महाराष्ट्र में आई फ्लू के साढ़े तीन लाख मरीज, इस जिले में सबसे ज्यादा केस, जानें क्यों बढ़ रहे हैं मामले

पुणें में कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या 28042 तक रिपोर्ट की गई है. इसके साथ ही जलगांव में 22417, नांदेड़ में 18996, चंद्रपुर में 15348, अमरावती में कंजंक्टिवाइटिस के 14738 मामले सामने आए हैं.

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Eye Flu: आंखों पर अटैक करने वाला ये वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं.

मॉनसून के दौरान कंजंक्टिवाइटिस सबसे आम संक्रमणों में से एक है. हर साल मानसून शुरू होते ही आंखों में इफेक्शन, कंजंक्टिवाइटिस की शिकायतें बढ़ जाती हैं. इस बार भी पूरे भारत में आई फ्लू के मामले काफी तेजी से बढ़े हैं. यह बीमारी बहुत ज्यादा संक्रामक है और काफी दर्दनाक भी है. महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों में ‘आई फ्लू' से पीड़ित मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है और महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की है कि 9 अगस्त तक महाराष्ट्र में कंजंक्टिवाइटिस वायरल के करीब साढ़े तीन लाख मरीज मिले हैं. 

लगभग हर जिले में कंजंक्टिवाइटिस के मरीज

महाराष्ट्र में करीब साढ़े तीन लाख लोग कंजंक्टिवाइटिस वायरल यानी 'आई फ्लू' की चपेट में आ चुके हैं. सबसे ज्यादा मरीजों की बाढ़ बुलढाणा जिला में आई है. बुलढाणा में सबसे ज्यादा 44398 मामले हैं.

पुणे दूसरे नंबर पर

पुणें में कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या 28042 तक रिपोर्ट की गई है. इसके साथ ही जलगांव में 22417, नांदेड़ में 18996, चंद्रपुर में 15348, अमरावती में कंजंक्टिवाइटिस के 14738 मामले सामने आए हैं.

महाराष्ट्र में कंजंक्टिवाइटिस के लगभग एक-तिहाई मामले बुलढाणा, पुणे और जलगांव में हैं. 

मुंबई में कंजंक्टिवाइटिस के 2862 मरीज मिले हैं. बीएमसी द्वारा संचालित नायर अस्‍पताल की डॉक्टर नैना पोत्दार बताती हैं की हर साल कि तुलना में इस बार मरीजों की संख्या में बढ़त है और सबसे ज्यादा युवा इसके शिकार हैं. लोग अनजाने में संक्रमण बहुत फैला रहे हैं, आंख छूकर इधर उधर छूना, इससे जल्दी फैलता है.

कंजंक्टिवाइटिस के लक्षण

लक्षण की बात करें, तो इसमें अचानक आंखें लाल हो जाती हैं. पानी निकलने लगता है. खुजली होती है. दोनों पलक सूज जाती हैं.

कितना खतरनाक है ये वायरस?

इस फ्लू इंफेक्शन की वजह है एडिनोवायरस. हालांकि एक्सपर्ट का कहना है कि आंखों पर अटैक करने वाला ये वायरस ज्यादा खतरनाक नहीं. डेढ़ से दो हफ्ते में वायरस का असर खत्म हो जाता है. वैसे इस वायरस पर शोध जारी है  ताकि पता चल सके कि इस बार संक्रमण अधिक फैलने का कारण वायरस का कोई नया स्ट्रेन तो नहीं है.

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