Sheetala Ashtami 2025: हिंदू धर्म में शीतला अष्टमी का बहुत महत्व है. पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है जिसे बासोड़ा पूजा भी कहा जाता है. इस दिन माता को बासी खाने का भोग लगाया जाता है. इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 22 मार्च को रखा जाएगा. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता की पूजा करने से भक्त रोगों से दूर रहते हैं. शीतला माता को चेचक की देवी माना जाता है. उन्हें सफाई का प्रतीक माना जाता है जो ताप या अग्नि उत्पन्न करने वाले रोगों से मुक्त करती हैं. तो चलिए जानते हैं भोग में लगने वाले व्यंजन और महत्व.
शीतला अष्टमी पर बनाएं जाने वाले भोग- (Sheetala Ashtami Bhog)
अष्टमी के दिन मां शीतला को पूजन के समय बासी शीतल पदार्थों का भोग लगाया जाता है. जिसमें मीठे चावल, बिना नमक की पूड़ी, पूए, गुलगुले, पकौड़े, कढ़ी, चने की दाल, हलुवा, रवड़ी आदि शामिल हैं.
ये भी पढ़ें- बुलेट की स्पीड से शरीर में बढ़ेगा विटामिन-बी12, बस सुबह खाली पेट खा लें ये 3 ड्राई फ्रूट्स
शीतला अष्टमी का महत्व- (Sheetala Ashtami Importance)
शीतला अष्टमी या बासोड़ा पर्व के दिन घरों में भोजन पकाने के लिए आग नहीं जलाई जाती. इसलिए माता को चढ़ने वाला प्रसाद एक दिन पहले ही तैयार कर लिया जाता है. माना जाता है कि, देवी शीतला अपने भक्तों की कई रोगों से रक्षा करती हैं.
क्यों लगाते हैं बासी खाने का ही भोग- Sheetala Ashtami Par Kyu Lagta Hai Basi Khane Ka Bhog)
धार्मिक मान्यता के अनुसार शीतला माता को बासी भोजन ही पसंद है. इसलिए उनको बासी खाने का ही भोग लगाया जाता है और इस दिन घरो में चूल्हा नहीं जलता. वहीं इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है. चैत्र का महीना ठंड के जाने और गर्मियों के शुरू होने के लिए जाना जाता है. इस मौसम के बदलाव में बीमार होने का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है. ऐसे में ठंडा खाना खाया जाता है. ठंडा भोजन करने से पेट और पाचन तंत्र को भी लाभ मिल सकता है.
Epilepsy Treatment: मिर्गी क्या है? कारण, लक्षण, इलाज | किन लोगों को होती है? डॉ. नेहा कपूर से जानिए
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)