मुंबई में 50 साल का बुजुर्ग का कुकर में बना खाना खाने से हुआ ऐसा हाल, वजह जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

Lead Poising: आपके घर में भी कुकर में खाना बनता होगा. ये बिल्कुल आम बात है, कई घरों में कुकर का इस्तेमाल कई तरह के खाने की डिश बनाने में किया जाता है. लेकिन तब क्या हो जब आपका ये कुकर आपको बीमार कर दें. आपको भी सुनकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन ऐसा असल में हुआ है.

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आपके घर में भी कुकर में खाना बनता होगा. ये बिल्कुल आम बात है, कई घरों में कुकर का इस्तेमाल कई तरह के खाने की डिश बनाने में किया जाता है. लेकिन तब क्या हो जब आपका ये कुकर आपको बीमार कर दें. आपको भी सुनकर हैरानी हो रही होगी, लेकिन ऐसा असल में हुआ है. दरअसल मुंबई के एक 50 वर्षीय व्यक्ति को हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराया गया, इसकी वजह से उनके शरीर में गंभीर लेड विषाक्तता (Lead Poisoning) के लक्षण दिखाई देना. इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. विशाल गाबले ने इंस्टाग्राम पर बताया कि इस व्यक्ति को याददाश्त की कमी, थकान, और पैरों में तेज़ दर्द व झनझनाहट जैसी समस्याएँ हो रही थीं — और इसका कारण निकला एक पुराना प्रेशर कुकर, जिससे लेड केमिकल टॉक्सिसिटी हुई थी. आपको बता दें कि लेड विषाक्तता तब होती है जब शरीर में लेड की मात्रा धीरे-धीरे जमा हो जाती है, जिससे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा होती हैं. 

एक्सपर्ट्स की मानें तो लेड विषाक्तता से बच्चे विशेष रूप से संवेदनशील होते हैं, लेकिन वयस्कों में भी गंभीर प्रभाव देखे जाते हैं. यह विषाक्तता मस्तिष्क, लिवर और प्रजनन प्रणाली समेत कई बॉडी पार्ट्स पर असर डाल सकती है. इसके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर हो सकते हैं — जैसे थकान, मेमोरी लॉस, बिहेवियर में बदलाव, और बॉडी पेन.

डॉ. गाबले ने बताया कि जांच में व्यक्ति के ब्लड में लेड की मात्रा 22 माइक्रोग्राम/डेसिलीटर पाई गई, जो क्रॉनिक लेड पॉइज़निंग का संकेत है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि पुराने और क्षतिग्रस्त एल्यूमिनियम कुकर, जब एसिडिक फूड आइटम्स के संपर्क में आते हैं, तो लेड और एल्यूमिनियम के कण खाने में घुल जाते हैं, जिससे यह विष शरीर में प्रवेश करता है.

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डॉ. गाबले ने बताया कि, "जांच के दौरान मरीज के सभी पैरामीटर्स बिल्कुल नॉर्मल थे. हमें स्पष्ट डायग्नोसिस नहीं मिल पा रहा था, जब तक हमने नमक की एक चुटकी के साथ हेवी मेटल स्क्रीनिंग नहीं की. उनके शरीर में लेड का स्तर 22 माइक्रोग्राम प्रति डेसिलीटर पाया गया. उसके बाद जाकर उनकी बीमारी की पहचान क्रॉनिक लेड पॉइज़निंग के रूप में हुई." डॉ. गाबले के अनुसार, मरीज को बाद में किलेशन थेरेपी पर रखा गया, जिसके बाद उसकी हालत में सुधार हुआ.

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क्या है किलेशन थेरेपी

किलेशन थेरेपी एक ऐसी चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें शरीर से लेड जैसे भारी धातुओं को बाहर निकालने के लिए विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है. ये दवाएं धातु से जुड़कर उसे यूरिन के जरिए शरीर से बाहर निकालने में मदद करती हैं. 

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लेड विषाक्तता कब होती है, किन अंगो पर डालता है असर

लेड विषाक्तता (Lead Poisoning) तब होती है जब शरीर में लेड की मात्रा अधिक हो जाती है. यह आमतौर पर लेड युक्त चीज़ों को खाने या पीने से होता है, लेकिन लेड को छूने या सांस के ज़रिए अंदर लेने से भी यह हो सकता है. लेड विषाक्तता तब मानी जाती है जब रक्त में लेड की कोई भी मात्रा पाई जाती है.

डॉक्टरों के अनुसार, लेड शरीर के कई हिस्सों को प्रभावित करता है —

  • मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र
  • रक्त और पाचन अंग
  • लिवर, यकृत और प्रजनन प्रणाली
  • लंबे समय तक लेड के संपर्क में रहने से होने वाले नुकसान
  • नर्वस सिस्टम और मस्तिष्क को नुकसान हो सकता है.
  • सीखने और बिहेवियर से जुड़ी समस्याएँ हो सकती हैं.

यह एक गंभीर लेकिन पूरी तरह से रोकी जा सकने वाली स्थिति है. लेड विषाक्तता के लक्षण और संकेत अक्सर शुरुआत में साफ नहीं होते हैं, इसमें व्यक्ति स्वस्थ दिख सकता है, लेकिन शरीर में लेड की मात्रा बढ़ चुकी होती है.

शरीर में लेड बढ़ने पर दिखने वाले कुछ सामान्य लक्षण:

  • पेट में ऐंठन या दर्द
  • हाईपरएक्टिविटी (बेचैनी, बार-बार हिलना-डुलना, ज़रूरत से ज़्यादा बोलना)
  • सीखने में कठिनाई और व्यवहार में बदलाव
  • सिरदर्द
  • उल्टी
  • थकान और कमजोरी
  • एनीमिया (रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी)
  • पैरों और टांगों में सुन्नपन या झनझनाहट
  • यौन इच्छा में कमी
  • बांझपन
  • गुर्दों से जुड़ी समस्याएँ

यह लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और कई बार अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते होते हैं, इसलिए समय पर जांच और इलाज बेहद जरूरी है.

लेड विषाक्तता पूरी तरह ठीक हो सकती है? Is Lead Poisoning Curable

लेड विषाक्तता (Lead Poisoning) पूरी तरह से ठीक नहीं हो सकती, खासकर जब इसके कारण बांझपन या किडनी की समस्याएँ हो चुकी हों — ये प्रभाव अक्सर स्थायी होते हैं. लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि आप रक्त में लेड की मात्रा को कम कर सकते हैं और आगे के संपर्क से बचाव कर सकते हैं, अगर आप अपने घर या वातावरण से लेड के स्रोतों को पहचानकर उन्हें हटा दें. अगर ब्लड में लेड का स्तर बहुत ज्यादा हो, तो डॉक्टर आपको किलेशन थेरेपी दे सकते हैं — इसमें एक विशेष दवा दी जाती है जो रक्त में मौजूद लेड से जुड़कर उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करती है.

डॉक्टर Whole-Bowel Irrigation की भी सलाह देते हैं. यह एक प्रोसेस है जिसमें आपको Polyethylene Glycol नामक विशेष घोल मुंह से या पेट की नली के जरिए दिया जाता है, ताकि पेट और आंतों की सफाई की जा सके. यह प्रक्रिया तब की जाती है जब एक्स-रे में पेट में लेड युक्त पेंट के टुकड़े दिखते हैं.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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