अंतरराष्ट्रीय योग द‍िवस से पहले जानें पांच योगासन, जो कम कर सकते हैं यूरिक एसिड

हमारा खानपान यूरिक एसिड की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है और आजकल की लाइफस्टाइल में यूरिक एसिड का बढ़ जाना एक आम बात है. यूरिक एसिड को योगासन से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि वे कौन से योगासन हैं जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं. 

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अंतरराष्ट्रीय योग द‍िवस आने वाला है. तो क्यों न इस मौके पर पुरानी परेशानियों को दूर करने के लिए योगा की ओर रुख किया जाए और शरीर को हष्ट-पुष्ट रखा जाए. यहां हम बात करेंगे यूरिक एसिड की. यूरिक एसिड (Uric Acid) एक ऐसी चीज है, जिस पर अक्सर हमारा ध्यान नहीं जाता. हम भागदौड़ भरी जिंदगी में छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान नहीं देते. जैसे कई बार पैर की एड़ी में हुए हल्के दर्द या सूजन पर हम ध्यान नहीं देते. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस लापरवाही का असर सीधे किडनी पर पड़ सकता है. यूरिक एसिड बढ़ जाने के कारण शरीर में कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. यूरिक एसिड को किडनी फिल्टर करती है और ज्यादा यूरिक एसिड होने से किडनी पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. इसकी शुरुआत एड़ियों में दर्द और सूजन जैसे लक्षणों से पहचानी जा सकती है. आगे चलकर इसमें बुखार और ब्लड शुगर बढ़ने जैसी समस्याएं भी जन्म ले सकती हैं.

क्या होता है बढ़े हुए यूरिक एसिड का कारण

हमारा खानपान यूरिक एसिड की वृद्धि का सबसे बड़ा कारण है और आजकल की लाइफस्टाइल में यूरिक एसिड का बढ़ जाना एक आम बात है. यूरिक एसिड को योगासन से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि वे कौन से योगासन हैं जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित कर सकते हैं. 

यूरिक एस‍िड को कंट्रोल करने में मदद कर सकते हैं ये 5 योगासन 

1- मण्डूकासन-  

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह आसन मेंढक से जुड़ा हुआ है. आपको घुटनों के बल बैठकर अपने  सिर को आगे की तरफ ले जाना है, अपनी गर्दन और सिर को धीरे धीरे उठाएं और नजर सामने रखें, यह ध्यान रखें कि नाभि में खिंचाव महसूस हो.  इस मुद्रा में धीरे धीरे सांस लें और धीरे धीरे छोड़ें. फिर वापस सीधे बैठ जाएं. इस क्रिया को में 3 से 5 बार दोहराएं.

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2- भुजंगासन-

एक तरह से सांप की तरह किया जाने वाला आसन है, आपको कोबरा की तरह लेट जाना है. आप पेट के बल लेट जाएं, अपनी हथेली को कंधे की सीध में लाएं और धीरे धीरे ऊपर की ओर उठें, धीरे धीरे सांस लें और छोड़ें ध्यान रहे कि इस अवस्था में खिंचाव शरीर के आगे के भाग से नाभी तक जाए. धीरे सांस छोड़ते हुए वापस उसी मुद्रा में आ जाएं. यह क्रिया शुरू में 3 से 4  बार दोहराना है.

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3- पवनमुक्तासन- 

सबसे पहले अपनी पीठ के सहारे लेट जाएं, अपने पांवों को फैलाते हुए ऊपर की तरफ ले जाएं, अपने हाथों से घुटनों को घेरकर पकड़ लें, घुटनों से ठोड़ी को छूने की कोशिश करें और धीरे धीरे वापस पांव नीचे रख लें.  इस अवस्था में ध्यान रहे कि जोर आपकी नाभी में पड़े. इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार करें.

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4 त्रिकोणासन-

सीधे खड़े हो जाएं, दोनों हाथों को सावधान की मुद्रा में ले जाएं, धीरे धीरे अपने पांव खोलें और दाहिने हाथ को सर के पीछे से बांए कान की तरफ ले जाएं.  इसी प्रकार बांए हाथ को दाएं कान की तरफ ले जाएं, लेकिन ध्यान रहे कान छूना नहीं है, हाथ को सीधा रखना है और कान की दिशा में धीरे धीरे झुकना है, आपके पांवों के बीच में 2 से 3 फिट का फासला जरूरी है साथ ही आपके हाथ और पांव एकदम सीधे होने चाहिए. धीरे धीरे सांस छोड़ते हुए वापस अपनी अवस्था में आ जाएं. इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार करें.

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5- उष्ट्रासन- 

सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाएं, अपनी जांघों और पैरों को चिपकाकर रखें, पंजे पीछे की ओर हो और फर्श में रखे हुए हो.अपने हाथों को धीरे धीरे पीछे की तरफ ले जाएं और एक ऊंट की मुद्रा में  आ जाएं इस प्रक्रिया को 3 से 4 बार करें और ध्यान रहे कि आसन के समय नाभि पर जोर पड़े.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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