Stem Cell Treatment: दिल की बीमारियां आज के समय में सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक हैं. खासकर हार्ट अटैक के बाद मरीजों को हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है, जो जानलेवा भी हो सकता है. लेकिन, हाल ही में प्रकाशित एक क्लिनिकल स्टडी में यह दावा किया गया है कि अगर हार्ट अटैक के तुरंत बाद मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी दी जाए, तो हार्ट फेलियर का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है.
हार्ट अटैक के बाद क्यों बढ़ता है हार्ट फेलियर का खतरा?
जब किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक होता है, तो उसकी हार्ट की मांसपेशियों को नुकसान पहुंचता है. इससे दिल की खून पंप करने की क्षमता कमजोर हो जाती है. यही स्थिति आगे चलकर एक्यूट हार्ट फेलियर या क्रॉनिक हार्ट फेलियर में बदल सकती है.
हार्ट फेलियर के लक्षण क्या होते हैं?
- सांस लेने में तकलीफ
- थकान और कमजोरी
- पैरों और टखनों में सूजन
- दिल की धड़कनों का अनियमित होना
स्टेम सेल थेरेपी क्या है? (What is Stem Cell Therapy?)
स्टेम सेल थेरेपी एक मॉर्डन मेडिकल सिस्टम है जिसमें शरीर की नेचुरल रिबिल्डिंग कैपेसिटी को बढ़ाया जाता है. इसमें स्टेम सेल्स को सीधे प्रभावित हिस्से में पहुंचाया जाता है ताकि वे क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत कर सकें. इस स्टडी में जिस तकनीक का इस्तेमाल हुआ उसे इंट्राकोरोनरी इन्फ्यूजन कहा जाता है, जिसमें स्टेम सेल्स को सीधे कोरोनरी आर्टरी में डाला गया.
स्टडी में क्या पाया गया?
यह क्लिनिकल ट्रायल बीएमजे में प्रकाशित हुआ है. इसमें यूके की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं सहित एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने हिस्सा लिया.
मुख्य बातें:
- स्टडी में ईरान के तीन टीचिंग अस्पतालों के 396 मरीजों को शामिल किया गया.
- सभी मरीजों को पहला हार्ट अटैक (मायोकार्डियल इन्फार्क्शन) हुआ था और पहले कोई दिल की बीमारी नहीं थी.
- इनमें से 136 मरीजों को स्टेम सेल थेरेपी दी गई, जबकि बाकी 260 मरीजों को सिर्फ स्टैंडर्ड केयर दी गई.
स्टेम सेल थेरेपी से क्या फर्क पड़ा?
स्टडी के अनुसार, स्टेम सेल थेरेपी प्राप्त करने वाले मरीजों में हार्ट फेलियर की दर 2.77 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष रही, जबकि कंट्रोल ग्रुप में यह दर 6.48 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष पाई गई. इसी तरह, अस्पताल में हार्ट फेलियर के कारण दोबारा भर्ती होने की दर स्टेम सेल ग्रुप में 0.92 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष थी, जबकि कंट्रोल ग्रुप में यह 4.20 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष रही. कार्डियोवैस्कुलर मौत या हार्ट अटैक/फेलियर के कारण दोबारा भर्ती होने की दर भी स्टेम सेल ग्रुप में कम (2.8 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष) रही, जबकि कंट्रोल ग्रुप में यह दर 7.16 प्रति 100 व्यक्ति वर्ष दर्ज की गई। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि स्टेम सेल थेरेपी हार्ट अटैक के बाद मरीजों में हार्ट फेलियर और उससे जुड़ी जटिलताओं को कम करने में प्रभावी हो सकती है.
क्या यह इलाज सभी के लिए कारगर है?
शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि स्टेम सेल थेरेपी का हार्ट अटैक के लिए अस्पताल में दोबारा भर्ती या कार्डियोवैस्कुलर मौत पर कोई खास सांख्यिकीय असर नहीं पड़ा. लेकिन छह महीने के भीतर हार्ट फंक्शन में काफी सुधार देखा गया.
इसलिए उन्होंने इस तकनीक को एक सहायक प्रक्रिया बताया जो हार्ट फेलियर को रोकने में मदद कर सकती है. साथ ही उन्होंने इस नतीजे की पुष्टि के लिए ज्यादा ट्रायल की जरूरत पर भी जोर दिया.
यह स्टडी दिल की बीमारियों के इलाज में एक नई दिशा की ओर इशारा करती है. हार्ट अटैक के बाद स्टेम सेल थेरेपी से न सिर्फ हार्ट फेलियर का खतरा कम होता है, बल्कि मरीजों की रिकवरी भी बेहतर हो सकती है. हालांकि यह तकनीक अभी व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं है और इसके लिए और शोध की जरूरत है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)














