चबाते रहें च्युइंग गम... शरीर को मिलते हैं ये गजब के लाभ, रिसर्च में हुआ खुलासा

वैज्ञानिकों के मुताबिक स्लाइवा या लार का प्रवाह बढ़ता है जो गम में मिलकर बैक्टीरिया और डेड सेल्स को सोख लेता है. शुरुआत में जब गम सबसे ज्यादा एक्टिव होता है तो स्पंज की तरह बैक्टीरिया खींचता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है गम की बैक्टीरिया पकड़ने की ताकत घटने लगती है. इसलिए 10 मिनट तक चबाना मुंह के लिए अच्छा होता है.

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च्युइंग गम दांतों को साफ रखने में मदद करती है

च्युइंग गम कइयों के लिए टाइम पास है, तो कुछ इसे माउथ फ्रेशनर के तौर पर यूज करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि च्युइंग गम कितनी देर तक चबाना सही होता है? नीदरलैंड्स की 'यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रॉनिंगन' के कुछ शोधार्थियों ने कुछ साल पहले एक रोचक रिसर्च की. टीम ने पाया कि च्युइंग गम सिर्फ मुंह का स्वाद बदलने या बोरियत भगाने की चीज नहीं, बल्कि मुंह की सफाई में भी मददगार हो सकती है, बशर्ते टाइमिंग का ख्याल रखा जाए यानी इसे सही समय तक चबाया जाए.

कितने देर चबाएं च्युइंग

इस अध्ययन में 5 अलग-अलग ब्रांड्स की गम्स को 10 मिनट और 30 मिनट तक चबाकर जांचा गया. पता चला कि 10 मिनट तक चबाने से मुंह से करीब 100 मिलियन बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं! लेकिन चौंकाने वाली बात ये थी कि 30 मिनट के बाद चबाने पर इसका असर कम होने लगा. चलिए जानते हैं कि आखिर जब आप च्युइंग गम चबाते हैं तो होता क्या है? तो वैज्ञानिकों के मुताबिक स्लाइवा या लार का प्रवाह बढ़ता है जो गम में मिलकर बैक्टीरिया और डेड सेल्स को सोख लेता है. शुरुआत में जब गम सबसे ज्यादा एक्टिव होता है तो स्पंज की तरह बैक्टीरिया खींचता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है गम की बैक्टीरिया पकड़ने की ताकत घटने लगती है. इसलिए 10 मिनट तक चबाना मुंह के लिए अच्छा होता है.

एक और स्टडी है 'अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन' की. जो कहती है कि शुगर फ्री च्युइंग गम को 20 मिनट तक चबाना चाहिए और ये दांतों को साफ रखने में मदद करता है. लेकिन अकसर देखा जाता है कि स्वाद या 'बस यूं ही' चबाने वाले समय का ध्यान ही नहीं रखते और देर तक गम चबाते हैं. ये जबड़ों पर जोर डाल सकता है, खासकर अगर टीएमजे यानी 'जॉ ज्वाइंट' समस्या हो तो.

दोनों स्टडी का लबोलुआब ये है कि किसी भी च्युइंग गम को चबाने का सही समय 10 से 20 मिनट के बीच का होता है. इससे माउथ हाइजीन, लार प्रवाह और सांस की ताजगी बनी रहती है. और अगर समय की इस पाबंदी को दरकिनार किया तो तय है कि ये बेअसर होगा और कुछ मामलों में तो जबड़ों को नुकसान भी पहुंचा सकता है.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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