बदलते मौसम में शरीर पर खुजली और लाल चकत्तों से हैं परेशान? ये देसी नुस्खे तुरंत देंगे आराम

सामान्य भाषा में पित्ती और आयुर्वेद में इसे शीतपित्त कहा जाता है. आयुर्वेद में पित्ती होने के पीछे रक्त की अशुद्धि और शरीर में पित्त दोष का असंतुलन है. जब शरीर में दोनों चीजें बढ़ जाती हैं, तब मौसम बदलते समय या किसी खास परिस्थिति में पित्ती की समस्या परेशान कर सकती है, जैसे ठंडी हवा के संपर्क में आना, ज्यादा तैलीय या मसालेदार खाना खाना, या फिर किसी तरह की एलर्जी होना.

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पित्ती अगर कई दिनों तक परेशान करती है, तो डॉक्टरी भाषा में इसे क्रॉनिक कहते हैं.

Pitti ke lakshan : मौसम के बदलने पर किसी भी तरह की एलर्जी का होना आम बात है, लेकिन कुछ लोगों को मौसम बदलते ही शरीर पर लाल चकत्ते, खुजली और जलन महसूस होने लगती है. शरीर पर निशान बनने लगते हैं. ये पित्ती होने के लक्षण होते हैं. कई बार पित्ती कुछ घंटों में अपने आप चली जाती है, लेकिन कुछ लोगों को ये कई दिनों तक परेशान करती है.आयुर्वेद में पित्ती से राहत पाने के लिए घरेलू समाधान बताए गए हैं, जो मरीज को काफी हद तक मदद पहुंचा सकते हैं.

पित्ती क्यों होती है

सामान्य भाषा में पित्ती और आयुर्वेद में इसे शीतपित्त कहा जाता है. आयुर्वेद में पित्ती होने के पीछे रक्त की अशुद्धि और शरीर में पित्त दोष का असंतुलन है. जब शरीर में दोनों चीजें बढ़ जाती हैं, तब मौसम बदलते समय या किसी खास परिस्थिति में पित्ती की समस्या परेशान कर सकती है, जैसे ठंडी हवा के संपर्क में आना, ज्यादा तैलीय या मसालेदार खाना खाना, या फिर किसी तरह की एलर्जी होना.

पित्ती अगर कई दिनों तक परेशान करती है, तो डॉक्टरी भाषा में इसे क्रॉनिक कहते हैं. इस स्थिति में पूरा शरीर पित्ती से भर जाता है और खुजली और सूजन शरीर को परेशान करने लगती है. ऐसी स्थिति में डॉक्टरी परामर्श से ही कंट्रोल पाया जा सकता है, लेकिन अगर किसी को पित्ती की परेशानी है, तो कुछ परहेज, आहार में सुधार और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के सेवन से उसे कम किया जा सकता है.

पित्ती से कैसे पाएं राहत

पित्ती की शुरुआती परेशानी में राहत पाने के लिए हरिद्रा खंड, गुडूची घनवटी, नीम घनवटी और आंवला चूर्ण का सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर के परामर्श लेकर किया जा सकता है. ये जड़ी बूटियां पित्त को शांत करने में मदद करती हैं, एलर्जी की संभावना कम होती है, रक्त शुद्ध होता है और शरीर में विटामिन सी की भरपूर मात्रा होने से सूजन में कमी होती है. ये सभी जड़ी बूटियां पित्ती से राहत देने में मदद करेंगी.

इसके साथ में ही पित्ती में गिलोय का जूस, नीम के पत्ते का पानी और हरे धनिए का पानी भी लाभकारी होता है. पित्ती की शिकायत होने पर आहार में परिवर्तन करना जरूरी है. पित्ती के समय ज्यादा ठंडा खाना या पीना न लें. दूध और दुग्ध उत्पाद से परहेज करें. मछली और अन्य मांसाहारी पदार्थ भी पित्ती में नुकसानदेह होते हैं. इसके अलावा, चीनी और मसालेदार, नमकीन, और खट्टे खाद्य पदार्थ भी न लें. ये सभी पदार्थ पित्ती को और बढ़ा सकते हैं.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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