24 जुलाई 2025 को बेंगलुरु शहर में आयोजित डब्ल्यू एफ ई बी के 7वें ‘वर्ल्ड समिट ऑन एथिक्स एंड लीडरशिप इन स्पोर्ट्स' में गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी भी शामिल हुए. इस समिट में खेल को लेकर के अहम सवाल उठाए गए. जिसमें हाल के वर्षों में खेलों में रिकॉर्ड और विरासत की दौड़ में नैतिक उल्लंघन एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जिससे दर्शकों का विश्वास भी डगमगाया है. वहीं दूसरी ओर, खेल भावना, उत्कृष्ट प्रदर्शन और नैतिकता ने यह साबित किया है कि ये तत्व खेल की आत्मा को ऊंचा उठाते हैं, पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं और समाज को जोड़ते हैं.
7वां वर्ल्ड समिट ऑन एथिक्स एंड लीडरशिप इन स्पोर्ट्स, वर्ल्ड फोरम फॉर एथिक्स इन बिजनेस द्वारा आयोजित, खेल, राजनीति, व्यापार, शिक्षा, एनजीओ और थिंक टैंक से वैश्विक आवाज़ों को एक मंच पर लाया , ताकि यह समझा जा सके कि क्या सफलता तब भी टिक सकती है जब मूल्य समझौते में हों, और दबाव भरी दुनिया में ईमानदारी से जीतने के लिए क्या चाहिए.
गुरुदेव ने अपने मुख्य भाषण में कहा:
"खेल में या तो आप जीतते हैं या दूसरों को जिताते हैं — हमें दोनों का जश्न मनाना सीखना चाहिए. खेलने का कार्य ही आनंद देता है। जब हम इसे समझते हैं, तो खेल में नैतिकता स्वाभाविक रूप से बनी रहती है; वरना खेल के मैदान हिंसक हो जाते हैं."
मानसिक स्वास्थ्य पर बात करते हुए उन्होंने कहा:
"एक बच्चा चलने से पहले खेलना शुरू कर देता है. खेल हमारे लिए इतना स्वाभाविक है, फिर आज हम कहां गलत हो गए?"
उन्होंने यह भी बताया कि खेल और संगीत के बावजूद दुनिया की एक-तिहाई आबादी अकेली, उदास और दुखी महसूस कर रही है — "यह सोचने की बात है." गुरुदेव ने आगे कहा, "अगर हम पूरे जीवन को एक खेल की तरह लें, तो दुनिया में न युद्ध होगा, न जलन, और न ही अविश्वास."
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)