इस आसान इलाज से रोक सकते हैं पेट के 75 प्रतिशत कैंसर के मामले, डॉक्टरों का दावा

H. pylori (हेलिकोबैक्टर पाइलोरी) एक तरह का बैक्टीरिया है जो पेट में लंबे समय तक रहकर संक्रमण फैलाता है. यह पेट के कैंसर का सबसे बड़ा कारण माना गया है. इसका इलाज एंटीबायोटिक्स और कुछ खास एसिड घटाने वाली दवाओं (प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स) से किया जा सकता है.

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क्रोनिक एच पाइलोरी संक्रमण गैस्ट्रिक कैंसर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है.

एक नए अध्ययन में सामने आया है कि अगर एच पाइलोरी (H. pylori) नाम के संक्रमण की सही समय पर जांच और इलाज किया जाए, तो पेट के 75 प्रतिशत कैंसर के मामलों को रोका जा सकता है. नेचर मेडिसिन में प्रकाशित एक नए अध्ययन में 50 साल से कम आयु के लोगों में पेट के कैंसर की बढ़ती चिंता के बारे में बताया गया, जिसमें भविष्य के ज्यादातर मामले रोकथाम योग्य संक्रमण हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (एच पाइलोरी) से जुड़े हैं. क्रोनिक एच पाइलोरी संक्रमण गैस्ट्रिक कैंसर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है और इसका इलाज एंटीबायोटिक्स और प्रोटॉन पंप इनहिबिटर का उपयोग करके किया जा सकता है.

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क्या है एच पाइलोरी इंफेक्शन?

H. pylori (हेलिकोबैक्टर पाइलोरी) एक तरह का बैक्टीरिया है जो पेट में लंबे समय तक रहकर संक्रमण फैलाता है. यह पेट के कैंसर का सबसे बड़ा कारण माना गया है. इसका इलाज एंटीबायोटिक्स और कुछ खास एसिड घटाने वाली दवाओं (प्रोटॉन पंप इनहिबिटर्स) से किया जा सकता है.

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स्टडी में क्या पाया गया?

यह स्टडी मशहूर मेडिकल जर्नल नेचर मेडिसिन में छपी है. रिसर्च में बताया गया कि अगर अभी की रोकथाम की रणनीति नहीं बदली, तो 2008 से 2017 के बीच जन्मे लोगों में दुनिया भर में 1.56 करोड़ नए पेट के कैंसर के मामले आ सकते हैं. इनमें से करीब 76 प्रतिशत (लगभग तीन चौथाई) मामलों की वजह सिर्फ (एच पाइलोरी) संक्रमण होगी, जिसे समय रहते रोका जा सकता है.

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एशिया सबसे ज्यादा प्रभावित

रिसर्च के मुताबिक, एशिया में सबसे ज्यादा – करीब 1.06 करोड़ केस होंगे, फिर अमेरिका और अफ्रीका में. ये अनुमान बड़े पैमाने पर आंकड़ों और भविष्यवाणियों (GLOBOCAN 2022 और UN रिपोर्ट्स) के आधार पर लगाए गए हैं.

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समाधान क्या है?

  • अगर एच पाइलोरी की 100 प्रतिशत असरदार जांच और इलाज की व्यवस्था की जाए, तो पेट का कैंसर 75 प्रतिशत तक घट सकता है.
  • अगर जांच और इलाज 80–90 प्रतिशत भी कारगर हो, तब भी 60–68 प्रतिशत मामलों को रोका जा सकता है.
  • ये प्रोग्राम सस्ते और आसान हैं, यहां तक कि गरीब देशों में भी इन्हें लागू करना मुमकिन है, जैसे HPV या हेपेटाइटिस B के टीकाकरण अभियान.

अध्ययन की सिफारिशें

सरकारों और हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन्स को चाहिए कि बड़ी आबादी के लिए स्क्रीनिंग और इलाज की व्यवस्था करें. साथ ही, H. pylori का टीका बनाना भी जरूरी है.

हालांकि कुछ गरीब देशों में डेटा की कमी और संक्रमण दर को लेकर कुछ अनुमान लगाए गए हैं, लेकिन फिर भी यह अध्ययन साफतौर से कहता है कि अगर सही कदम उठाए जाएं, तो पेट के कैंसर का बड़ा हिस्सा रोका जा सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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