जब भी हमें किसी बात का बुरा लग जाता है या कोई बात चुभ जाती है, तो अक्सर हम कहते हैं कि हमारा दिल टूट गया है और शायद हम कल्पना भी करते हैं, कि दिल के टुकड़े हो चुके होंगे, लेकिन अगर आपके मन में ऐसा प्रश्न उठ रहा है कि क्या सच में दिल टूट जाता है और क्या क्या आप सचमुच टूटे दिल से मर सकते हैं? तो बता ऐसा संभव हो सकता है. आइए इस बारे में जानते हैं.
सोशल मीडिया एक डॉक्टर ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हां, टूटे हुए दिल के भावनात्मक तनाव से मरना संभव है, हालांकि यह काफी दुर्लभ है. इस स्थिति को टूटे हुए दिल सिंड्रोम या ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी (Takotsubo cardiomyopathy) के रूप में जाना जाता है.
यह एक अस्थायी हृदय की स्थिति है जो किसी प्रियजन की मृत्यु जैसे तीव्र भावनात्मक या शारीरिक तनाव से शुरू हो सकती है. जबकि ज्यादातर लोग भावनात्मक तनाव आने पर खुद पर काबू पा लेते हैं. हालांकि यह काफी दुर्लभ मामलों में से एक है, लेकिन गंभीर होने पर यह दिल सिंड्रोम यानी ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी मृत्यु का कारण भी बन सकता है.
ये भी पढ़ें- जस्टिन टिम्बरलेक को हुआ लाइम रोग, जानिए इस बीमारी के लक्षण, कारण और इससे बचने के उपाय
आखिर क्यों होता है ऐसा?
इसका सटीक कारण पूरी तरह से समझा नहीं जा सका है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह तनाव हार्मोन, जैसे कि एड्रेनालाईन (Adrenaline) के अचानक बढ़ने के कारण होता है, जो आपके हृदय की मांसपेशियों को झटका दे सकता है. इससे दिल की विफलता, अनियमित दिल की धड़कन और यहां तक कि कार्डियोजेनिक शॉक (cardiogenic shock) भी हो सकता है, जिसमें आपका दिल आपके शरीर की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त मात्रा में खून को पंप करने में असमर्थ होता है.
ज्यादातर लोग इससे हो जाते हैं ठीक
इस स्थिति के आने पर ज्यादातर मरीज आमतौर पर एक महीने के भीतर ठीक हो जाते हैं, हालांकि पहले से ही हृदय रोग या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त व्यक्तियों में मृत्यु का जोखिम अधिक बढ़ सकता है, ऐसे में अगर यह स्थिति आए तो डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी जाती है.
Watch Video: मोटापा कैसे कम करें? | मोटापा दूर करने के तरीके | How to Lose Weight | Motapa Kaise Kam Kare
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)