International Women's Day 2023: नाजुक रिश्तों का पुल हैं औरतें, लेकिन रिलेशनशिप में ध्यान रखिए ये बातें

इस अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर हम बात कर रहे हैं रिश्तों को डील करने के सही तरीके की, ताकि औरतें इन रिश्तों को निभाते वक्त खुद को भी प्राथमिकता में रख सकें और स्मार्टली इन बातों को हैंडल कर सकें.

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International Women's Day 2023: जिम्मेदारी निभाते हुए महिलाओं को रखना चाहिए इन बातों का खास ध्यान.

International Women's Day 2023: औरतों (Women's) को दुनिया की आधी आबादी कहा जाता है और अगर जिम्मेदारी की बात करें तो ये उनके सिर पर अनकहे और अनचाहे ही पूरी आ जाती है. घर संभालने की जिम्मेदारी, बच्चों की जिम्मेदारी और रिश्तों की जिम्मेदारी. जिम्मेदारी (Responsibilities) निभाने के इस काम में औरतें वो नाजुक पुल बन जाती हैं, जिस पर हर घर परिवार पूरी तरह निर्भर हो जाता है. ऐसे में रिश्ते निभाने की बात आने पर औरतें कई बार ऐसी स्थिति में आ जाती है जहां वो खुद समझ नहीं पाती कि रिश्तों को डील कैसे किया जाए.

भारत जैसे देश में जहां  परिवार, समाज, दोस्ती-यारी और रिश्तेदारी के इतने रिश्ते नाते होते हैं कि इनका ख्याल करते करते औरतें कई बार अपना स्वाभिमान भी दांव पर लगा देती हैं. इसलिए इस अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Womens Day) पर हम बात कर रहे हैं रिश्तों को डील करने के सही तरीके की, ताकि औरतें इन रिश्तों को निभाते वक्त खुद को भी प्राथमिकता में रख सकें और स्मार्टली इन बातों को हैंडल कर सकें.

जिम्मेदारी निभाते हुए महिलाओं को रखना चाहिए इन बातों का खास ध्यान (Pieces of Empowering Relationship Advice for Women)

1. खुद को फना करना सही नहीं

कई बार देखा जाता है कि महिलाएं किसी रिश्ते को बचाने के लिए खुद को ही दांव पर लगा देती है. आमतौर पर पार्टनर की बड़ी ईगो के चलते औरतें बड़ी आसानी से झुक जाती हैं, समझौता कर लेती है. लेकिन ये सही नहीं है. पार्टनर से रिश्ता बराबरी का है, यहां कद भी बराबर है और इमोशन भी. इसलिए पार्टनर के साथ रिश्ते निभाते समय समझौता एक ही पक्ष करे तो सही नहीं. महिलाओं को गिव अप का रवैया बदलना होगा. इसलिए जब भी पार्टनरशिप के रिश्ते में कुछ तनाव हो तो हर बार हार मानने की बजाय स्थिति की समीक्षा करें और फिर फैसला करें.

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2. हर बार एडजस्ट करना सही नहीं

लड़कियों को बचपन से ही सिखाया जाता है कि परिवार में एडजस्ट करके  चलना चाहिए. ये बात उनके अंदर इतने गहरे बैठ जाती है कि वो रिश्तों में भी एडजस्टमेंट खोजती है.  कोई नाराज हो गया तो माफी मांग ली, किसी ने चिल्ला दिया तो हंसकर बात बदल दी. कोई आरोप लगा रहा है तो सफाई दे दी.

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इसके पीछे दरअसल रिश्तों के टूटने का डर होता है जो बचपन से ही सिखाया जाता है. लेकिन जमाना बदला है और रिश्तों की परिभाषा भी बदल रही है. ऐसे में हर बार एडजस्ट करने की बजाय अपनी बात को सही तरीके से रखना सीखना चाहिए. हर बार गलती महिला की ही हो, ऐसा हो नहीं सकता, इसलिए रिएक्ट करना सीखिए, रिएक्ट करने से ना केवल आपको अपनी अहमियत पता चलेगी बल्कि सामने वाले को भी आपकी अहमियत और आपके तर्क का अंदाजा होगा. 

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3. दूसरा मौका देने से पहले सोचें

भारतीय जनमानस में औरतों को सच्चे और कोमल दिल वाली माना गया है. पार्टनर के क्रोध, धोखे, गलतबयानी के बाद जब रिश्ते बिखर जाते हैं तो औरतें चुपचाप सह लेती हैं, इसके बाद भी उनका पार्टनर कई बार लौट आता है और महिलाएं बिना कुछ सोचे समझे खुश होकर उस रिश्ते में वापस चली जाती है.

अंत भला तो सब भला की तर्ज पर महिलाएं रिश्तों को फिर से मौका देती हैं. लेकिन किसी भी रिश्ते को दूसरा मौका देते वक्त ये सोचना होगा कि क्या सामने वाला वही गलती फिर से ना दोहराने के लिए  तैयार है. इसलिए जब भी किसी रिश्ते को दूसरा मौका दें, तो जान लें कि दूसरी यात्रा में ड्राइविंग सीट पर आप होंगे, सामने वाला नहीं.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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