Blood Test to Measure Biological Age: जब भी हमें कोई बीमारी होती है और हमारे शरीर में किसी समस्या का पता लगाना होता है, तो डॉक्टर हमें ब्लड टेस्ट करने की सलाह देते हैं, जिसके बाद रिपोर्ट में काफी कुछ पता चल जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि खून की एक बूंद बता सकती है कि आप कितने समय तक जीवित रहेंगे? दरअसल वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टेस्ट बनाया है जो सिर्फ खून या लार के जरिए बताता है कि आप कितना जीएंगे. आइए जानते हैं इस बारे में.
खून की एक बूंद बताएगी कितना जीएंगे आप
जहां पहले लोग टैरो कार्ड या ज्योतिष से अपनी जीवन के भविष्य के बारे में पूछा करते थे, वहीं अब खून या लार की एक बूंद से पता चल जाएगा कि किसी इंसान के बाद कितना जीवन बचा है.
यकीनन यह सुनने में विज्ञान-कथा जैसा लग रहा है, लेकिन ऐसा अब जल्द ही होगा. बता दें, वैज्ञानिकों ने एक ऐसा टेस्ट विकसित किया है जो न केवल आपकी उम्र बताता है, बल्कि यह भी आपको बताता है कि आपका शरीर कितनी अच्छी तरह बूढ़ा हो रहा है और शायद यह भी कि आपके पास जीवन जीने का कितना समय बचा है.
ये है टेस्ट का नाम
जिस टेस्ट की हम बात कर रहे हैं, उसे "DNA-Mic Clock" टेस्ट कहा गया है. जो वास्तविक जीवन का बायोलॉजिकल टाइमकीपर है. यह टेस्ट डीएनए मिथाइलेशन पैटर्न पर आधारित है और आंतरिक क्षमता (Intrinsic capacity) नामक चीज को मापता है, जो आपके हिलने, सोचने, देखने, याद रखने और आपके सभी मुख्य कार्यों की क्षमता है.
इसी के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक सिंपल ब्लड या लार टेस्ट के साथ काम करता है. बता दें, शोधकर्ताओं ने 20 से 102 साल की आयु के 1000 से अधिक लोगों की स्टडी की है, जिसमें पता चला कि हाई डीएनए-माइक स्कोर वाले लोग औसतन 5.5 साल अधिक जीवित रहे हैं और वे अधिक स्वस्थ, मजबूत थे.
EpiAge टेस्ट: अब थूक से भी पता चलेगी आपकी बायोलॉजिकल उम्र, वो भी आसानी से
अब किसी की असली उम्र यानी बायोलॉजिकल एज जानने के लिए न खून देना पड़ेगा न ही कोई महंगी और जटिल जांच करानी होगी. अमेरिका की एक नई स्टडी में दावा किया गया है कि अब सिर्फ थूक यानी सलाईवा से ही आपकी बायोलॉजिकल एज का पता लग सकता है. ये तरीका आसान भी है और सटीक भी. इस नई टेक्नोलॉजी को EpiAgePublic नाम दिया गया है.
इसे डेविड चेइशविली और डॉ मोशे स्ज़िफ(Dr. Moshe Szyf) की टीम ने तैयार किया है. रिसर्च में एपिमेडटेक ग्लोबल, एचकेजी एपिथेरैप्यूटिक्स लिमिटेड, मैकगिल यूनिवर्सिटी, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और यूनिवर्सिटी ऑफ काटेनिया जैसे संस्थान जुड़े हैं.
तीन डीएनए साइट्स से होगी सटीक जांच
अब तक बायोलॉजिकल एज मापने के लिए हजारों डीएनए साइट्स को देखना पड़ता था. ये काम महंगा और मुश्किल होता था. लेकिन इस नई टेक्नोलॉजी में सिर्फ तीन डीएनए साइट्स से ही आपकी असली उम्र का पता चल जाएगा. ये साइट्स ELOVL2 जीन में होती हैं और उम्र का सही पैमाना मानी जाती हैं.
4600 लोगों पर टेस्ट हुआ, रिजल्ट भरोसेमंद निकला
इस स्टडी में 4600 से ज्यादा लोगों का डेटा देखा गया. इसमें नॉर्मल लोगों के साथ अल्जाइमर और एचआईवी जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोग भी शामिल थे. टेस्ट ने दिखाया कि EpiAgePublic बायोलॉजिकल एज को सटीकता से माप सकता है. ये भी सामने आया कि स्ट्रेस और पुरानी बीमारी एजिंग को तेज कर सकती है.
एंटी एजिंग ट्रीटमेंट में मददगार हो सकता है ये टेस्ट
इस नई टेक्निक से न सिर्फ उम्र का सही अंदाजा लगेगा बल्कि एंटी एजिंग ट्रीटमेंट्स की असरकारिता भी मापी जा सकेगी. इसका इस्तेमाल हॉस्पिटल्स, वेलनेस क्लिनिक और रिसर्च सेंटरों में किया जा सकता है. रिसर्चर्स इसे आगे और बीमारियों में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रहे हैं ताकि इसे रूटीन हेल्थ चेकअप का हिस्सा बनाया जा सके. डॉ मोशे स्ज़िफ का कहना है कि नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग पर बेस्ड ये टेक्नोलॉजी एपिजेनेटिक रिसर्च में बड़ा कदम है और आने वाले वक्त में ये उम्र से जुड़ी बीमारियों को पहले पकड़ने में काम आएगी
हालांकि अभी यह टेस्ट भारत में नहीं आया है, लेकिन अगर ऐसा टेस्ट आता है, तो कई समस्याओं को हल हो सकता है.
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)