Kaun banega crorepati Season 17 latest news : कौन बनेगा करोड़पति (KBC) का 17वां सीजन इन दिनों एक खास वजह से चर्चा में है. वजह कोई बड़ा जैकपॉट या इमोशनल कहानी नहीं, बल्कि गुजरात का 10 साल का बच्चा ईशित भट्ट है. ईशित शो में चाइल्ड कंटेस्टेंट के तौर पर आए थे और अपने आत्मविश्वास के साथ-साथ अपने व्यवहार की वजह से सोशल मीडिया पर लोग उसे खूब ट्रोल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ये 'सिक्स पॉकेट सिंड्रोम' का नतीजा है. अब ये सिक्स पॉकेट सिंड्रोम क्या बला है और भारत में इसका क्या कनेक्शन है, आइए समझते हैं.
क्या हुआ KBC में जो ईशित हो गए ट्रोल?
दरअसल, KBC 17 में ईशित भट्ट ने जिस तरह से अमिताभ बच्चन से बात की, वो कई लोगों को पसंद नहीं आई. उसका आत्मविश्वास तो गजब का था, लेकिन जल्दबाजी और थोड़ा रौबदार लहजा लोगों को पसंद नहीं आया. उसने अमिताभ बच्चन से कहा कि उसे सारे नियम पता हैं, वो सीधे सवाल पर आएं. जब सवाल स्क्रीन पर आने की बारी आई, तब भी उसने लगभग आदेश देते हुए कहा, "जल्दी ऑप्शंस दिखाइए."
फिर आया वो सवाल जिसने ईशित को फंसा दिया: "वाल्मीकि रामायण के पहले कांड का नाम क्या है?" बिना ऑप्शन देखे जवाब देने वाले ईशित यहां फंस गए. ऑप्शन थे - A: बालकांड, B: अयोध्याकांड, C: किष्किंधा कांड, D: युद्धकांड. ईशित ने बिना सोचे-समझे "ऑप्शन B" कहा. जब अमिताभ ने उसे सोचने को कहा, तो उसने कॉन्फिडेंस से कहा, "सर, एक क्या उसमें चार लॉक लगाइए, लेकिन लॉक कर दीजिए."
और बस, यहीं गलती हो गई. जवाब गलत था और ईशित खाली हाथ शो से बाहर हो गए. इसके बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने उसे खूब ट्रोल किया. कई लोगों ने तो उसके खाली हाथ जाने पर खुशी भी जताई. कुछ ने बच्चे को ट्रोल किया, तो कुछ ने कहा कि गलती बच्चे की नहीं, उसकी परवरिश की है. एक यूजर ने तो लिखा, "बहुत सुकून वाला अंत. गलती बच्चे की नहीं, पैरेंट्स की है. अगर आप अपने बच्चों को विनम्रता और धैर्य नहीं सिखाते, तो वे ऐसे ही ओवरकॉन्फिडेंट बन जाते हैं."
'सिक्स पॉकेट सिंड्रोम' की एंट्री
इसी बहस के बीच सोशल मीडिया पर एक नया शब्द सामने आया – 'सिक्स पॉकेट सिंड्रोम'. एक यूजर ने दावा किया कि ईशित का व्यवहार इसी सिंड्रोम का नतीजा है.
क्या है ये 'सिक्स पॉकेट सिंड्रोम'
ये एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहां एक अकेला बच्चा छह कमाने वालों के सहारे पलता है. कौन-कौन? दो मम्मी-पापा, दो नाना-नानी और दो दादा-दादी.
ये कॉन्सेप्ट सबसे पहले चीन में 'वन चाइल्ड पॉलिसी' के दौरान आया था. वहां इसे '4-2-1 मॉडल' कहा गया – चार दादा-दादी, दो माता-पिता और एक बच्चा. इस मॉडल में बच्चा परिवार का सेंटर बन जाता है. घर के सारे बड़े उसकी हर डिमांड पूरी करते हैं. खिलौने, कपड़े, मनपसंद खाना, हर छोटी से छोटी इच्छा बिना किसी देरी के पूरी होती है.
इसका नतीजा क्या होता है? बच्चे में पेशेंस खत्म हो जाता है. वो खुदगर्ज और थोड़ा असंवेदनशील हो जाते हैं. चीन में ऐसे बच्चों को 'लिटिल एम्परर सिंड्रोम' यानी 'छोटे सम्राट का सिंड्रोम' भी कहा गया. ऐसे बच्चे जो हर चीज तुरंत चाहते हैं और 'ना' सुनने के आदी नहीं होते.
भारत में भी फैल रहा है ये ट्रेंड
भारत में भी अब शहरों में और सिंगल फैमिलीज में ये ट्रेंड बढ़ रहा है. अक्सर एक या दो बच्चे होते हैं, तो पूरा परिवार – खासकर दादा-दादी और माता-पिता – अपना सारा प्यार, दुलार और पैसा सिर्फ एक ही बच्चे पर लुटा देते हैं. बच्चे को हर वक्त अहमियत और सारी सुविधाएं मिलती हैं. इससे उनमें विनम्रता और सहनशीलता की कमी देखी जाती है.
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने ईशित भट्ट को इसका उदाहरण बताया है. उनका कहना है कि "वह दोषी नहीं, बस एक ऐसे सिस्टम का नतीजा है जो बच्चों को जरूरत से ज़्यादा लाड़-प्यार देता है."
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)