कांटे की टक्कर से निर्विरोध चुने जाने तक, पढ़ें राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी 10 बड़ी बातें

देश के अगले राष्ट्रपति के लिए सोमवार को चुनाव होगा. वोटों की गिनती गुरुवार को होगी और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करेंगे.

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राष्ट्रपति भवन
नई दिल्ली:

Presidential Election 2022: देश के अगले राष्ट्रपति के लिए सोमवार को चुनाव होगा. वोटों की गिनती गुरुवार को होगी और 25 जुलाई को नए राष्ट्रपति शपथ ग्रहण करेंगे. इस बार द्रौपदी मुर्मू को एनडीए ने राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है, वहीं अन्य विपक्षी दलों ने यशवंत सिन्हा को प्रत्याशी चुना है. आइए जानते हैं कि देश में अब तक हुए राष्ट्रपति चुनावों की रोचक बातें.

  1. 1950 में भारत के गणतंत्र बनने के बाद से चौदह लोगों को भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुना गया है, जिनमें से 12 लोगों ने अपना पांच साल का पूरा कार्यकाल पूरा किया है. पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद अब तक इस पद के लिए फिर से चुने जाने वाले इकलौते शख्स हैं.  
  2. राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान जाकिर हुसैन और फखरुद्दीन अली अहमद का निधन हो गया था. उल्लेखनीय है कि दोनों तीन साल से कम इस पद पर रहे. जाकिर हुसैन की मृत्यु 3 मई 1969 को हुई थी, जबकि फखरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु 11 फरवरी 1977 को हुई. 
  3. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का कार्यकाल सबसे लंबा था. उनका कार्यकाल 12 साल और 107 दिनों का रहा. 1952 और 1957 के चुनावों में उन्हें रिकॉर्ड अंतर से फिर से चुना गया था. इससे पहले प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे. 
  4. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद हिदायतुल्ला ने 1969 में 35 दिनों के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. जाकिर हुसैन की मृत्यु के बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरी ने कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए तीन महीने से भी कम समय में इस्तीफा दे दिया. हिदायतुल्ला ने 24 अगस्त, 1969 को गिरि के राष्ट्रपति बनने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. हिदायतुल्ला ने बाद में 1979 से 1984 के बीच उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया.
  5. नीलम संजीव रेड्डी को 36 अन्य उम्मीदवारों के नामांकन पत्र खारिज होने के बाद निर्विरोध राष्ट्रपति चुना गया. इस प्रकार, 1977 में कोई राष्ट्रपति चुनाव नहीं हुआ. दिलचस्प बात यह है कि रेड्डी 1969 के चुनाव में कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार थे, लेकिन वीवी गिरी से हार गए.
  6. एस राधाकृष्णन 1962 में राष्ट्रपति बनने वाले पहले उपराष्ट्रपति थे. जाकिर हुसैन और वीवी गिरी - दोनों उपराष्ट्रपति थे जो क्रमशः 1967 और 1969 में राष्ट्रपति बने. आर वेंकटरमन तीन साल उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा करने के बाद 1987 में राष्ट्रपति चुने गए. उनके उत्तराधिकारी शंकर दयाल शर्मा ने भी उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया. शर्मा के समय उपराष्ट्रपति केआर नारायणन ने 1997 में शीर्ष पद पर कब्जा किया था. 
  7. एस राधाकृष्णन के अधीन उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा करने के बाद 1967 में जाकिर हुसैन राष्ट्रपति बने. हालांकि कार्यकाल के दौरान उनका निधन हो गया. जाकिर हुसैन दो साल से भी कम समय के लिए पद पर रहे. हुसैन का राष्ट्रपति कार्यकाल भारत के इतिहास में सबसे छोटा है.
  8. फखरुद्दीन अली अहमद का फरवरी 1977 में निधन होने के बाद उपराष्ट्रपति बीडी जत्ती ने पांच महीने से अधिक समय तक के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला. कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई और उनकी मंत्रिपरिषद को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई.
  9. भारत का सबसे दिलचस्प राष्ट्रपति चुनाव 1969 में लड़ा गया था, जब आधिकारिक कांग्रेस उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी निर्दलीय वीवी गिरी से हार गए थे. गिरी को इंदिरा गांधी का मौन समर्थन था. स्वविवेक के आधार पर वोटिंग के आह्वान के तहत कांग्रेस सांसदों, वामपंथियों और कम्युनिस्टों के सहयोग ने गिरि को 17 में से 11 राज्य विधानसभाओं में मदद की. हालांकि गिरि को पहली वरीयता के महज 48 फीसदी वोट मिले. अन्य आधिकारिक उम्मीदवार पूर्व वित्त मंत्री सीडी देशमुख थे, जिन्होंने एक लाख से कुछ अधिक वोट हासिल किए. 
  10. डॉ. राजेंद्र प्रसाद को 1957 के चुनाव में 98.99 प्रतिशत वोट मिले, जो अब तक सर्वाधिक है. अगले चुनाव में एस राधाकृष्णन ने 98.25 प्रतिशत वोट हासिल किए और सर्वाधिक वोट प्रतिशत की लिस्ट में दूसरे स्थान पर रहे. हालिया दौर में केआर नारायणन ने करीब 95 प्रतिशत वोट हासिल किए, जब शिवसेना को छोड़कर सभी प्रमुख दलों ने उनका समर्थन किया. 
     
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