लेड के संपर्क में आने से बच्चों की याददाश्त हो सकती है कमजोर, स्टडी में हुआ खुलासा

इस अध्ययन में एक नए सांख्यिकीय मॉडल, 'नॉनलिनियर मॉडिफाइड पावर फंक्शन', का इस्तेमाल किया गया, जिसे पहले जानवरों और मनुष्यों पर आजमाया गया था, लेकिन अब इसे एनवायरमेंटल हेल्थ रिसर्च के लिए अनुकूलित किया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

एक नए अध्ययन के अनुसार गर्भावस्था और बचपन के शुरुआती सालों में लेड (सीसा) के संपर्क में आने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो सकती है. इससे उनकी सीखने की क्षमता और दिमागी विकास पर बुरा असर पड़ सकता है. अमेरिका के माउंट सिनाई के इकाह्न स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने 6 से 8 साल के बच्चों की याददाश्त का आकलन करने के लिए एक खास परीक्षण, 'डिलेड मैचिंग-टू-सैंपल टास्क' का इस्तेमाल किया. इस अध्ययन में एक नए सांख्यिकीय मॉडल, 'नॉनलिनियर मॉडिफाइड पावर फंक्शन', का इस्तेमाल किया गया, जिसे पहले जानवरों और मनुष्यों पर आजमाया गया था, लेकिन अब इसे एनवायरमेंटल हेल्थ रिसर्च के लिए अनुकूलित किया गया है.

यह भी पढ़ें: यूरिक एसिड का काल है ये हरा पत्ता, शरीर से चूस लेता है सारा Uric Acid, खून को भी करेगा साफ

लेड का बच्चों की याददाश्त पर कितना और कैसे असर पड़ता है?

यह मॉडल शोधकर्ताओं को यह देखने में मदद करता है कि लेड का बच्चों की याददाश्त पर कितना और कैसे असर पड़ता है. यह मुश्किल जानकारी को आसान और सटीक तरीके से समझाता है, ताकि यह पता चल सके कि लेड की मात्रा और भूलने की गति के बीच क्या संबंध है. इससे शोधकर्ता यह जान पाएं कि लेड बच्चों के दिमागी विकास को कैसे नुकसान पहुंचा सकता है.

स्टडी में क्या पाया गया?

शोध में पाया गया कि 4 से 6 साल की उम्र में बच्चों के खून में लेड का स्तर (लगभग 1.7 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर) तेजी से भूलने की दर से जुड़ा है. इसका मतलब है कि जिन बच्चों के खून में लेड की मात्रा ज्यादा थी, वे दी गई जानकारी को जल्दी भूल गए. यह अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ.

इकाह्न स्कूल के पर्यावरण चिकित्सा विभाग के शोधकर्ता रॉबर्ट राइट ने बताया, "याददाश्त हमारी सीखने की क्षमता के लिए बहुत जरूरी है. यह अध्ययन दिखाता है कि लेड जैसे रसायन बच्चों की याददाश्त को नुकसान पहुंचा सकते हैं."

इस अध्ययन से भविष्य में यह जानने का रास्ता खुलता है कि लेड जैसे पर्यावरणीय रसायन बच्चों के दिमाग के अन्य हिस्सों, जैसे ध्यान देने की क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता (एक्जीक्यूटिव फंक्शन) और पुरस्कार या प्रेरणा से जुड़े व्यवहार को कैसे प्रभावित करते हैं.

Advertisement

यह भी पढ़ें: हार्ट हेल्थ का पता लगाने के लिए किस उम्र में कौन से टेस्ट करवाने चाहिए? डॉक्टर ने बताया 25 का होने पर जरूर करवाएं ये 2 टेस्ट

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अध्ययन बच्चों के दिमाग को स्थायी नुकसान से बचाने के लिए नीतियों को और मजबूत करता है. इसका मतलब है कि सरकार और समाज को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो बच्चों को लेड जैसे हानिकारक पदार्थों से बचाएं, जैसे पुराने पेंट या दूषित पानी के स्रोतों को ठीक करना. इससे बच्चों का दिमागी विकास सुरक्षित रहेगा और उनकी सीखने की क्षमता पर बुरा असर नहीं पड़ेगा.

Advertisement

Watch Video: वजन कम करने का सही तरीका, उम्र के हिसाब से कितना होना चाहिए, डॉक्टर से जानें

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Delhi Ashram Case: कैसी कटी 'डर्टी बाबा' की पहली रात? | Syed Suhail | Bharat Ki Baat Batata Hoon