Basoda 2025 : हर साल होली के ठीक बाद, जब रंगों का त्योहार समाप्त होता है, तब शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami Kab Hai) या बसोड़ा का पर्व आता है. यह एक ऐसा खास दिन है जब शीतला माता की पूजा होती है और भक्त उन्हें बासी भोजन का भोग (Basoda Bhog) अर्पित करते हैं. हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है और यह माना जाता है कि शीतला माता का पूजन (Sheetla mata Puja) करने से व्यक्ति को बीमारियों से छुटकारा मिलता है और वह स्वस्थ रहता है. आइए जानते हैं इस साल बासोड़ा कब है(Basda kab hai), इसकी महत्ता और इस दिन से जुड़ी खास परंपराओं के बारे में.
बसोड़ा 2025 कब है? तारीख और शुभ मुहूर्त (Basoda Kab Ka Hai | Basoda 2025 Date Shubh Muhurat)
बसोड़ा का महत्व | Basoda Kyu manaya jaata hai
बसोड़ा का पर्व शीतला अष्टमी या शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है. इसे शीतला माता की पूजा के दिन के रूप में भी जाना जाता है. इस दिन विशेष रूप से बासी खाने का भोग अर्पित किया जाता है. शीतला माता का पूजन करने का उद्देश्य आरोग्य की प्राप्ति और बीमारियों से मुक्ति प्राप्त करना है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शीतला माता की पूजा करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
एक दिन पहले बनाते हैं भोजन | Basoda Me Kya Hota Hai
शीतला माता की पूजा के लिए विशेष रूप से एक दिन पहले रात को घर में पकवान तैयार किए जाते हैं. इसके बाद बसोड़ा के दिन इन बासी पकवानों का भोग शीतला माता को अर्पित किया जाता है. इस दिन घर का चूल्हा नहीं जलता और कोई ताजा खाना नहीं पकाया जाता, जिससे शीतला माता की पूजा का महत्व और भी बढ़ जाता है. यह दिन बासी खाने के सेवन के बारे में एक जरूरी संदेश देता है, जिससे सिखने को मिलता है कि समय के साथ हर चीज का सही इस्तेमाल करना चाहिए.
बासी प्रसाद क्यों?
शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन का भोग अर्पित करने का विशेष कारण यह है कि इस दिन से गर्मियों की शुरुआत होती है और घर के चूल्हे का इस्तेमाल बंद कर दिया जाता है. इसलिए, बासी भोजन ही इस दिन का मुख्य प्रसाद होता है. बासी खाने का सेवन करने से यह मान्यता जुड़ी है कि शरीर को ठंडक मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है. हालांकि, इस दिन के बाद गर्मियों में बासी भोजन से स्वास्थ्य संबंधित खतरे हो सकते हैं, इसलिए इसे विशेष रूप से इस पर्व से जोड़कर देखा जाता है.
कब हैं शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी
शीतला सप्तमी 2025 में 21 मार्च, शुक्रवार को मनाई जा रही है. इसका समय सुबह 2 बजकर 45 मिनट से लेकर 4 बजकर 23 मिनट तक होगा. इस दिन शीतला माता की पूजा का मुहूर्त सुबह 5:37 से 6:40 बजे तक है. वहीं, शीतला अष्टमी 22 मार्च, शनिवार को होगी, जिसका समय सुबह 4:23 से लेकर 23 मार्च, रविवार को सुबह 5:23 बजे तक रहेगा. इन दोनों तिथियों में से कोई भी तिथि जो व्यक्ति के लिए सुविधाजनक हो, उसे पूजा करने के लिए चुना जा सकता है.
बसोड़ा के पारंपरिक व्यंजन | Basoda Festival Recipes | Basoda Me Kya Kya Banta Hai
1. बाजरे की राबड़ी
सामग्री-
- बाजरे का आटा - 2 बड़े चम्मच
- दही - 1/2 कप
- अजवाईन - 1/8 छोटा चम्मच
- जीरा - 1/8 छोटा चम्मच
- नमक - स्वाद अनुसार
- भुना जीरा पाउडर - 1 चुटकी
विधि-
1. सबसे पहले दही को पानी के साथ फेंट लें.
2. अब इसमें नमक, जीरा और अजवायन डालें और बाजरे के आटे में मिलाकर अच्छी तरह फेंटें.
3. पैन में मिश्रण डालें और 5-7 मिनट तक चलाते रहें जब तक यह गाढ़ा न हो जाए.
4. फिर 1 कप पानी डालें और इसे पकने दें. बाद में भुना जीरा पाउडर डालें और सर्व करें.
2. मीठा पुआ
सामग्री-
- गेहूं का आटा - 500 ग्राम
- गुड़ - 200 ग्राम
- तिल - 2 बड़े चम्मच
- रिफाइंड तेल - 3 कप
- दूध - 2 1/2 कप
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विधि-
1. गुड़ और दूध को अच्छे से मिलाकर घोल तैयार करें.
2. इसमें आटा डालकर गाढ़ा घोल तैयार करें. फिर 15 मिनट के लिए इसे ढक कर सेट होने दें.
3. एक कढ़ाई में तेल गर्म करें और इस घोल से छोटे-छोटे पुए तलें.
4. तले हुए पुएं तेल से निकालकर उन्हें सोखने के लिए कागज पर रखें. फिर गरमागरम सर्व करें.
3. शाही मीठे चावल
सामग्री-
- बासमती चावल - 1 कटोरी
- शक्कर - 1 से डेढ़ कटोरी
- इलायची पाउडर - 1/2 चम्मच
- केसर - 5-7 लच्छे
- मीठा पीला रंग - 1 चुटकी
- घी - 1 चम्मच
- मेवे और किशमिश - सजावट के लिए
विधि-
1. चावलों को धोकर पानी में भिगोकर उबाल लें.
2. फिर चाशनी बना कर चावलों में डालें.
3. इसमें इलायची पाउडर, रंग और घी डालकर अच्छे से मिला लें.
4. मेवे और किशमिश डालकर शाही मीठे चावल तैयार करें.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)