Lunar Eclipse 2020: आज 30 नवंबर 2020 को साल का आखिरी चंद्रग्रहण है. इस साल कुल 6 ग्रहण थे, जिसमें से एक चंद्रग्रहण आज और एक सूर्य ग्रहण दिसंबर में लगेगा. आज कार्तिक पूर्णिमा में ये ग्रहण लगने से अधिक खास माना जाता रहा है. माना जा रहा है कि इस चंद्रग्रहण को एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में देखा जाएगा. चंद्रग्रहण से पहले के समय को सूतक काल कहा जाता है. इसलिए ग्रहण लगने से पहले किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है. कई विद्वानों का मत है. सूतक काल ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले शुरू होता है, और ग्रहण खत्म होने के साथ ही खत्म हो जाता है. लेकिन ये साल का आखिरी चंद्रग्रहण एक उपछाया चंद्रग्रहण है, इस वजह से इस चंद्रग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा. हालांकि नक्षत्र और राशि में लगने का असर कुछ राशि के जातकों पर जरूर पड़ सकता है. मान्यता है कि चंद्र और सूर्य ग्रहण होने से हर व्यक्ति के जीवन में कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं. ये चंद्र ग्रहण कई मामलों में विशेष है. ग्रहण से जुड़ी मान्यताएं यहां जानें.
चंद्रग्रहण के दौरान किन चीजों का करें सेवन और किन चीजों से रहे दूर यहां जानेंः
1. चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. हालांकि साल का अंतिम चंद्र ग्रहण उपच्छाया है यानि पूर्ण नहीं है, इसलिए इसमें सूतक काल मान्य नहीं है. लेकिन गर्भवती स्त्रियां पूरी सावधानी बरतें. वे लोग जो बीमार हैं या जो बुजुर्ग हैं उन्हें इस दौरान उपवास नहीं करना चाहिए. लेकिन वे इस दौरान हल्का सात्विक भोजन ले सकते हैं. जो पचने में आसान हो और पेट के लिए भी हल्के हों. इस दौरान खाने में आप मेवे ले सकते हैं. यह कम मात्रा में खाने पर भी शरीर को पूरी एनर्जी देंगे.
2. माना जाता है कि इस दौरान पानी पीने से भी बचना चाहिए. अगर आप बीमार हैं या आप गर्भवती हैं तो आप हल्का गर्म पानी पी सकते हैं.
3. माना जाता है कि ग्रहण पोषक तत्वों को प्रभावित कर सकता है. इस दौरान खाना पकाने की भी मनाही होती है.
4. माना जाता है कि कुछ लोग पूरे ग्रहण के दौरान व्रत रखते हैं और कुछ खाते व पीते नहीं हैं.
5. महिलाओं को ग्रहण के दौरान सात्विक भोजन लेने की सलाह दी जाती है.
6. माना जाता है कि पानी में कुछ बूंदे तुलसी के या पत्ते डालकर इसे उबाल कर पीना चाहिए.
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ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कहानी, (कथा):
ग्रहण से जुड़ी पौराणिक के अनुसार माना जाता है, कि जब दैत्यों ने तीनों लोक पर अपना अधिकार जमा लिया था, तब देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी. देवताओं ने तीनों लोक को असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु का आह्वान किया गया था. तब भगवान विष्णु ने देवताओं को क्षीर सागर का मंथन करने के लिए कहा और इस मंथन से निकले अमृत का पान करने के लिए कहा. भगवान विष्णु ने देवताओं को चेताया था, कि ध्यान रहे अमृत असुर न पीने पाएं. क्योंकि तब इन्हें युद्ध में कभी हराया नहीं जा सकेगा. भगवान के कहे अनुसार देवताओं में क्षीर सागर में मंथन किया. समुद्र मंथन से निकले अमृत को लेकर देवता और असुरों में लड़ाई हुई. उस समय भगवान विष्णु ने मोहनी रूप धारण कर एक तरफ देवता और एक तरफ असुरों को बिठा दिया और कहा कि बारी-बारी से सबको अमृत मिलेगा. यह सुनकर एक असुर देवताओं के बीच भेष बदलकर बैठ गया, लेकिन चंद्र और सूर्य उसे पहचान गए और भगवान विष्णु को इसकी जानकारी दी, लेकिन तब तक भगवान उसको अमृत दे चुके थे. अमृत गले तक पहुंचा था कि भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से असुर के धड़ को सिर से अलग कर दिया, लेकिन तब तक उसने अमृतपान कर लिया था. हालांकि, अमृत गले से नीच नहीं उतरा था, लेकिन उसका सिर अमर हो गया. सिर राहु बना और धड़ केतु के रूप में अमर हो गया. भेद खोलने के कारण ही राहु और केतु की चंद्र और सूर्य से दुश्मनी हो गई. कालांतर में राहु और केतु को चंद्रमा और पृथ्वी की छाया के नीचे स्थान प्राप्त हुआ है. उस समय से राहु और केतु सूर्य एवं चंद्रमा से द्वेष रखते हुए समय-समय पर इनका ग्रास यानि ग्रहण करते हैं. इसी प्रक्रिया को ग्रहण कहा जाता है.
चंद्रग्रहण का समयः
ग्रहण का प्रारम्भ: 30 नवंबर 2020 की दोपहर 1:04 बजे.
ग्रहण समाप्त : 30 नवंबर 2020 की शाम 5:22 बजे
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.
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