गर्भवती महिलाओं के लिए कितनी खतरनाक है ये भीषण गर्मी, जानिए डॉक्टर का क्या है सुझाव

Risk on pregnant women of Heatwave: बढ़ते तापमान का असर गर्भ पर भी पड़ रहा है. पानी की कमी, खून का बहाव धीमा होना, समय से पहले बच्चे का जन्म, तेज धूप में काम करने से गर्भपात की संभावना के साथ ही गर्भ में बच्चे की मौत का खतरा बना रहता है.

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Risk on pregnant women of Heatwave: देश की राजधानी दिल्ली में तापमान हर रोज नए रिकॉर्ड बना रहा है. ऐसे में वह लोग जो घरों से बाहर जाने को मजबूर हैं वे लोग क्या करें. मानसून आने में भी अभी देरी है. ऐसे में गर्मी से हो रही मौतें चिंता बढ़ा रही हैं. सामान्य तौर पर इंसान के शरीर का तापमान 98.9 F होता है जो कि बाहरी टेम्प्रेचर के 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है और इंसान 42 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह पाता है. आर्ट साइंस मंत्रालय के मुताबिक साल 2009 से 2022 के बीच 6751 लोग की मौत हो चुकी है जबकि NDMA के मुताबिक यह आंकड़ा 11000 से अधिक है.

बढ़ते तापमान का असर हमारे शरीर पर पड़ता है शुगर, ब्लड प्रेशर का खतरा, चिड़चिड़ाहट, गुस्सा, अवसाद, थकान, शरीर में खिंचाव, गर्भ पर भी इसका असर पड़ रहा है. पानी की कमी, खून का बहाव धीमा, समय से पहले बच्चे का जन्म, तेज धूप में काम करने से गर्भपात भी हो सकता है, गर्भ में बच्चे की मौत का खतरा होता है. ऐसे में तेज धूप से बचाव या लू से खुद को सुरक्षित रखने के लिए क्या करें और क्या न करें. इस पर डॉक्टर सुभाष गिरी (पूर्व डायरेक्टर, LHMC) ने अपने सुझाव दिए हैं.

बढ़ते पारे के बीच गर्भवती महिलाएं कैसे रखें अपना ख्याल (How can pregnant women take care of themselves amid rising temperature?)

डॉक्टर सुभाष गिरी का कहना है कि सबसे पहले हमें गर्मी से अपने आप को बचाना है. गर्मी के पिक टाइम यानी सुबह 12:00 बजे से लेकर शाम 4:00 तक बाहर बिल्कुल ना जाएं. यदि कोई बहुत ज्यादा इमरजेंसी है तो घर से पानी पीकर के जाएं, छाता लेकर के जाएं, अगर संभव हो तो छाए वाले रास्ते को चुने. जल्दी से जल्दी ठंडी जगह पर पहुंचने की कोशिश करें.

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यदि किसी वजह से लू लग जाती है तो सबसे पहले हमें जो लक्षण दिखते हैं उसमें बहुत ज्यादा पसीना आना, चक्कर महसूस होना है. इस वक्त इंसान को ऐसी जगह पर ले जाएं जहां पर वातावरण ठंडा हो, पानी पीने को दें, ज्यादा से ज्यादा लिक्विड फूड दें. फिर भी उसे आराम नहीं मिल रहा है तो तुरंत अस्पताल लेकर जाएं.

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इसके अलावा जब हम बोलते हैं इसे लू लग गई या हीट स्ट्रोक पड़ गया, यह एक सिवीयर कंडीशन है इस टाइम पर बॉडी में इरिवर्सिबल चेंजेज आते हैं. जिसकी वजह से हमारे शरीर का बॉडी क्लॉक है जो की टेंपरेचर को कंट्रोल करता है, फेल हो जाता है और बॉडी का टेंपरेचर बाहर के टेंपरेचर के अनुसार बढ़ाना शुरू हो जाता है. हमारा शरीर बाहर के टेंपरेचर को कुछ हद तक ही टॉलरेट कर पता है.

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लू लग जाए तो क्या करें?

इसके जवाब में डॉक्टर सुभाष गिरी का कहना है कि लू लगने पर अस्पताल जाना है सही इलाज है, नहीं तो यह मौत का एक कारण बन सकता है. लू लगने का मतलब है आदमी के अंदर पानी की कमी होना है, इंसान के शरीर का टेंपरेचर 105 डिग्री के बियोंड चला गया है. अब उसके शरीर से पसीना नहीं निकलेगा, पेशाब नहीं हो होगा. उसे चक्कर आ रहा होगा या वह बेहोश हो रहा है.

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ऐसे में तुरंत एंबुलेंस को कॉल करें और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं. जब तक एंबुलेंस नहीं आती तब तक उसे ठंडा स्थान पर रखा जाए. गीले कपड़े से ढका जाए या ठंडे पानी से नहलाया जाए. यदि किसी को हीट स्ट्रोक लग जाता है तो बहुत ही कम समय होता है कि हम उसको रिवर्स कर पाए. यदि रिवर्सल नहीं कर पाएं तो बॉडी के हर पार्ट फेल होने शुरू हो जाते हैं. सबसे पहले इफेक्ट ब्रेन पर पड़ता है फिर किडनी फेलियर या लीवर फेलियर होता है और हार्ट पर भी इसका इफेक्ट आता है. इसलिए रिवर्सिबल सिचुएशन को इरिवर्सिबल सिचुएशन में चेंज होने से पहले अस्पताल पहुंचना चाहिए.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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