अब 6 महीने में होगा टीबी का सफल इलाज, केंद्र सरकार ने दी नई दवा को मंजूरी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने टीबी (एमडीआर-टीबी) को अपने लक्ष्य के मुताबिक देश से अगले साल तक खत्म करने के लिए कम समय में ज्यादा प्रभावशाली उपचार को मंजूरी दी.

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टीबी के जल्दी इलाज के लिए नई दवा को मिली मंजूरी.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को टीबी (एमडीआर-टीबी) को अपने लक्ष्य के मुताबिक देश से अगले साल तक खत्म करने के लिए कम समय में ज्यादा प्रभावशाली उपचार को मंजूरी दी. पूरे देश में करीब 75000 एमडीआर-टीबी के मरीज इस कम समय वाले इलाज का लाभ पाने के योग्य होंगे. यह नया इलाज टीबी रोग से पीड़ित इन मरीजों के लिए कम खर्च वाला भी होगा.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2025 तक टीबी को समाप्त करने के दृष्टिकोण के हिस्से के रूप में ‘बीपीएएलएम' योजना को मंजूरी दी है, जो संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के तहत इस बीमारी को खत्म करने के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले है.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के टीबी विभाग द्वारा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से बीपीएएलएम व्यवस्था की राष्ट्रव्यापी योजना तैयार की गई. इसमें बेडाक्विलाइन और लाइनज़ोलिड (मोक्सीफ्लोक्सासिन के साथ/बिना) के कांबिनेशन में एक नई एंटी-टीबी दवा ‘प्रीटोमैनिड' का निर्माण किया गया है. प्रीटोमैनिड को पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) द्वारा भारत में उपयोग के लिए लाइसेंस दिया गया है.

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भारत सरकार के अनुसार, बेडाक्विलाइन, प्रीटोमैनिड, लाइनज़ोलिड और मोक्सीफ्लोक्सासिन के मिश्रण से पिछली एमडीआर-टीबी उपचार प्रक्रिया की तुलना में सुरक्षित, अधिक प्रभावी और त्वरित विकल्प साबित हुआ है. बता दें, एक तरफ जहां पारंपरिक एमडीआर-टीबी दवाएं 20 महीने तक चलती हैं और इनके दुष्प्रभाव भी होते हैं, वहीं ‘बीपीएएलएम' दवा उच्च उपचार सफलता दर के साथ केवल छह महीने में इस प्रकार की टीबी को ठीक कर सकती है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार इस दवा की प्रभावशीलता पर विशेषज्ञों द्वारा साक्ष्यों की गहन समीक्षा के माध्यम इसे लागू किया गया है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के माध्यम से एक स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी मूल्यांकन भी करवाया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह एमडीआर-टीबी उपचार विकल्प सुरक्षित और लागत प्रभावी है. राष्ट्रीय ट्यूबरक्लोसिस उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) का लक्ष्य 2025 तक भारत में टीबी के बोझ को रणनीतिक रूप से कम करना है.
 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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