दक्षिण भारतीय फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत की हार्ट से जुड़ी बीमारी का डॉक्टरों ने दिल्ली में सक्सेसफुली इजाल कर लिया है. एक्सपर्ट का मानना है उनको हृदय की मुख्य धमनी से जुड़ी जिस प्रकार की बीमारी हुई थी, उस बीमारी से ग्रसित 10 में से 8 लोग अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं. उन्हें हृदय की मुख्य रक्त वाहिका महाधमनी में सूजन की बीमारी के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस बीमारी एओर्टिक एन्यूरिज्म कहते हैं. जिसे महाधमनी धमनीविस्फार भी कहते हैं.
क्या है एओर्टिक एन्यूरिज्म?
महाधमनी धमनीविस्फार (एओर्टिक एन्यूरिज्म) इंसान के हृदय की एक खतरनाक स्थिति है. इसमें हमारे शरीर की सबसे बड़ी धमनी, महाधमनी, अपने सामान्य आकार से 1.5 गुना अधिक बढ़ जाती है. दिल्ली के सी.के. बिड़ला अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. संजीव कुमार गुप्ता ने इस बीमारी पर बात करते हुए बताया, " आमतौर पर इसमें कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन यदि यह फट जाता है या कट जाता है, तो इससे सीने, पेट या पीठ में गंभीर दर्द हो सकता है और जीवन के लिए खतरा पैदा करने वाला रक्तस्राव हो सकता है. जोखिम कारकों में धूम्रपान, ज्यादा शराब का सेवन, हाई बीपी और ज्यादा उम्र शामिल है."
महाधमनी धमनीविस्फार(एओर्टिक एन्यूरिज्म) का इलाज सर्जरी से ही किया जाता है. यह खुली सर्जरी या न्यूनतम आक्रामक अंतर्गर्भाशयी धमनीविस्फार मरम्मत यानी इनवैसिव एंडोवैस्कुलर एन्यूरिज्म रिपेयर (ईवीएआर) के द्वारा किया जाता है. बेंगलुरु के एस्टर आर.वी. अस्पताल के सीनियर डॉ. कृष्ण चैतन्य ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अधिकांश धमनी विस्फार तब तक लक्षण उत्पन्न नहीं करते, जब तक कि यह फट न जाए.
डॉ. चैतन्य ने बताया, "केवल कुछ भाग्यशाली व्यक्तियों में ही सीटी स्कैन या अल्ट्रासाउंड जांच के दौरान इस बीमारी पता चल पाता है. कुछ अध्ययनों का अनुमान है कि 65 वर्ष से अधिक आयु के लगभग 12 प्रतिशत वयस्क महाधमनी धमनीविस्फार से पीड़ित हैं, जबकि युवा व्यक्तियों में इसका प्रतिशत कम देखा जाता है. अचानक मृत्यु के कई मामलों को गलती से बड़े पैमाने पर दिल का दौरा या उम्र बढ़ने के रूप में चिह्नित किया जाता है, जबकि वास्तविक कारण कभी पता नहीं चल पाता है."
उन्होंने आगे कहा, "ऐसा कहा जाता है कि फटे हुए महाधमनी धमनीविस्फार वाले 10 में से आठ व्यक्ति जीवित अस्पताल नहीं पहुंच पाते. वर्तमान में, सक्रिय महाधमनी धमनीविस्फार जांच ही 'जोखिम ग्रस्त' लोगों में इस बीमारी का पता लगाने का एकमात्र तरीका है."
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)