How to teach responsibility to a child : बेटे-बेटियां के साथ मां की तरह ही पिता का रिश्ता भी काफी भावनात्मक होता है. हालांकि, बात जब जिम्मेदारी की आती है, तो यह दोनों ही जेंडर के लिए अलग-अलग मानी जाती है. लेकिन अगर आप अपने बच्चों को जिम्मेदार बनाना चाहते हैं, तो आपको समय रहते ऐसा करना होगा. जिम्मेदार बच्चों की परवरिश के दौरान ही उन्हें फैसले लेने और अपने फैसलों पर टिकना सिखाना चाहिए. तो अगर आप भी चाहते हैं कि आपके बच्चे जिम्मेदार बनें, तो इस लेख की मदद से समझें कि बच्चों के जिम्मेदार कैसे बनाया जा सकता है.
जिम्मेदारी लेने के लिए कब बड़े या लायक हो जाते हैं बच्चे (Parenting for Responsibility: How to teach responsibility to a child)
हर पैरेंट्स यही जानना चाहते हैं कि बच्चे जिम्मेदारी लेने के लिए कब बड़े या लायक हो जाते हैं? बच्चे कब अपनी मां के साथ मिलकर प्लानिंग करने लगते हैं या बच्चे कब जिम्मेदारी वाले घरेलू कामों में मां का हाथ बंटाने लगते हैं.
घर में छोटे-मोटे काम करना तो बच्चे खेल-खेल में ही सीख जाते हैं. उनको अलग से ट्रेंड नहीं करना पड़ता, लेकिन बेटे-बेटियों को किचन में माइक्रोवेव ओवन चलाकर खाना गरम करना, बाहर जनरल शॉप तक जाकर कोई सामान ले आना, हल्की-फुल्की कुकिंग या सलाद, मैगी, चाय-कॉफी जैसी चीजें बनाना और सर्व करना जैसी नियमित जिम्मेदारियां संभालकर बच्चे को इसकी आदत डाल सकते हैं.
कई पैरैंट्स ने सोशल मीडिया पर पूछे सवाल
हालांकि, ये सब करने के लिए बच्चे की उम्र कितनी होनी चाहिए कि वह जिम्मेदारियों वाले काम में हाथ बंटाने लगे. कई माता-पिताओं ने इस बेहद जरूरी सवाल को सोशल मीडिया पर भी उठाया. कुछ पैरेंट्स ने इससे जुड़े कुछ हायपोथेटिकल सिचुएशनंस भी शेयर किए. जैसे कहीं देर हो गई तो बच्चे कैसे इसे डील करें. बाहर डिनर करने वक्त बच्चे कैसे बिहेव करें, हाई स्कूल या मिडिल स्कूल में पढ़ रहे बच्चे को कार में कैसे अच्छे से बैठने के लिए कहें.
टीन-एज की शुरुआत है सही समय
पैरेंटिंग के जानकारों के मुताबिक, अगर माता-पिता अपने बच्चे को उम्र के हिसाब से स्कूलिंग, स्पोर्ट्स, स्वीमिंग, डांसिंग, फैमिली फंक्शंस, पिकनिक वगैरह करवाते रहते हैं तो बच्चे घर के काम में भी पूरी जिम्मेदारी से भाग लेते हैं. ऐसे में बच्चों को जिम्मेदारी देने की सही उम्र उसके टीन-एज की शुरुआत हो सकती है. इसका मतलब है कि 12 साल से बड़े बच्चे आम तौर पर चीजों को समझने लगते हैं और मां का हाथ बंटाने लगते हैं. इनमें ठीक तोहफे खरीदने, घर में कार्ड बनाने, कोई स्पेशल डिश तैयार करने में मदद, फादर्स डे गेम प्लान करने और गेस्ट्स को बेहतर ट्रीट जैसे कई बातें शामिल हैं.
जानें पेरेंट्स कैसे बनाएं बच्चों को जिम्मेदार
जहां से लिया वहीं रखें सामान : सबसे पहला सबक जो आपको बच्चों को सिखाने की जरूरत है, वह यह कि वे जिस चीज को घर में जहां से लेते हैं उसे इस्तेमाल के बाद वापस वहीं रखें.
सफाई से करें शुरुआत : बच्चों को साफ सफाई की आदत ड़ालें. उन्हें समझाएं कि स्वच्छता कितनी जरूरी है.
खुद से उठने की आदत ड़ालें : बच्चों को बार-बार न उठाएं. उन्हें एक आवाज दें और इसके बाद खुद से उठने को कहें. इससे वह अपने कामों के प्रति और जिम्मेदार होगा.
बच्चे को कहें बैग सेट करने के लिए : बच्चे के लिए सारे काम आप न करें. उसे कहें कि वह सुबह स्कूल जाने के लिए अपने काम खुद करे. अपना बैग खुद सेट करे और सुबह के लिए अपनी युनिफॉर्म भी खुद ही निकाले.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)