ब्लाउज सिलकर समय से नहीं दे पाया टेलर, खराब हो गया शादी का जश्न, फिर कोर्ट ने सुनाई सजा

Gujarat News: अहमदाबाद में एक महिला को समय पर डिज़ाइनर ब्लाउज न सिलकर उसकी शादी का जश्न खराब करना एक डिज़ाइनर शॉप के मालिक को महंगा पड़ गया. उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने इसे न केवल सेवा में कमी माना.

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  • अहमदाबाद के नवरंगपुरा की पूनमबेन ने अपनी शादी के लिए डिज़ाइनर ब्लाउज सिलाने की पूरी राशि पहले ही चुकाई थी
  • डिज़ाइनर शॉप के मालिक ने समय पर ब्लाउज नहीं दिया जिससे पूनमबेन का शादी का जश्न प्रभावित हुआ और मानसिक कष्ट हुआ
  • उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने सेवा में कमी मानते हुए डिज़ाइनर शॉप मालिक को मुआवजा देने का आदेश दिया
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अहमदाबाद में एक महिला को समय पर डिज़ाइनर ब्लाउज न सिलकर उसकी शादी का जश्न खराब करना एक डिज़ाइनर शॉप के मालिक को महंगा पड़ गया. उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (कंज्यूमर कोर्ट) ने इसे न केवल सेवा में कमी माना, बल्कि ग्राहक को हुई 'मानसिक प्रताड़ना' के लिए हर्जाना चुकाने का भी आदेश दिया है.

क्या था मामला?

यह मामला अहमदाबाद के नवरंगपुरा स्थित सोनी डिज़ाइनर शॉप से जुड़ा है. नवरंगपुरा की निवासी पूनमबेन हितेश भाई पारिया ने अपनी शादी के अवसर के लिए शॉप के मालिक को एक डिज़ाइनर ब्लाउज सिलने को दिया था. पूनमबेन ने ब्लाउज की सिलाई का पूरा खर्च 4,395 रुपये पहले ही दे चुके थे.

शिकायतकर्ता पूनमबेन का आरोप था कि शादी होने के बावजूद, डिज़ाइनर शॉप के मालिक हरेश भाई ने निर्धारित समय पर ब्लाउज सिलकर नहीं दिया, जिससे उनका विशेष अवसर का जश्न खराब हो गया. समय पर ब्लाउज न मिलने के कारण उन्हें गंभीर मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ा.

उपभोक्ता न्यायालय में हुई शिकायत

अपनी पीड़ा और सेवा में कमी के लिए न्याय की मांग करते हुए, पूनमबेन ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, अहमदाबाद के अतिरिक्त न्यायालय में मुआवजे के लिए शिकायत दर्ज कराई. उन्होंने अपनी शिकायत के समर्थन में अग्रिम भुगतान की रसीद, शादी की कंकोत्री (शादी का कार्ड) और अन्य आवश्यक साक्ष्य प्रस्तुत किए.

कोर्ट का मिसाल कायम करने वाला फैसला

पूरे मामले पर विचार करने के बाद, माननीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग, अहमदाबाद ने सोनी डिज़ाइनर शॉप के मालिक हरेशभाई को कड़ा आदेश दिया. न्यायालय ने उन्हें निर्देश दिया कि वे शिकायतकर्ता को निम्न राशि का भुगतान करें:

मूल राशि (ब्लाउज सिलाई शुल्क): 4,395/- रुपये, 7% वार्षिक साधारण ब्याज सहित.

मानसिक यातना के लिए मुआवजा: 5,000/- रुपये.

कानूनी खर्च: 2,000/- रुपये.

न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि यह सम्पूर्ण भुगतान आदेश की तिथि से 45 दिनों के भीतर अकाउंट पे चेक के माध्यम से किया जाए और भुगतान का विवरण न्यायालय में जमा कराया जाए.

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उपभोक्ता न्यायालय का यह फैसला सेवा प्रदाताओं के लिए एक सख्त संदेश है कि अग्रिम भुगतान लेने के बाद समय पर सेवा प्रदान करना उनकी जिम्मेदारी है, और इसमें किसी भी तरह की कोताही करने पर उन्हें मानसिक प्रताड़ना सहित भारी हर्जाना चुकाना पड़ सकता है.

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