Sickle Cell Awareness Day: रेड ब्लड सेल्स की ये बीमारी बच्चों के लिए हो सकती है जानलेवा, जानिए इसके लक्षण और कारण

World Sickle Cell Awareness Day: सिकल सेल बीमारी एक जिनेटिक बीमारी है जो रेड ब्लड सेल्स को प्रभावित करती है. इसके लक्षण और कॉम्प्लीकेशन हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं.

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Blood Disorders Awareness: इस दिन का उद्देश्य है इस बीमारी के बारे में सही जानकारी देना.

World Sickle Cell Awareness Day 2025: हर साल 19 जून को पूरी दुनिया में वर्ल्ड सिकल सेल अवेयरनेस दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मकसद है लोगों को सिकल सेल बीमारी के बारे में जानकारी देना और उन्हें इसके लक्षणों, इलाज और बचाव के तरीके समझाना. यह बीमारी ब्लड से जुड़ी होती है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है. इस बीमारी में शरीर की रेड ब्लड सेल्स अपने नॉर्मल आकार के बजाय दरांती जैसी टेढ़ी हो जाती हैं, जिससे ब्लड का फ्लो रुक सकता है और शरीर में ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत आती है.

वर्ल्ड सिकल सेल अवेयरनेस दिवस (World Sickle Cell Awareness Day)

सिकल सेल बीमारी क्या है?

नॉर्मल ब्लड सेल्स गोल होती हैं और शरीर में आसानी से बहती हैं, लेकिन सिकल सेल बीमारी में यह कोशिकाएं अर्धचंद्राकार यानी ‘सिकल' के आकार की हो जाती हैं. ऐसी कोशिकाएं एक-दूसरे से चिपकने लगती हैं और छोटी ब्लड वेसल्स में फंस जाती हैं. इससे शरीर के अलग-अलग हिस्सों में ब्लड और ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता. नतीजा ये होता है कि मरीज को बार-बार तेज दर्द, बुखार, सूजन, थकावट और कभी-कभी जानलेवा जटिलताओं का सामना करना पड़ता है.

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इतिहास और शुरुआत

संयुक्त राष्ट्र ने साल 2008 में 19 जून को वर्ल्ड सिकल सेल दिवस के तौर पर मान्यता दी थी. इसके बाद 2009 से यह दिन हर साल मनाया जाता है. इस दिन का उद्देश्य था लोगों को इस बीमारी के बारे में सही जानकारी देना और इसके इलाज को लेकर अवेयरनेस फैलाना. आंकड़ों के मुताबिक, हर साल 5 साल से कम उम्र के हजारों बच्चे इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा देते हैं.

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इस साल की थीम

2025 में इस दिवस की थीम है. “हर देश, हर बूंद - रक्तदान करके एकजुट हो (Every Nation, Every Drop – Unite by Donating Blood)” इसका मतलब साफ है कि अगर लोग नियमित तौर पर ब्लड डोनेट करें तो सिकल सेल से पीड़ित लोगों को काफी राहत मिल सकती है. सही समय पर ब्लड मिल जाने से कई मरीजों की जान बचाई जा सकती है.

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यह दिन क्यों जरूरी है?

यह बीमारी छूने से नहीं फैलती, लेकिन यह जिनेटिक होती है. यानी अगर माता-पिता में से किसी को यह बीमारी है तो बच्चों में इसके आने की संभावना बढ़ जाती है. इसके लिए सबसे जरूरी है समय रहते पहचान और इलाज, अगर शुरुआत में ही पता चल जाए तो सही देखभाल और दवाइयों से मरीज एक नॉर्मल जीवन जी सकता है. इस दिन को मनाने से लोग अवेयर होते हैं और बीमारी को लेकर फैली गलतफहमियों को दूर करने का मौका भी मिलता है.

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सिकल सेल बीमारी के लक्षण (Symptoms of Sickle Cell Disease)

एनीमिया: थकान, कमजोरी, पीली त्वचा और आंखों का पीलापन.
दर्द: हड्डियों, जोड़ों, पेट और छाती में गंभीर दर्द. 
सांस लेने में तकलीफ: ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम होने से सांस लेने में तकलीफ. 
हाथ और पैर में सूजन: ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी के कारण हाथ और पैरों में सूजन.
आंखों से संबंधी समस्याएं: आंखों में ब्लड वेसेल्स का डैमेज होना.
सीवियर चेस्ट सिंड्रोम: सीने में दर्द, बुखार और सांस लेने में परेशानी.

सिकल सेल बीमारी के कारण (Causes of Sickle Cell Disease)

जीन म्यूटेशन: एक जीन म्यूटेशन के कारण रेड ब्लड सेल्स का आकार बदल जाता है, जिससे वे अर्धचंद्राकार हो जाती हैं.जेनेटिक: यह एक जेनेटिक बीमारी है, जो माता-पिता से बच्चों में ट्रांसफर होती है.
जेनेटिक वेरिएशन: रेड ब्लड सेल्स के हीमोग्लोबिन प्रोटीन में एक जेनेटिक वेरिएशन होता है, जो उन्हें सिकल आकार देता है. 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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