Chandipura Virus: चांदीपुरा वायरस क्या है और किन्हें है सबसे ज्यादा खतरा? जानिए लक्षण और बचाव के उपाय

समय से इलाज नहीं मिलने पर इस वायरस से संक्रमित मरीज की मौत भी हो सकती है इसीलिए शुरुआती दौर में ही लक्षण पहचानना और बचाव के उपाय करना बेहद जरूरी है.

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Chandipura Virus: गुजरात के कई जिलों में चांदीपुरा वायरस का कहर फैला हुआ है. राज्य में इस वायरस की वजह से अब तक 32 जानें जा चुकी वहीं संक्रमण की संख्या 84 पहुंच गई है. गुजरात के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से भी चांदीपुरा वायरस के केस सामने आ रहे हैं. यह वायरस मुख्य तौर पर बच्चों को अपनी चपेट में ले रहा है. संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर जांच के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को सैंपल भेजा जाता है. समय से इलाज नहीं मिलने पर इस वायरस से संक्रमित मरीज की मौत भी हो सकती है इसीलिए शुरुआती दौर में ही लक्षण पहचानना और बचाव के उपाय करना बेहद जरूरी है.

क्या है चांदीपुरा वायरस? (What is Chandipura virus?)

चांदीपुरा वायरस एक आरएनए वायरस है जो रबडोविरिडे फैमिली का हिस्सा है. इसी फैमिली के लाइसावायरस से रेबीज बीमारी भी होती है. चांदीपुरा वायरस मच्छरों के अलावा कीट-पतंगों के माध्यम से भी इंसानों में फैलता है.

एडीज एजिप्टी मच्छर के अलावा सैंड फ्लाइज और फ्लेबोटोमस पपाटासी भी चांदीपुरा वायरस के वाहक माने जाते हैं. चांदीपुरा वायरस संक्रमित कीट-पतंग या मच्छर के लार ग्रंथि में मौजूद होता है.

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संक्रमित कीट-पतंग या मच्छर के काटने पर लार में मौजूद वायरस इंसान के शरीर में प्रवेश कर व्यक्ति को संक्रमित कर देता है. यह वायरस सीधे व्यक्ति के नर्वस सिस्टम पर अटैक करता है जिससे संक्रमित व्यक्ति को एन्सेफलाइटिस यानी दिमाग के टिशू में सूजन भी हो सकता है.

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चांदीपुरा वायरस संक्रमण के लक्षण (Symptoms of Chandipura virus infection)

चांदीपुरा वायरस से संक्रमित व्यक्ति में फ्लू जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. संक्रमित व्यक्ति को 104 डिग्री इतना तेज बुखार हो सकता है. चांदीपुरा वायरस के चपेट में आने वाले व्यक्ति में सिर दर्द, बदन दर्द और डायरिया जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं.

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इसके अलावा ब्लीडिंग, एनीमिया और मरीज को सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्या भी हो सकती है. लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर को दिखा कर व्यक्ति को गंभीर संक्रमण और मौत के खतरे से बचाया जा सकता है.

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किसे है ज्यादा खतरा? (Who is at greater risk? )

चांदीपुरा वायरस सबसे ज्यादा बच्चों को प्रभावित करता है. यह खतरनाक वायरस 2 महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चे को अपनी चपेट में ले सकता है. चांदीपुरा वायरस से एन्सेफलाइटिस यानी दिमाग के टिशू में सूजन भी हो सकती है. मस्तिष्क के टिशू में सूजन आने के बाद संक्रमण और तेजी से बढ़ता है. ऐसे केस में मरीज को अस्पताल में भर्ती करने के 24 या 48 घंटे बाद जान भी जा सकती है.

चांदीपुरा वायरस से बचने के उपाय (Ways to Prevent Chandipura Virus Infection)

  • चांदीपुरा वायरस से बचना चाहते हैं तो आसपास सफाई रखें.
  • बच्चों को कीट-पतंग या मच्छर से बचाने के लिए फुल स्लीव्स के कपड़े ही पहनाएं.
  • पालतू जानवर और पंछियों के पानी के बर्तन को ढक कर रखें.
  • कीट-पतंगों को घर के अंदर आने से रोकने के लिए खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें.
     

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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