Bulandshahr Rabies Case: जिस कुत्ते की बचाई जान, उसी ने काटा, कुछ हफ्ते बाद रेबीज से हुई कबड्डी खिलाड़ी की मौत

What Is Rabies: आज भी दुनिया के कई देशों में रेबीज एक जानलेवा बीमारी बनी हुई है. यह वायरस ज्यादातर जानवरों की लार से फैलता है, खासकर काटने पर. 

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रेबीज के लक्षणों को पहचानें, ऐसे रहें सतर्क.

What Is Rabies : उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हाल ही में एक स्टेट लेवल कबड्डी खिलाड़ी (state-level kabaddi player) की मौत ने सभी को चौंका दिया. मृतक कबड्डी प्लेयर का नाम ब्रजेश सोलंकी (Kabbadi Player Brijesh Solanki) है. 19 साल का यह युवक कुछ समय पहले एक कुत्ते के काटने का शिकार हुआ था. शुरू में चोट मामूली लगी, लेकिन कुछ हफ्तों बाद उसे तेज बुखार, घबराहट और पानी से डर जैसा अजीब बर्ताव दिखने लगा. डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि उसे रेबीज (Bulandshahr died of rabies) हो गया है. इलाज शुरू होने से पहले ही उसकी हालत बिगड़ती चली गई और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया.

सतर्क रहें : यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि कुत्ते के काटने को कभी हल्के में न लें. रेबीज एक ऐसा वायरस है, जो अगर समय रहते ना रोका जाए, तो सीधे जान ले सकता है.

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कैसे फैलता है रेबीज? (How is rabies spread?)

रेबीज वायरस संक्रमित जानवर की लार से फैलता है. यह लार तब शरीर में पहुंचती है जब कोई संक्रमित जानवर किसी इंसान को काटता है या उसकी खुली त्वचा या आंख, नाक, मुंह जैसी जगहों पर लार आ जाती है.

अमेरिका जैसे देशों में चमगादड़, लोमड़ी, रैकून, स्कंक और कोयोट इसके मुख्य कारण हैं. लेकिन भारत जैसे देशों में यह बीमारी सबसे ज्यादा कुत्तों के काटने से फैलती है. खासकर आवारा कुत्तों से संपर्क होने पर खतरा ज्यादा रहता है.

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चमगादड़ से खतरा ज्यादा क्यों?

चमगादड़ से रेबीज फैलने का खतरा इसलिए बढ़ा माना जाता है क्योंकि कई बार व्यक्ति को यह पता ही नहीं चलता कि उसे काटा गया है. कभी-कभी तो यह भी देखा गया है कि चमगादड़ की लार अगर किसी के खुले घाव या त्वचा पर गिर जाए, तो वायरस शरीर में पहुंच सकता है.

अगर आप रात में सो रहे हों और सुबह उठने पर कमरे में चमगादड़ दिखे, तो यह मानकर चलना चाहिए कि वह संपर्क में आ चुका है. इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से मिलना और टीकाकरण कराना जरूरी है.

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रेबीज के लक्षण क्या हैं?

रेबीज के शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू जैसे हो सकते हैं. जैसे - बुखार, सिरदर्द, उल्टी या कमजोरी.
बाद के लक्षणों में ये शामिल हो सकते हैं:

-बेचैनी या भ्रम
-बहुत ज्यादा गुस्सा या डर
-पानी या हवा से डर लगना
-निगलने में परेशानी
-शरीर के कुछ हिस्सों में लकवा
-ज्यादा नींद न आना

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एक बार ये लक्षण दिखने लगे तो मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है.

खतरा किन्हें ज्यादा है?

कुछ लोगों को रेबीज का खतरा बाकी लोगों से ज्यादा होता है, जैसे:

-जो ऐसे देशों में रहते हैं जहां रेबीज आम है.
-जो गुफाओं की खोज करते हैं या जंगलों में कैंपिंग करते हैं.
-पशु चिकित्सक या लैब में काम करने वाले लोग.
-सिर या चेहरे पर घाव वाले लोग.

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कैसे बचें?

-अपने पालतू कुत्ते और बिल्ली को समय पर टीका लगवाएं.
-उन्हें घर के अंदर रखें या बाहर ले जाते समय निगरानी रखें.
-छोटे पालतू जानवरों को खुले में न छोड़ें.
-किसी भी जंगली या अजीब व्यवहार करने वाले जानवर के पास न जाएं.
-घर में चमगादड़ों की एंट्री रोकें और जरूरत हो तो एक्सपर्ट की मदद लें.
-यदि आप रेबीज प्रभावित इलाके में रहते हैं या जा रहे हैं, तो पहले से टीका लगवाने पर विचार करें.

किसी भी जानवर के काटने या खरोंचने पर तुरंत क्या करें:

1. घाव को साबुन और साफ पानी से अच्छे से धोएं.
2. पास के अस्पताल जाएं.
3. डॉक्टर की सलाह से रेबीज का टीका लगवाएं.

ध्यान रखें, एक बार लक्षण शुरू हो गए तो इलाज लगभग नामुमकिन है. इसलिए सावधानी ही सबसे अच्छा बचाव है.

(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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