पैरासिटामोल से भी तेज असर करती है ये देसी जड़ी-बूटी, जानिए कैसे करें बुखार में इस्तेमाल

नारी दमदमी सिर्फ बुखार में ही नहीं, बल्कि शरीर के अंदर जमा विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालती है. यह शरीर को डिटॉक्स करती है, पाचन सुधारती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है. यही कारण है कि इसे अचूक आयुर्वेदिक औषधि कहा गया है.

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हालांकि यह पूरी तरह प्राकृतिक दवा है, फिर भी इसका सेवन बिना किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ या वैद्य की सलाह के नहीं करना चाहिए.

Nari damdami ke fayde : आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियां बताई गई हैं, जो सामान्य दवाइयों से भी तेज असर करती हैं. ऐसी ही एक अद्भुत औषधि है नारी दमदमी. इसे बुखार, खासकर चिकनगुनिया जैसे तेज बुखार में बेहद प्रभावी माना गया है. जिन लोगों ने इसका इस्तेमाल किया है, वे बताते हैं कि यह पैरासिटामोल जैसी दवा से भी तेज असर करती है और शरीर को जल्दी राहत देती है. 

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कैसे करें नारी दमदमी का बुखार में इस्तेमाल

नारी दमदमी एक जड़ी-बूटी है जो गांवों और खेतों के किनारों पर आसानी से मिल जाती है. इसका उपयोग करने का पारंपरिक तरीका बहुत सरल है. इसके लिए 5 ग्राम ताजी जड़ सहित पूरा पौधा लें और उसे थोड़ा कूट लें. अब इसमें 3 काली मिर्च मिलाकर चार कप पानी में डालें और धीमी आंच पर उबालें. जब पानी उबलकर एक कप रह जाए, तब उसे छान लें. यह काढ़ा सुबह खाली पेट पीने से बुखार तेजी से उतरता है और शरीर को ताकत भी मिलती है.

कितने दिन तर करें इसका सेवन

इस औषधि का सेवन लगातार सात दिन से अधिक नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका प्रभाव बहुत तेज होता है. सात दिन की खुराक आमतौर पर शरीर को पूरी तरह ठीक करने के लिए पर्याप्त मानी जाती है. नारी दमदमी बुखार के साथ आने वाले दर्द, कमजोरी, जोड़ों में सूजन और थकान को भी कम करती है. खासकर चिकनगुनिया जैसे बुखार में, जब जोड़ों में दर्द असहनीय हो जाता है, तब यह जड़ी-बूटी बहुत राहत देती है.

इन बातों का रखें खास ध्यान

इस औषधि को लेते समय एक बात का खास ध्यान रखने की जरूरत है. घी का सेवन अधिक करें. आयुर्वेद के अनुसार नारी दमदमी शरीर में उष्णता (गर्मी) बढ़ाती है, इसलिए घी शरीर के अंदर उस गर्मी को संतुलित करता है और औषधि के असर को सही दिशा में काम करने में मदद करता है. साथ ही घी शरीर की शक्ति और स्निग्धता (लुब्रिकेशन) बनाए रखता है, जिससे बुखार के बाद कमजोरी नहीं होती.

नारी दमदमी सिर्फ बुखार में ही नहीं, बल्कि शरीर के अंदर जमा विषाक्त पदार्थों को भी बाहर निकालती है. यह शरीर को डिटॉक्स करती है, पाचन सुधारती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है. यही कारण है कि इसे अचूक आयुर्वेदिक औषधि कहा गया है.

हालांकि यह पूरी तरह प्राकृतिक दवा है, फिर भी इसका सेवन बिना किसी आयुर्वेद विशेषज्ञ या वैद्य की सलाह के नहीं करना चाहिए.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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