Yoga Dose: हड्डियों को मजबूती और शरीर को लचीला बनाता है वीरभद्रासन जानें इसे करने का तरीका, फायदे और सावधानियां

Benefits Of Virabhadrasana : वीरभद्रासन न सिर्फ शारीरिक ताकत और संतुलन को बेहतर बनाता है, बल्कि मेंटल पीस भी प्रदान करता है. इसका नियमित अभ्यास आपके शरीर को लचीला और मजबूत बनाता है.

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वीरभद्रासन के फायदे

Benefits Of Virabhadrasana: योग की दुनिया में कई प्रकार के आसन होते हैं, जो न सिर्फ शारीरिक बल्कि मेंटल पीस भी प्रदान करते हैं. उनमें से एक प्रमुख आसन है वीरभद्रासन, जिसे वॉरियर पोज़ भी कहा जाता है. यह आसन शरीर के हर हिस्से को मजबूत करने में सहायक होता है और विशेष रूप से कूल्हों, पैर और पीठ को लचीलापन प्रदान करता है. इसके नियमित अभ्यास से शरीर में संतुलन, ताकत और मन की एकाग्रता में सुधार होता है. आज हम वीरभद्रासन के बारे में विस्तार से जानेंगे - कैसे इसे करना है, इसके फायदे क्या हैं और अभ्यास करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.

वीर भद्रासन के फायदे (Health Benefits Of Virabhadrasana)

वीरभद्रासन करने का तरीका

1. स्थिति का चयन
सबसे पहले, सीधे खड़े हो जाइए और अपने दोनों पैरों को एक समानांतर स्थिति में रखें. दोनों पैर कूल्हे की चौड़ाई के बराबर और सीधे रहें. अब, धीरे-धीरे अपने शरीर का वजन बाएं पैर पर शिफ्ट करें और दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे अपने सीने की दिशा में लाएं.

2. हाथों की स्थिति
अब अपने दोनों हाथों को जोड़कर, प्रेयर पोज़ीशन में अपने सीने के सामने लाकर रखें. ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहे और नाभि को अंदर की ओर खींचें.

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3. पैरों का विस्तार
सांस छोड़ते हुए, अपने दाएं पैर को पीछे की ओर फैलाएं और अपनी दृष्टि को मैट पर स्थिर कर लें. इस दौरान, ध्यान रखें कि आप अपने पीछे वाले पैर को सीधा रखें और शरीर का संतुलन बनाए रखें. अगर आपको संतुलन बनाए रखने में कठिनाई हो रही हो, तो आप दोनों हाथों को मैट पर भी रख सकते हैं.

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4. दूसरे पैर पर अभ्यास
अब, इस अभ्यास को दूसरे पैर पर दोहराएं. पहले जैसा ही तरीका अपनाएं, लेकिन अब सारा वजन दाएं पैर पर शिफ्ट करें और बाएं घुटने को सीने की दिशा में लाकर हाथों को प्रेयर पोज़ीशन में रखें. इस तरह से दोनों पैरों पर यह आसन किया जाता है.

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वीरभद्रासन के फायदे

1. शरीर की ताकत बढ़ाना:
वीरभद्रासन का अभ्यास करने से शरीर की ताकत में वृद्धि होती है. विशेषकर आपके पैर, पीठ और कूल्हे मजबूत होते हैं. यह शरीर को मजबूत और लचीला बनाता है.

2. संतुलन और एकाग्रता में सुधार:
इस आसन से मानसिक संतुलन और एकाग्रता बढ़ती है. यह योग आसन आपके दिमाग को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, जिससे आप ज्यादा ध्यान लगा पाते हैं.

3. शारीरिक लचीलापन
यह आसन शरीर के अलग-अलग हिस्सों जैसे कूल्हों, जांघों, घुटनों और पीठ के लचीलेपन को बढ़ाता है. इसके नियमित अभ्यास से शरीर में लचीलापन और ताकत का बैलेंस स्टेबल होता है.

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4. दिल की सेहत:
वीरभद्रासन का नियमित अभ्यास ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाता है, जिससे दिल की सेहत में सुधार होता है. साथ ही, यह श्वसन प्रणाली को भी मजबूत करता है.

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वीरभद्रासन करते समय सावधानियां

1. बैलेंस बनाए रखें
इस आसन में बैलेंस बनाए रखना सबसे जरूरी है. अगर आपको बैलेंस बनाने में परेशानी हो रही है, तो दीवार या सहारे का इस्तेमाल कर सकते हैं.

2. घुटनों की स्थिति का ध्यान रखें
घुटनों को मोड़ते समय ध्यान रखें कि वे पैर की अंगुलियों के साथ सीध में रहें. घुटने को बाहर की ओर मोड़ने से चोट लगने का खतरा हो सकता है.

3. पीठ सीधी रखें
हमेशा ध्यान रखें कि आपकी पीठ सीधी रहे और नाभि को अंदर की ओर खींचें, ताकि आपके शरीर की स्थिति सही रहे. इससे पीठ और कमर में खिंचाव और तनाव नहीं होगा.

4. सांस का ध्यान रखें
इस आसन के दौरान सांसों पर ध्यान केंद्रित करें. सांसों को गहरी और नियंत्रित रखें, ताकि मेंटल पीस प्राप्त हो सके.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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