फिल्म इंडस्ट्री में बॉलीवुड को पछाड़ दक्षिण ने लहराया परचम

इस बारे में पिछले साल एसबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में भी बॉलीवुड के पिछड़ने के कारणों कंटेंट को प्रमुखता से बताया था. यानी बॉलीवुड के कंटेंट पर सवाल उठाया था.

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दक्षिण की फिल्म आरआरआर ने की शानदार कमाई.
नई दिल्ली:

पिछले कुछ सालों में हम देख रहे हैं कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री (Entertainment Industry) में जहां बॉलीवुड (Bollywood) का राज हुआ करता था उसे अब दक्षिण के फिल्म उद्योग (South Film Industry) ने पछाड़ दिया है. उत्तर भारत में हिंदी (Hindi movies) भाषी राज्यों में भी दक्षिण के स्टार्स अपनी पकड़ और पहचान बना चुके हैं. यह पकड़ केवल बॉलीवुड की खराब फिल्मों की वजह से नहीं है बल्कि हिंदी में डब होकर आ रही दक्षिण की फिल्मों (Hindi Dubbed South Films) की वजह से भी है. दक्षिण की फिल्में पहले ही लोगों के घरों में पहुंच गई थीं और दक्षिण के स्टार्स (Stars of South Film industry) को उत्तर भारत (Bollywood Stars) के राज्यों में पहुंचा दिया था. इन जगहों पर कभी बॉलीवुड बादशाह हुआ करता था लेकिन, अब अपनी शान और चमक खो चुका है. बिना आंकड़ों के बात की जाती तो शायद कोई भी इसे खारिज कर देता लेकिन, अब यह सीआईआई की रिपोर्ट (CII Report on Bollywood) में भी सामने आया है. 

दक्षिण की फिल्मों की कमाई

भारतीय उद्योग परिसंघ Confederation of Indian Industry (सीआईआई CII) की एक रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग की कमाई साल-दर-साल लगभग दोगुना होकर 2022 में 7,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है. यह कमाई भारतीय फिल्म उद्योग के राजस्व का 52 प्रतिशत है. 

सीआईआई की इस रिपोर्ट के अनुसार, तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम सहित दक्षिण भारतीय फिल्म उद्योग का राजस्व 2022 में लगभग दोगुना होकर 7,836 करोड़ रुपये हो गया, जो 2021 में 3,988 करोड़ रुपये था. 2022 में भारतीय फिल्म उद्योग का राजस्व 15,000 करोड़ रुपये आंका गया है. 

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दक्षिण भारत के एंटरटेनमेंट के बाजार में तमिल फिल्म उद्योग राजस्व में 2,950 करोड़ रुपये के साथ सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद तेलुगु (2,500 करोड़ रुपये), कन्नड़ (1,570 करोड़ रुपये), और मलयालम (816 करोड़ रुपये) का स्थान है.

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रिपोर्ट में बताया गया है कि तमिल और तेलुगु फिल्म उद्योग कुछ साल पहले दक्षिण भारतीय फिल्म व्यवसाय पर हावी थे, लेकिन 2022 में अन्य भाषाओं में भी कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों की रिलीज हुईं जिसके बाद यह सब बदल गया.

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कांतारा और KGF ने किया कमाल

रिपोर्ट में कहा गया है, "कन्नड़ फिल्में 'केजीएफ : चैप्टर 2' और 'कांतारा' ने इतने शानदार बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की कल्पना भी नहीं की होगी जितनी कमाई इन फिल्मों ने की है.

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जबकि मलयालम सिनेमा ने घरेलू और विदेशी दोनों जगहों पर अच्छी तरह से पकड़ बनाई और कन्नड़ सिनेमा के बाजार के दायरे को नया आयाम दिया."

RRR की शानदार कमाई

रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्देशक एसएस राजामौली की आरआरआर (RRR) ने अकेले तेलुगु सिनेमा के लिए बॉक्स ऑफिस पर 1,200 करोड़ रुपये कमाए, कमल हासन की विक्रम और मणिरत्नम की पोन्नियिन सेल्वम (भाग 1) की बैक-टू-बैक हिट ने तमिल सिनेमा संग्रह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया.

फिल्म उद्योग का राजस्व घरेलू थियेटर राजस्व, अन्य राज्य थियेटर राजस्व, विदेशी थियेटर राजस्व, सैटेलाइट राइट्स , डिजिटल या ओटीटी राइट्स, और अन्य भाषा डबिंग राइट्स सहित कई धाराओं से आय जोड़कर प्राप्त किया गया है. जबकि तेलुगु सिनेमा ने 850 करोड़ रुपये में सबसे ज्यादा स्टेट थिएटर से राजस्व हासिल किया है, तमिल सिनेमा ने क्रमशः 807 करोड़ रुपये और 580 करोड़ रुपये राजस्व के साथ ओटीटी और सैटेलाइट राइट के मामले में सबसे ज्यादा राजस्व हासिल किया है.

दक्षिण कर रहा ज्यादा फिल्में

सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में थिएटर और ओटीटी दोनों प्लेटफार्मों को मिलाकर चार दक्षिण भारतीय भाषाओं में कुल 916 फिल्में रिलीज हुईं. दिलचस्प बात यह है कि मलयालम सिनेमा में सबसे ज्यादा 259 फिल्में रिलीज हुईं, इसके बाद तेलुगु (227), तमिल (225) और कन्नड़ (207) का नंबर आता है.

कमाई के मामले पर एसबीआई की रिपोर्ट

खैर बात कमाई की हो रही है तो बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों की कमाई के मामले पिछड़ने पर पिछले साल एसबीआई ने एक रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट में कई बातों रखी गई थीं. रिपोर्ट में कमाई के साथ साथ बॉलीवुड के पिछड़ने के कारणों पर भी गौर किया गया था.

बॉलीवुड के पिछड़ने का कारण

बता दें कि इससे पहले भी बॉलीवुड के नीचे जाने के मामले के ऊपर कई बार चर्चाएं हो चुकी हैं. इसके कारण भी तलाशने के प्रयास हुए हैं. कुछ प्रमुख कारणों में खराब सामग्री, सिंगल-स्क्रीन थिएटरों में गिरावट, हिंदी फिल्मों पर मनोरंजन कर, जनसांख्यिकी में अंतर और डिजिटल स्ट्रीमिंग के नए विकल्प (OTT) बताए गए हैं. 

कंटेंट में सुधार जरूरी

इस बारे में पिछले साल एसबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में भी बॉलीवुड के पिछड़ने के कारणों कंटेंट को प्रमुखता से बताया था. यानी बॉलीवुड के कंटेंट पर सवाल उठाया था. एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि आंकड़े स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि हाल में रिलीज़ हुई बॉलीवुड फिल्मों की सामग्री गुणवत्ता में गिरावट आई है. एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2021 से जारी 43 बॉलीवुड फिल्मों की औसत आईएमडीबी रेटिंग सिर्फ 5.9 थी, जो 18 हिंदी डब फिल्मों की 7.3 रेटिंग से काफी कम थी.

IMDB रेटिंग

रिपोर्ट कहती है कि केवल सामग्री की गुणवत्ता सीधे तौर पर फिल्म की लोकप्रियता से संबंधित नहीं है. रिपोर्ट कहती है कि केवल एक प्वाइंट आईएमडीबी का रेवेन्यू के लिहाज से 17 करोड़ का फर्क डाल देता है.

बॉलीवुड में कम फिल्मों का निर्माण

एसबीआई की रिपोर्ट में एक बात का और खुलासा होता है. रिपोर्ट कहती है कि खराब कलेक्शन के पीछे एक और कारण है. वह है कि कम कलेक्शन के डर से बॉलीवुड भी 2021 के बाद से कम फिल्में रिलीज कर रहा है. कोरोना से पहले बॉलीवुड करीब 70-80 फिल्में एक साल में रिलीज कर रहा था जो कि 3000-5500 करोड़ रुपये की कमाई करती थीं.

एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2021 से 11 अगस्त 2022 तक कुल 61 फिल्में हिंदी भाषा (मूल +दक्षिण / हिंदी में डब की गई अंग्रेजी) में रिलीज की गई हैं. इन 61 फिल्मों ने केवल 3,200 करोड़ रुपये कमाई की.

महंगे टिकट और टैक्स का असर

एसबीआई की रिपोर्ट बताती है कि सिंगल-स्क्रीन सिनेमा हॉल में मल्टीप्लेक्स के बढ़ने से भी टिकटों की कीमत काफी बढ़ गई है, जिससे फिल्म देखने वाले कुछ निराश हैं जिसका असर सीधा नजर आ रहा है. दिलचस्प बात यह है कि सिंगल स्क्रीन की मौजूदगी दक्षिण में कहीं अधिक है. रिपोर्ट बताती है कि यह दक्षिण सिनेमा के लिए एक वरदान साबित हो रहा है. 

एसबीआई की रिपोर्ट ने हिंदी फिल्मों के पिछड़ने की एक वजह फिल्मों पर लग रहे टैक्स को भी बताया है. हिंदी फिल्मों पर ऊंची दर से मनोरंजन कर भी टिकट की कीमतों को बढ़ा रहा है. 

दक्षिण के लोगों में सिनेमा हॉल में फिल्में देखने का चलन

एसबीआई की रिपोर्ट यह भी दावा करती है कि आबादी का मेल भी दक्षिण का पक्ष में है. दक्षिण में अभी भी  सिनेमा देखने वाले लोगों की संख्या अधिक है, जबकि उत्तर में आबादी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर फिल्में देखने के लिए अधिक इच्छुक हैं.
स्ट्रीमिंग के लिए ओटीटी प्लेटफॉर्म तेजी से बढ़ रहे हैं. कोरोना काल में ओटोटी ने तेजी से अपना विस्तार किया. अब निर्माता ओटीटी के लिहाज से भी कंटेंट तैयार करने को प्राथमिकता दे रहे हैं. 

बदल सकता है परिदृश्य

रिपोर्ट में बताया गया कि बड़ी हिंदी रिलीज़ की कमी के बावजूद, 2022 के पहले आठ महीनों में देशभर में बॉक्स-ऑफिस कलेक्शन क्रमशः 2021 और 2020 में 917 करोड़ रुपये और 717 करोड़ रुपये की तुलना में 2,299 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है. जबकि बॉलीवुड महामारी के वर्षों के बाद कुछ रिकवरी दिखा रहा है. अभी भी 2019 के 5,200 करोड़ रुपये के कलेक्शन तक पहुंचने में कुछ दूरी है. उम्मीद की जा सकती है कि बॉलीवुड अपनी कमियों का आकलन करेगा और सुधार करेगा. समय के साथ चलने को सभी मजबूर होते हैं तो बॉलीवुड भी जल्द इसे समझ जाएगा और रफ्तार पकड़ेगा. ऐसी उम्मीद है.

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