मेडिकल साइंस का चमत्कार, पहले मां के पेट से बाहर निकाला बच्चा, फिर दोबारा रखा गया अंदर

डॉक्टरों ने बताया कि लूसी के गर्भाशय को उनके पेट से बाहर निकाला जाएगा. ताकि गर्भाशय के पीछे दोनों अंडाशयों में कैंसर सेल्स की जांच की जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी में बच्चे का फिर से जन्म हुआ. वह पूरी तरह से स्वस्थ रहा. पूरी रिपोर्ट अब सामने आई है.

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मामला इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड का है.

मेडिकल साइंस में प्रगति लगातार नई ऊंचाइयों को छू रही है, लेकिन हाल ही में डॉक्टरों ने एक ऐसा चमत्कार किया, जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया. यह एक दुर्लभ और अभूतपूर्व सर्जरी थी, जिसमें गर्भ में मौजूद बच्चे को अस्थायी रूप से बाहर निकाला गया और फिर वापस मां के पेट में रखा गया. इस अनोखी प्रक्रिया का मकसद बच्चे की जान बचाना और उसे सुरक्षित रूप से जन्म दिलाना था. दरअसल बच्चे की मां लूसी को प्रेग्नेंसी के दौरान ओवरी के कैंसर का पता चला.

लूसी का ऑपरेशन किया गया तो बच्चे को पेट से बाहर निकाला गया. मतलब एक ही बच्चे का दो बार जन्म हुआ. मामला इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड का है. डॉक्टरों ने बताया कि लूसी के गर्भाशय को उनके पेट से बाहर निकाला जाएगा. ताकि गर्भाशय के पीछे दोनों अंडाशयों में कैंसर सेल्स की जांच की जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक इस साल जनवरी में बच्चे का फिर से जन्म हुआ. वह पूरी तरह से स्वस्थ रहा. पूरी रिपोर्ट अब सामने आई है.

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क्या है पूरा मामला?

डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक बच्चे का नाम रैफर्टी इसाक है. इसका जन्म दो बार हुआ. दरअसल बच्चे की मां लूसी को प्रेग्नेंसी के दौरान ओवरी (Ovaries) के कैंसर का पता चला. डॉक्टरों को डर था कि अगर इलाज में देरी हुई तो कैंसर फैल सकता है और लूसी की जान को खतरा हो सकता है. इसके बाद डॉक्टरों ने ऑपरेशन करने की बात कही.

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डॉक्टरों ने बताया कि लूसी के गर्भाशय को उनके पेट से बाहर निकाला जाएगा. ताकि गर्भाशय के पीछे दोनों अंडाशयों में कैंसर सेल्स की जांच की जा सके. इसके बाद ट्यूमर को बाहर निकाला जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टरों का कहना था कि इस प्रक्रिया में मां और बच्चे दोनों को खतरा हो सकता था. इसके बाद लूसी और उनके पति एडम इस प्रक्रिया के लिए तैयार हो गए.

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इसके बाद डॉक्टर सोलेमानी माजद की अगुवाई में ऑपरेशन की प्रक्रिया शुरू हुई. इस दौरान उनकी टीम में कुल 15 लोग शामिल थे. इनमें 3 एनेस्थेटिस्ट और 5 थिएटर नर्स भी थीं. यह ऑपरेशन लूसी की गर्भावस्था के 20वें हफ्ते में किया गया. रिपोर्ट के मुताबिक यह ऑपरेशन 5 घंटे तक चला. इस प्रक्रिया में गर्भ को शरीर से बाहर निकालकर कैंसरग्रस्त अंडाशयों (Ovaries) की जांच की गई. इस दौरान बच्चा भी बाहर रहा. फिर कैंसर टिशू निकाल दिए गए. इसके बाद गर्भ को सुरक्षित रूप से फिर से शरीर में वापस रखा गया.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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