कई रोगों से राहत दिलाने में रामबाण मानी जाती है मकोई, आयुर्वेद में भी खूब इस्तेमाल होता है ये छोटा सा फल

Ayurvedic Herbs: इसके फल पत्ते और जड़ें सभी किसी न किसी रोग का इलाज करने के काम आती हैं. मकोई के फल में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की अनेक समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं.

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Ayurvedic Medicine: मकोई के फल में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं.

मकोई को ब्लैक नाइटशेड के नाम से पहचाना जाता है. यह एक छोटा सा पौधा है जो फसलों के बीच खरपतवार की तरह उग आता है. मकोई के छोटे से पौधे में अच्छी सेहत का राज छिपा होता है, जिसे हम अक्सर अनदेखा कर देते हैं. क्या आप जानते हैं कि उसी मकोई का आयुर्वेद में अद्भुत महत्व है? इसके अद्वितीय गुण बुखार से लेकर त्वचा से जुड़ी समस्याओं में राहत देने का काम करते हैं. मकोई का उपयोग आयुर्वेद में एक असरदार औषधि के रूप में होता है. इसके फल पत्ते और जड़ें सभी किसी न किसी रोग का इलाज करने के काम आती हैं. मकोई के फल में एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर की अनेक समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं.

आयुर्वेद में माना जाता है रामबाण

आयुर्वेद में इसे त्रिदोष को संतुलित करने वाला और पाचन क्रिया को बेहतर बनाने वाला माना जाता है. यह बुखार, जोड़ों के दर्द, सांस संबंधी समस्याओं, पीलिया, मुंह के छालों और अन्य विकारों के इलाज में मदद करता है. इसके सेवन से शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है, जो हमें सामान्य बीमारियों से बचाता है.

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शरीर से टॉक्सिन्स को दूर करने में मददगार

मकोई के गुणों का वर्णन भारत के प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे कि सुश्रुत संहिता और चरक संहिता में भी मिलता है. इसे ऐसा रसायन बताया गया है, जो शरीर के टॉक्सिन्स को नष्ट करने और एजिंग प्रोसेस को भी धीमा कर सकता है. सुश्रुत संहिता में मकोई की जड़ों को शरीर के लिए बेहद लाभकारी माना गया है और इसे त्रिदोष के संतुलन के लिए उपयोगी बताया गया है.

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नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम को बढ़ावा

कई शोधों में यह पाया गया है कि मकोई के फल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को हानिकारक तत्वों से बचाते हैं. इसके अलावा, इसमें ऐसे गुण होते हैं जो सूजन को कम करने और शरीर के नेचुरल ट्रीटमेंट सिस्टम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं.

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घरेलू नुस्खों में सबसे ऊपर

बुखार और छाले जैसी समस्याओं में मकोई का सेवन तुरंत राहत प्रदान करता है. आज भी ग्रामीण इलाकों में इसका प्रयोग बुखार कम करने के लिए किया जाता है. दादी मां के नुस्खों में मकोई सबसे ऊपर होता है! बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि बुखार के दौरान अगर मकोई का सेवन किया जाए, तो मात्र एक घंटे में वो छूमंतर हो जाता है.

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मुंह के छालों से राबह

माना जाता है कि मकोई के पत्तों को चबाने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं और पेट से जुड़ी समस्याओं में भी राहत मिल सकती है.

स्किन के लिए काफी फायदेमंद

मकोई का प्रभाव सिर्फ शरीर के अंदर ही नहीं, बल्कि बाहर भी दिखता है. इसके एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीमाइक्रोबियल गुण स्किन से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करते हैं. दाग-धब्बे या सनबर्न से जूझ रहे हैं, तो मकोई का फेस पैक आपके लिए बेहद लाभकारी हो सकता है.

माना जाता है कि मकोई की पत्तियों का काढ़ा पीलिया के रोगियों के लिए रामबाण साबित हो सकता है. इसे पीने से पीलिया में जल्दी राहत मिलती है और शरीर में जमा हुए टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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