यूनिटी के बारे में जानते हैं?
क्या है हर्ड इम्यूनिटी?
जब किसी देश या शहर की आबादी का एक बड़ा हिस्सा संक्रमण से इम्यून हो जाता है तो इससे उन लोगों को भी परोक्ष (इनडायरेक्ट) तरीके सुरक्षा मिलती है, जो अभी तक संक्रमण से इम्यून नहीं हुए हैं. मसलन जब किसी आबादी का 70-80 फीसदी हिस्सा कोविड-19 संक्रमण से इम्यून यानी सुरक्षित हो जाता है तो हर 5 में से 4 लोग इस वायरस का सामना करने के बावजूद भी संक्रमण से बच जाते हैं.
कैसे मिलेगी हर्ड इम्यूनिटी?
जैसा कि पहले आपको बताया कि हर्ड इम्यूनिटी का मतलब है कि ज्यादातर आबादी में किसी वायरस के संक्रमण के प्रति इम्युनिटी डेवलप हो जाना. इसके दो ही तरीके हैं. या फिर आबादी का एक बड़ा वर्ग जो वायरस से संक्रमित हो होकर उसे हरा चुका है या फिर वैक्सीनेशन. इन दो तरीकों से ज्यादातर लोगों में इम्यूनिटी डेवलप की जा सकती है और हर्ड इम्युनिटी को पाया जा सकता है.
भारत कब पहुंचेगा हर्ड इम्यूनिटी की स्टेट में?
भारत में वैक्सीनेशन तेजी से किया जा रहा है. covid19india.org से मिले आंकड़ों के मुताबिक अब तक 23.5 फीसदी आबादी को कम से कम पहली डोज लग चुकी है और 5 फीसदी से ज्यादा लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में भारत में हर्ड इम्युनिटी डिवेलप हो जाएगी क्योंकि ज्यादातर आबादी को वैक्सीनेशन की डोज मिल चुकी होगी.
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