Rahul Gandhi ने मशूहर 'घंटेवाला' दुकान पर बनाई इमरती और बेसन के लड्डू, क्यों फेमस है ये दुकान, पढ़िए यहां

राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ एक नेता का दुकान पर आना नहीं है, बल्कि यह 200 साल से ज्यादा पुरानी एक ऐसी विरासत से जुड़ना है, जिसका इतिहास सीधे मुगल काल से जुड़ा हुआ है.

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'घंटेवाला' नाम सुनते ही जहन में सवाल आता है कि आखिर एक मिठाई की दुकान का नाम 'घंटेवाला' क्यों पड़ा?

Rahul gandhi viral video : आजकल सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी का एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने पूरे देश का ध्यान एक बार फिर दिल्ली की एक बेहद खास और ऐतिहासिक जगह पर खींच लिया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं चांदनी चौक की मशहूर 'घंटेवाला स्वीट शॉप' की. इस वायरल वीडियो में राहुल गांधी खुद कारीगरों के साथ मिलकर गरमा-गरम इमरती और बेसन के लड्डू बनाते हुए दिख रहे हैं. 

राहुल गांधी का यह दौरा सिर्फ एक नेता का दुकान पर आना नहीं है, बल्कि यह 200 साल से ज्यादा पुरानी एक ऐसी विरासत से जुड़ना है, जिसका इतिहास सीधे मुगल काल से जुड़ा हुआ है.

जब बादशाह ने दिया 'घंटेवाला' नाम

'घंटेवाला' नाम सुनते ही जहन में सवाल आता है कि आखिर एक मिठाई की दुकान का नाम 'घंटेवाला' क्यों पड़ा? इसके पीछे दो बड़े ही दिलचस्प और मशहूर किस्से हैं.

इस दुकान की शुरुआत 1790 में लाला सुख लाल जैन ने की थी.

पहला किस्सा यह है कि इस दुकान के सबसे बड़े फैन कोई और नहीं, बल्कि खुद मुगल बादशाह शाह आलम द्वितीय थे. कहा जाता है कि बादशाह इस दुकान से इतने खुश थे कि उन्होंने इसे "घंटे के नीचे वाली दुकान" कहकर पुकारा, क्योंकि यह एक बड़े घंटे के पास थी. धीरे-धीरे यही नाम बदलकर 'घंटेवाला' हो गया.

दूसरा किस्सा दुकान के संस्थापक लाला सुख लाल जैन से जुड़ा है. शुरुआती दिनों में, लाला सुख लाल जैन अपनी ताजा मिठाइयां बेचने के लिए चांदनी चौक की गलियों में घंटी बजाकर घूमते थे. लोग उन्हें मिठाई वाले के नाम से नहीं, बल्कि घंटी बजाने वाले के नाम से पहचानने लगे, और इस तरह दुकान का नाम 'घंटेवाला' पड़ गया.

मुगल बादशाहों से लेकर नेहरू और राजीव गांधी तक की थी पसंद

यह दुकान सिर्फ अपने नाम की वजह से नहीं, बल्कि अपनी लाजवाब मिठाइयों के लिए भी मशहूर थी. घंटेवाला की सबसे खास पहचान थी यहां का सोहन हलवा, जिसका स्वाद दिल्ली की कई पीढ़ियों ने चखा है.

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इस दुकान ने मुगल बादशाहों का दौर देखा, अंग्रेजों का राज देखा और आजाद भारत का इतिहास भी देखा. पुराने दौर में यह दुकान भारतीय और ब्रिटिश दोनों तरह के ग्राहकों के बीच बहुत लोकप्रिय थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और उनके बेटे राजीव गांधी भी इस दुकान के खास ग्राहकों में शामिल थे. यानी, यह दुकान केवल मिठाई नहीं बेचती थी, बल्कि भारतीय राजनीति और इतिहास के बड़े-बड़े पलों की गवाह भी रही है.

2015 में हुआ बंद, 2024 में हुई शानदार वापसी

इतनी शानदार विरासत वाली इस दुकान पर एक वक्त ऐसा आया जब इसकी चमक फीकी पड़ने लगी. घटती बिक्री और कुछ कानूनी मुश्किलों की वजह से घंटेवाला स्वीट शॉप को 2015 में बंद करना पड़ा. इस खबर ने मिठाई प्रेमियों और दिल्ली के इतिहास से प्यार करने वाले लोगों को मायूस कर दिया था.

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लेकिन, नवंबर 2024 में, इस ऐतिहासिक दुकान को एक बार फिर से खोल दिया गया. इस बार, नई पीढ़ी ने दुकान की बागडोर संभाली है, जिसने पारिवारिक विरासत को संभालते हुए इसे एक नया और मॉडर्न रूप दिया है.

राहुल गांधी का यहां आना और खुद इमरती बनाना इस बात का सबूत है कि घंटेवाला सिर्फ एक दुकान नहीं, बल्कि दिल्ली की एक ऐसी जीवित विरासत है, जिसका स्वाद और जिसका इतिहास दोनों ही हमेशा ताजा रहेंगे.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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