चुपचाप फैल रहा सुपर फंगस कैंडिडा ऑरिस, दवाओं के दे रहा मात - वैज्ञानिकों ने बजाया खतरे का अलार्म

Candida Auris Alert: कैंडिडा ऑरिस एक मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट फंगल पैथोजन है, यानी ऐसी फंगस जिस पर आम एंटीफंगल दवाएं असर नहीं करतीं. इसमें इंसानी त्वचा पर लंबे समय तक जिंदा रहने और तेजी से फैलने की अनोखी क्षमता है.

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Candida Auris Alert: कैंडिडा ऑरिस दुनियाभर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.

Deadly Fungal Infection: अब तक जब भी संक्रमण की बात होती थी, तो ज्यादातर चर्चा बैक्टीरिया या वायरस तक ही सीमित रहती थी. लेकिन, हाल के सालों में एक खामोश लेकिन बेहद खतरनाक दुश्मन तेजी से उभर रहा है फंगल इंफेक्शन. इन्हीं में से एक है कैंडिडा ऑरिस, जो अब दुनियाभर के वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. कैंडिडा ऑरिस कोई सामान्य फंगस नहीं है. यह एक मल्टीड्रग-रेसिस्टेंट फंगल पैथोजन है, यानी ऐसी फंगस जिस पर आम एंटीफंगल दवाएं असर नहीं करतीं. सबसे डरावनी बात यह है कि इसमें इंसानी त्वचा पर लंबे समय तक जिंदा रहने और तेजी से फैलने की अनोखी क्षमता है. यही वजह है कि अस्पतालों और आईसीयू में यह गंभीर खतरे के रूप में देखा जा रहा है.

भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों की अहम स्टडी

इस खतरनाक फंगस को लेकर भारत और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक अध्ययन किया है. यह रिसर्च वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट, दिल्ली विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) की टीम के साथ मिलकर की. यह स्टडी प्रतिष्ठित साइंटिफिक जर्नल माइक्रोबायोलॉजी और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी समीक्षाएं में प्रकाशित हुई है.

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स्टडी में सामने आया कि फंगल इंफेक्शन अब वैश्विक स्तर पर तेजी से फैल रहे हैं और हर साल करीब 6.5 मिलियन लोग किसी न किसी फंगल बीमारी से प्रभावित हो रहे हैं. इससे जुड़ी मौतों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है, जो मेडिकल साइंस के लिए चिंता का बड़ा कारण है.

कैंडिडा ऑरिस इतना खतरनाक क्यों है? | Why is Candida Auris So Dangerous? 

शोधकर्ताओं के मुताबिक, कैंडिडा ऑरिस ने खुद को जिंदा रखने के लिए बेहद चालाक सेलुलर रणनीतियां अपनाई हैं. यह फंगस बार-बार खुद को बदलता है, कोशिकाओं के समूह (क्लस्टर) बनाता है और वातावरण के अनुसार अपने फेनोटाइपिक जेनेटिक एक्सप्रेशन यानी दिखने वाले गुणों में बदलाव करता रहता है. इसी वजह से इसे खत्म करना मुश्किल हो जाता है.

स्टडी में यह भी बताया गया कि कैंडिडा ऑरिस इंसानी त्वचा पर कब्जा करने में बेहद सक्षम है. इसके सेल वॉल में मौजूद खास प्रोटीन एक तरह के गोंद की तरह काम करते हैं, जो न सिर्फ इंसानी कोशिकाओं से चिपक जाते हैं, बल्कि निर्जीव सतहों जैसे अस्पताल के बेड, मशीनें और उपकरण पर भी लंबे समय तक टिके रहते हैं.

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एक से दूसरे इंसान में तेजी से फैलने का खतरा:

कैंडिडा ऑरिस की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह त्वचा पर लंबे समय तक बना रह सकता है और बहुत आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल जाता है. अस्पतालों में भर्ती कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीज, बुजुर्ग और आईसीयू में इलाज करा रहे लोग इसके सबसे बड़े शिकार बनते हैं.

शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जिन मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनमें कैंडिडा ऑरिस ब्लड इंफेक्शन और गंभीर अंग संक्रमण का रूप ले सकता है, जो जानलेवा भी साबित हो सकता है.

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डायग्नोसिस और इलाज क्यों है चुनौती?

कैंडिडा ऑरिस की पहचान करना भी आसान नहीं है. ज्यादातर पारंपरिक लैब टेस्ट इसे सही तरीके से पकड़ नहीं पाते, जिससे गलत पहचान या देरी हो जाती है. नतीजतन, इलाज शुरू होने में समय लग जाता है और मरीज की हालत बिगड़ सकती है.

इसके अलावा, यह फंगस शरीर की इम्यून सिस्टम से बचने के लिए सक्रिय तरीके अपनाता है, जिससे होस्ट का डिफेंस मैकेनिज्म भी कई बार नाकाम हो जाता है.

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आगे का रास्ता क्या है?

अच्छी बात यह है कि इस नई मेडिकल चुनौती को लेकर अब जागरूकता बढ़ रही है और रिसर्च की रफ्तार भी तेज हुई है। वैज्ञानिकों ने ज़ोर दिया है कि:

  • नए ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीफंगल एजेंट्स विकसित किए जाएं.
  • डायग्नोस्टिक टेस्ट को ज्यादा सटीक और तेज बनाया जाए.
  • हाई-रिस्क मरीजों के लिए इम्यून और वैक्सीन-आधारित रणनीतियों पर काम हो.

साथ ही, खासकर उन देशों में जहां संसाधन सीमित हैं, वहां फंगल बीमारियों की निगरानी और जागरूकता के लिए बेहतर सिस्टम बनाने की सख्त जरूरत है.

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कैंडिडा ऑरिस एक ऐसा खतरा है, जो दिखता नहीं लेकिन तेजी से फैल रहा है. यह सिर्फ एक मेडिकल समस्या नहीं, बल्कि आने वाले समय की वैश्विक हेल्थ चुनौती बन सकता है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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