महामारी के दौरान बिना किसी के संपर्क में आए घर बदलने के लिए पांच टिप्स

आपको इसके लिए सिर्फ सही पार्टनर का चयन करना होगा और लयबद्ध तरीके से काम करना होगा. बिना किसी परेशानी के और बगैर किसी के संपर्क में आए शिफ़्ट करने के लिए इन टिप्स को आजमाएं.

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बगैर किसी के संपर्क में आए शिफ़्ट करने के लिए इन टिप्स को आजमाएं.

कोविड-19 महामारी के सामने आने से पहले हम जब घर बदलते थे, तो हमारा पूरा ध्यान इस बात पर होता था कि घर का सारा सामान सुरक्षित ढंग से दूसरी जगह पहुंच जाए. ज्यादातर मौकों पर हम अपनी सेहत और सुरक्षा को नजरअंदाज कर दिया करते थे, लेकिन बदलती परिस्थितियों के साथ, अपनी सेहत और सुरक्षा का ध्यान रखना आज हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी हो गया है. इस महामारी के दौरान पूरे देश में लोगों ने बड़े पैमाने पर घर बदले इनमे से अधिकतर ऐसे लोग थे जिन्होंने बड़े शहरों में किराए का मकान छोड़ अपने घर जाने का फैसला लिया, लेकिन कारण चाहे जो भी हो, यह निश्चित है की फ़िलहाल घर या शहर बदलने का सबसे सही तरीका है बिना कि के संपर्क में आये शिफ्टिगं करना.

मूवर्स ऐंड पैकर्स की सुविधा की वजह से बिना किसी के संपर्क में आए घर बदलना आज के समय में संभव भी है. आपको इसके लिए सिर्फ सही पार्टनर का चयन करना होगा और लयबद्ध तरीके से काम करना होगा. बिना किसी परेशानी के और बगैर किसी के संपर्क में आए शिफ़्ट करने के लिए निम्नलिखित कुछ टिप्स हैं.

1. वीडियो कॉल सर्वे

अब वे दिन नहीं रहे जब आपको कुछ लोगों को घर पर बुलाना पड़े, ताकि वे शिफ़्ट किए जाने वाले सामान के बारे में जान सकें. अगर आप बिना किसी के संपर्क में आए शिफ़्टिगं करना चाहते हैं, तो सामान के सर्वे के लिए वीडियो कॉल की मदद लें. चाहे आप शहर में ही घर बदल रहे हों या शहर के बाहर जा रहे हों, शिफ़्टिगं से जुड़ी सबसे महत्वपूर्ण चीज है आइटमों की लिस्ट बनाना और यह काम वीडियो कॉल पर बातचीत करते हुए भी आसानी से कि या जा सकता है. बिना कि सी परेशानी के शिफ़्ट करने के लिए यह सबसे महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अच्छी तरह तैयार की गई आइटम लिस्ट अपने आप में कई समस्याओं का समाधान है. मसलन इसके आधार पर आप तय कर सकते हैं कि आपको कितनी गाड़ियों और कितने लोगों की ज़रूरत होगी.

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अब हम यह कैसे तय करेंगे कि जो अनुमान हमने लगाए हैं, वे बिल्कुल सही हैं और आखिरी मिनट में कोई परेशानी नहीं होगी? इस समस्या से निपटने के लिए हमने ये सुनिश्चित किया है कि टोटल सामान में हम 10 फीसद की गुजांइश रखें ताकि कोई अतिरिक्त खर्च न वहन करना पड़े. वाहन तय करने के लिए 25 फीसदी तक की गजांइश रखी जाती है.

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2. सुरक्षा से जुड़े गैजेट

शिफ़्टिगं के दौरान एक अन्य महत्वपर्णू बिदुं पर गौर करने की ज़रूरत है कि इस काम के लिए आए लोग सुरक्षा से जुड़े गैजेट से लैस हैं या नहीं, यानी फेस शील्ड, ग्लव्स, मास्क और हैंड सैनि टाइज़र जैसी चीजें पर्याप्त मात्रा में हैं या नहीं. चेकलिस्ट पर भरोसा करते हुए ग्राहकों की भूमि का इस काम में कम से कम होनी चाहिए. ग्राहक अलग कमरे में रह सकते हैं और बाकी घर में पैकिगं का काम जारी रह सकता है. पैकिगं और शिफ़्टिगं के काम में लगे लोगों से जुड़ा एक अहम पहलू यह भी है कि आप चाहे जो भी मूवर्स ऐंड पैकर्स चुनें, उन्हें अपने सभी कर्मचारियों की KYC करा लेनी चाहिए. इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कि सी भी समय सुरक्षा से जुड़ी या कोई आपराधिक घटना नहीं होगी.

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3. कॉन्टैक्टलेस मूव कोऑर्डिनेटर

आम तौर पर एक से दूसरे शहर जाने पर यह समस्या होती है कि आपका सामान कहां तक पहुंचा, इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं होती है. इसलिए हमने एक मूव कोऑर्डिनेटर के बारे में सोचा जो इस समस्या का सबसे बेहतर समाधान है. शिफ़्टिगं से एक दिन पहले को ऑर्डिनेटर ग्राहकों की सभी ज़रूरतों को अच्छी तरह समझ लेता है. यह को ऑर्डिनेटर की पहली जिम्मेदारी है कि वह सामान की डिलिवरी होने तक ग्राहक के लगातार संपर्क में रहे. इसके अलावा शहर के भीतर और शहर के बाहर होने वाली शिफ़्टिगं के बारे में ई-मेल और टेलीफ़ोन के माध्यम से रोज़ाना ऑटोमेटेड अपडेट देने की व्यवस्था भी होनी चाहिए.

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इससे एक कदम आगे बढ़ाते हुए हमने अलग-अलग काम के लिए अलग विभाग बनाए हैं, बिक्री से पहले की पूछताछ के लिए हैप्पीनेस सेंटर, कामकाज के तरीके के बारे में जानने के लिए कस्टमर कॉन्टैक्ट सेंटर, किसी भी गड़बड़ी पर तुरंत गौर करने के लिए ऐस्केलेशन टीम और परिचालन से जुड़ी प्रक्रियाओं में सामंजस्य के लिए QA टीम. चीज़ों को और सरल बनाने के लिए एक टोल फ़्री नंबर होना चाहिए जहां सिर्फ़ एक सवाल पूछने के लिए ग्राहकों को पैसे न चुकाने पड़ें.

4. कैशलेस भुगतान

भुगतान में किसी तरह से भी नकदी का लेनदेन नहीं होना चाहिए. डिजिटल भुगतान के ऐसे ढेरों विकल्प हैं जिनका इस्तेमाल हम अपनी रोज़ाना की ज़िदंगी में स्मार्टफ़ोन के ज़रिये करते हैं. अपना मूवर ऐंड पैकर तय करते हुए यह देख लें कि डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध है या नहीं.

5. मशीन सैनिटाइजेशन

आपका सामान पैक होने, लोड होने, ट्रांसपोर्ट होने, अनलोड होने और अनपैक होने के दौरान कई अलग-अलग जगहों से होकर गुजरता है. इसलिए, सैनिटाइज़ेशन बेहद ज़रूरी है. सामान की अनलोडिगं से पहले सही मशीनरी का इस्तेमाल करके पूरी तरह सैनिटाइज़ेशन किया जाना चाहिए. हालांकि ऊपर दिए गए सुझाव कॉन्टैक्टलेस शिफ़्टिगं के वर्तमान से जुड़े हैं लेकिन भविष्य वर्चुअल रिएलिटी का है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग पर आधारित इनोवेशन का इस्तेमाल करके जल्दी ही आपको अपने आसपास के घरों में वर्चुअल सर्वे होते दिखने लगेंगे. भारत में होम शिफ़्टिगं के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल करना अभी बाकी है.

(अविनाश राघव, सह-संस्थापक और एम.डी शिफ्ट फ्रेइट)

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