Relationship tips by Premanand ji maharaj : हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज की सभा में उनके एक भक्त ने उनसे पूछा कि पत्नी आते ही जीवन में दुख क्यों शुरू हो जाते हैं? इसपर प्रेमानंद महाराज ने हंसते हुए जवाब दिया कि अगर दुख पत्नी के आने से होता तो हम लोगों की तो पत्नी है ही नहीं इस हिसाब से हमारे जीवन में दुख नहीं होने चाहिए थे. उन्होंने कहा, अगर बाबा जी से पूछो तो लगता है गृहस्थी का जीवन बहुत सही है. कम से कम आपको रसोई में बैठ के गरम -गरम रोटी तो खाने को मिलती है. अपने दुख सुख की बात तो आप किसी से कह सकते हो. यहां किससे बात करें और कभी-कभी जीवन में पत्नी का आना जीवन में मंगल विधान बन जाता है और पत्नी जीवन को सुधार देती है. पति-पत्नी का रिश्ता काफी नाजुक होता है. इस रिश्ते को बनाने और आगे बढ़ाने के लिए दोनों ही लोगों को बराबर मेहनत करनी होती है. तो आइए जानते हैं पति-पत्नी के रिश्ते को सुधारने और मजबूत करने के लिए आपको किन बातों का ख्याल रखना चाहिए.
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हर हफ्ते ‘डेट' पर जाएं
हर सप्ताह कुछ घंटे अपने साथी के साथ बिताने की आदत डालें. ये डेट्स महंगी या खास जगहों पर ही हों, ऐसा जरूरी नहीं है. बस पार्क में सैर, घर पर साथ में खाना बनाना या एक छोटी-सी पिकनिक भी काफी है. इस दौरान एक-दूसरे से खुलकर बात करें. जीवन की स्थिति, रिश्ते की दिशा और अनसुलझे मुद्दों पर चर्चा करें.
किसी जरूरी विषय पर चर्चा करने से पहले बस इतना पूछ लें — “क्या अभी बात करने का सही समय है?” इससे यह तय हो जाएगा कि आपका साथी वास्तव में आपकी बात सुनने के लिए तैयार है. अगर वो व्यस्त है, तो ऐसा समय तय करें जब आप दोनों एक-दूसरे पर ध्यान केंद्रित कर सकें. हालांकि, भावनात्मक या मुश्किल समय में अपने साथी को प्राथमिकता देना जरूरी है.
हर रिश्ते में छोटी-छोटी बातें होती हैं, लेकिन उन पर ज्यादा ध्यान देने से तनाव बढ़ता है. जैसा कि कहावत है — “छोटी बातों पर परेशान मत होइए, क्योंकि ये सब छोटी ही बातें हैं.” अपने रिश्ते को सहज और तनावमुक्त बनाए रखने के लिए इस सोच को अपनाएं.
अपने प्यार को जताना उतना ही जरूरी है जितना उसे महसूस करना. कभी-कभी लोग सोचते हैं कि उनका साथी जानता है कि वो उससे प्यार करते हैं, लेकिन शब्दों और व्यवहार से उसे दोहराना रिश्ते में गहराई लाता है. याद रखें — “जो प्यार जताया नहीं गया, वह महसूस भी नहीं होता.”
अगर आपको कुछ कहने की जरूरत है, तो उसे शांत और सम्मानजनक ढंग से कहें. गुस्से या आहत होकर बात करने से केवल दूरी बढ़ती है. अपनी भावनाओं को ईमानदारी और प्यार से व्यक्त करें — यही स्वस्थ और टिकाऊ रिश्ते की असली कुंजी है.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)