टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ाता है मोटापा, चूहों पर किए गए शोध से सामने आई ये बात...

पहली बार, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स की टीम ने दिखाया कि मोटापा शरीर के लिए राइबोसोमल कारकों नामक प्रमुख सेलुलर बिल्डिंग ब्लॉक का उत्पादन करना मुश्किल बना सकता है.

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इस शोध में मोटे और शुगर से ग्रस्त चूहों को शामिल किया गया.

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने फैट सेल्‍स के जरिए यह पता लगाया है कि मोटापा टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कैसे बढ़ाता है. सेल रिपोर्ट्स में प्रकाशित अध्ययन टाइप 2 डायबिटीज और अन्य पुरानी बीमारियों के लिए नए इलाज विकसित करने में मदद कर सकता है. यह अध्ययन फैट स्टेम सेल्स को नई, छोटी फैटी सेल्स में विकसित करने में मदद करके काम करता है. पहली बार, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स की टीम ने दिखाया कि मोटापा शरीर के लिए राइबोसोमल कारकों नामक प्रमुख सेलुलर बिल्डिंग ब्लॉक का उत्पादन करना मुश्किल बना सकता है. पर्याप्त राइबोसोमल कारकों के बिना फैट स्टेम कोशिकाएं कार्यशील फैट सेल्स का उत्पादन नहीं कर सकती हैं. उनकी एनर्जी फंस जाती है और वे आकार में बढ़ जाती हैं और डायबिटीज बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं.

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क्या कहते हैं शोधकर्ता?

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-लॉस एंजिल्स में इंटीग्रेटिव बायोलॉजी एंड फिजियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. क्लाउडियो विलान्यूवा ने कहा, "फैट टिशू को अक्सर हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है, लेकिन वास्तव में यह हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में बड़ी भूमिका निभाता है."

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विलानुएवा ने बताया कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में बहुत ज्यादा 'फैटी टिशू होते है जो बेहतर तरीके से काम नहीं कर रहे होते. फैट स्टेम सेल्स हमारे शरीर में फैटी सेल्स को बनाने का काम करती है, लेकिन अगर इन कोशिकाओं को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते हैं, तो वे फैटी सेल्स को ठीक से नहीं बना पाती हैं.

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मोटे और शुगर से ग्रस्त चूहों पर किया गया शोध:

फैट टिशू भोजन से एनर्जी को स्टोर करते है. हालांकि जब यह ठीक से काम नहीं करता है तो एक्स्ट्रा एनर्जी शरीर में कहीं और जमा हो जाती है जैसे कि लिवर में फैटी लीवर रोग या हार्ट में जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस या स्ट्रोक होता है. इस शोध में मोटे और शुगर से ग्रस्त चूहों को शामिल किया गया. इन चूहों की फैट सेल्स दुबले चूहों की तुलना में चार से पांच गुना बड़ी थीं. टीम ने उन्हें रोसिग्लिटाजोन दिया.

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परिणामों से पता चला कि उनके राइबोसोमल कारक सामान्य लेवल तक बढ़ गए, जिससे उनकी फैट स्टेम सेल्स को नए, छोटे फैटी सेल्स का उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया गया. इससे छोटी फैटी सेल्स बनने लगीं. इसके अलावा, इससे चूहों के फैटी टिश्यू एनर्जी स्टोरेज में ठीक से काम करने में सक्षम हो गए. ये मेटाबॉलिज्म को विनियमित करने वाले प्रमुख हार्मोन भी पैदा करते हैं.

वैज्ञानिकों ने पाया कि हालांकि दवा लेने के बाद चूहे मोटे रहे, लेकिन उनमें टाइप 2 डायबिटीज गायब हो गई.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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