गुरुवार को हिमाचल के कई इलाकों में भारी बारिश और बर्फबारी हुई है. लेकिन इस साल वैसी बर्फबारी और बारिश नहीं हुई जैसी कि आमतौर पर होती रही है. इसका असर ये हुआ कि सेब उगाने वालों किसानों पर मौसम की मार पड़ी है. कम बर्फबारी और बारिश ने किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी है. नारकंडा-कुफरी और मनाली से सटे सोलंगनाला समेत पर्वतीय क्षेत्रों में ताजा बर्फबारी के साथ कांगड़ा, मंडी, चंबा और कुल्लू में झमाझम बादल बरसे, वहीं अन्य जिलों में भी बारिश हुई. बर्फबारी की वजह से कुल्लू-लाहौल के बीच अटल टनल और जलोड़ी दर्रा से वाहनों की आवाजाही ठप हो गई थी. एनएच समेत नारकंडा और कुफरी में बर्फबारी के चलते राजधानी और अपर शिमला के बीच आवाजाही बाधित रही. हालांकि अब तमाम सड़कों पर आवाजाही शुरू हो चुकी है. अब आने वाले दिनों में मौसम एकदम साफ रहेगा. इसका मतलब ये है कि अभी किसानों को कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है.
कुल्लू के मौसम का क्या हाल
हिमाचल के कुल्लू में 22 फरवरी को अधिकतम तापमान 23 डिग्री सेल्सियस तक जाएगा, वहीं न्यूनतम तापमान 3 डिग्री रहेगा. इसके बाद 23 फरवरी के दिन न्यूनतम तापमान 3 डिग्री रहेगा जबकि अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस तक जाएगा. इसके बाद 24 फरवरी को भी मौसम साफ रहेगा. हालांकि 25 फरवरी से बारिश की शुरुआत होगी, जो कि अगले कुछ दिनों तक जारी रहेगी.
बदलते मौसम ने बढ़ाई किसानों की परेशानी
हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से राज्य के किसान परेशान नजर आ रहे हैं. जनवरी महीने में 84 फीसदी और फरवरी महीने के 11 दिनों में 51 फीसदी तक कम बारिश हुई है. बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से सेब की पैदावार पर खतरा मंडरा रहा है. किसान अपने साल भर की मेहनत को लेकर खासे चिंतित नजर आ रहे हैं. राज्य में लाखों लोगों की रोज़ी-रोटी इसी के साथ जुड़ी हुई है. ऐसे में अगर मौसम का साथ नहीं मिलेगा, तो किसान को परेशान होना लाजिमी है.. यह राज्य सरकार के लिए भी चिंता का विषय है.
किसानों के लिए क्या मुसीबत
बर्फबारी और बारिश न होने की वजह से सेब की पैदावार पर सीधा असर पड़ रहा है. किसान अपने साल भर की मेहनत को लेकर बेहद चिंतित हैं. सर्दियों के मौसम में वैसी बर्फबारी नहीं हुई जैसी की सेब की फसल के लिए मुफीद होती है. बर्फबारी न होने की वजह से पौधे की जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं. यही नहीं, बर्फबारी होने से कई ऐसे कीड़े-मकौड़े भी मर जाते हैं, जो पौधे को नुकसान पहुंचा सकते हैं. मौसम में देखा जा रहा यह बदलाव चिंता का विषय है. मौसम में बदलाव की वजह से पौधों की प्रकृति में भी बदलाव हो रहा है.
सेब की फसल का नुकसान
बेहतर पैदावार के लिए पौधे को नमी की जरूरत होती है. बर्फ न होने की वजह से ठीक नमी नहीं मिल पा रही है. यह सभी बागवानों के लिए चिंता का विषय है. ऐसा लगातार तीसरी बार हो रहा है, जब राज्य में सूखे जैसे हालात पैदा हो रहे हैं. बीते साल भी सही तरह से बर्फबारी न होने की वजह से सेब की पैदावार पर काफी असर पड़ा था नतीजतन कई बागवानों के सेब खराब हो गए थे और उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था. सेब हिमाचल प्रदेश की एक मजबूत आर्थिकी का साधन है. ऐसे में सेब की फसल का नुकसान होना पर राज्य को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.
बारिश और बर्फबारी ना होने से किसानों का नुकसान
इस सर्दी में दिसंबर से शुरू होकर पांच बार बर्फबारी हुई है, लेकिन एक बार भी बर्फबारी एक या दो इंच से अधिक नहीं हुई. यह वाकई चिंताजनक है. जबकि इससे कुछ साल पहले तक एक बार में एक से दो फीट बर्फबारी होना आम बात थी. ठीक से बारिश भी नहीं हो रही है. केवल 8,000 फीट से 8,500 फीट से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में ही दो से तीन इंच बर्फबारी हो रही है. हालात और भी खराब हो रहे हैं, क्योंकि सेब उगाने वाले निचले इलाकों में सर्दियों की बारिश भी नहीं हो रही है. जब ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होती है तो लगभग पांच से छह इंच बर्फ गिरती है. लेकिन ना अब वैसे बर्फबारी हो रही और ना ही बारिश. जिसकी वजह से सेब की फसल का नुकसान हो रहा है.
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, सेब उगाने वाले क्षेत्र में पर्याप्त बर्फबारी नहीं हो पा रही है, इसका मुख्य कारण दक्षिण से आने वाली गर्म हवाओं का पश्चिमी विक्षोभ के साथ संपर्क है. जब दक्षिण से आने वाली हवाएं पश्चिमी विक्षोभ के साथ संपर्क करती हैं, तो बर्फबारी की मात्रा कम हो जाती है. बर्फबारी की मात्रा बादलों की गति पर भी निर्भर करती है. यदि बादल तेजी से घूमेंगे तो बर्फबारी कम होगी. लेकिन अगर बादल धीमी गति से चल रहे हैं, तो बर्फबारी अधिक होगी.