घुटने के गठिया के उपचार में देरी, रीढ़ की हड्डी को नुकसान पहुंचाती है : स्वास्थ्य विशेषज्ञ

घुटने के गठिया का समय पर पता न लग पाना, इसके लक्षणों की अनदेखी और उचित उपचार में देरी से आपके घुटनों की स्थिति बेहद खराब हो सकती है. यहां तक कि आपकी रीढ़ की हड्डी को भी इससे नुकसान पहुंचा सकती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

घुटने के गठिया का समय पर पता न लग पाना, इसके लक्षणों की अनदेखी और उचित उपचार में देरी से आपके घुटनों की स्थिति बेहद खराब हो सकती है. यहां तक कि आपकी रीढ़ की हड्डी को भी इससे नुकसान पहुंचा सकती है. विश्व गठिया दिवस के अवसर पर शनिवार को स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह बात कही. उनके मुताबिक इस समस्या का समय पर इलाज न करने से यह आपके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है. 

घुटने में गठिया रोग, विशेष रूप से ऑस्टियोआर्थराइटिस, जोड़ों से जुड़ी एक अपक्षयी बीमारी है जो मुख्य रूप से वयस्कों को प्रभावित करती है. यह घुटनों में दर्द, अकड़न और आपके चलने-फिरने में कमी का कारण बनता है. इससे आपको अक्सर रोजमर्रा की गतिविधियों में भी दिक्कत आती है.

शोधकर्ताओं ने बच्चों में 'आरएसवी' के गंभीर मामलों से जुड़े लक्षणों की पहचान की

हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार, घुटने के गठिया का सही समय पर उपचार न मिलने या इसकी देखरेख में कमी के दुष्परिणाम घुटने के जोड़ों की समस्याओं से कहीं आगे तक दिख सकते हैं. दिल्ली के पटपड़गंज स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉ. एल. तोमर ने कहा कि 70 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में घुटने के गठिया का सबसे आम कारण ऑस्टियोआर्थराइटिस है. ऑस्टियोआर्थराइटिस के कारण धीरे-धीरे घुटने के ज्वाइंट कंपार्टमेंट कार्टिलेज प्रभावित होते हैं जिससे घुटने की दोनों हड्डियों के बीच खाली जगह कम हो जाती है.

Advertisement

डॉ. तोमर ने आगे कहा कि घुटने के गठिया की समस्या गंभीर होने से रोगियों में अक्सर रीढ़ की हड्डी में कुछ समस्याएं देखी जाती है, क्योंकि जब रोगी धनुषाकार पैर के साथ चलना जारी रखते हैं, तो इससे रीढ़ की हड्डी पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे उसे नुकसान पहुंचता है. ऐसे मामलों में न्यूनतम चीर-फाड़ के साथ घुटने को पूरी तरह बदलकर समस्या का समाधान किया जा सकता है.

Advertisement

ऑस्टियोआर्थराइटिस में, जोड़ों के चारों ओर कई ऑस्टियोफाइट्स बनते हैं, जिससे घुटने की गतिविधियों में धीरे-धीरे कमी आती है. घुटने के गठिया के अंतिम चरण वाले रोगियों अक्सर विकृति स्थाई हो चुकी होती है और उनका चलना-फिरना बेहद सीमित रह जाता है. फोर्टिस अस्पताल के डॉ. प्रवीण गुप्ता के अनुसार, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कई समस्या गठिया का परिणाम हो सकते हैं. उदाहरण के लिए, इंफ्लेमेटरी आर्थराइटिस नर्व कंप्रेशन सिंड्रोम का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप दर्द और नम्नेस होती है. फिर भी, इन अंतर्संबंधों को अक्सर अनदेखा किया जाता है, मुख्य रूप से क्षेत्र में ज्ञान और प्रशिक्षण की कमी के कारण.
 

Advertisement

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

Advertisement
Featured Video Of The Day
Adani Group पर लगाए गए आरोपों पर Brahma Chellaney ने कहा- 'आरोपों से बिगड़ते हैं रिश्ते'