वित्त मंत्री ने देश के शीर्ष आर्थिक अधिकारियों के साथ अर्थव्यवस्था पर रोडमैप पेश किया
देश की अर्थव्यवस्था पर चौतरफा हमला झेल रही केंद्र सरकार ने आज दावा किया है कि भारत की अर्थव्यवस्था का ढांचा मजबूत है और हर चुनौती से निपटने में सक्षम है. वरिष्ठ आर्थिक विशेषज्ञों के साथ मीडिया से मुखातिब होते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि भारत पिछले तीन सालों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन रहा है. उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और जीडीपी की वृद्धि सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ रही है. वित्त मंत्री ने देश का आर्थिक रोडमैप पेश करते हुए कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को उभरने के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया जाएगा. सरकार ने यह भी कहा कि अगले पांच सालों में 83,677 किलोमीटर के राजमार्गों का निर्माण "अधिक रोजगार, अधिक विकास" बनाने के लिए किया जाएगा.
- अरुण जेटली ने कहा, 'जब संरचनात्मक सुधार होता है, तो उसमें कुछ अस्थाई रुकावटें भी आ सकती हैं. लेकिन इससे मध्यम और दीर्घ अवधि में बहुत अधिक लाभ होता है.'
- वित्त मंत्री के साथ देश के शीर्ष अर्थशास्त्रियों ने देश की अर्थव्यवस्था का रैडमैप पेश किया. आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि वास्तविक जीडीपी विकास की औसत दर पिछले तीन वर्षों में 7.5 फीसदी रही है. उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के संकेत बता रहे हैं कि बुरा दौर खत्म हो गया है और अब हम उच्च विकास के रास्ते पर चल रहे हैं. अगली की तिमाहियों में आर्थिक विकास दर में वृद्धि जारी रहेगी.
- सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि मुद्रास्फीति कम है. महंगाई काबू में है. विदेशी मुद्रा का भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक पर पहुंच गया है. विदेश प्रत्यक्ष निवेश लगातार जारी है और इसके साथ ही सरकार राजकोषीय घाटे पर लगातार नज़र रखे हुए है.
- उन्होंने बताया कि भारत का चालू खाता घाटा नियंत्रण में है. यह फिलहाल सेफ जोन में है और 2 फीसदी से नीचे है. यह सब नोटबंदी के कारण संभव हुआ है.
- वित्त सचिव अशोक लवासा ने बुनियादी ढांचे पर सरकार के खर्च पर "अधिक रोजगार, अधिक विकास पैदा करने" नाम से एक प्रस्तुति दी, जिसमें बताया गया है कि अगले पांच वर्षों में करीब 7 लाख करोड़ रुपये की लागत से 83,677 किलोमीटर की राजमार्गों का निर्माण होगा. उन्होंने कहा कि इस योजना से 14 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार पैदा होगा.
- सराकर की आर्थिक नीतियों को एक ऐसे समय में पेश किया गया है, जहां आर्थिक मंदी की दुहाई देते हुए सरकार पर चौतरफा हमले हो रहे हैं. हमलावरों में खुद सरकार के सहयोगी भी हैं. हमलावरों ने आर्थिक मंदी के लिए जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है.
- देश के आर्थिक हालात को कांग्रेस ने चुनावी हथियार बनाया है. इस साल गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक रणनीति बनाकर सरकार को इस मुद्दों पर चुनावों में घेरने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल का हर भाषण में अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी का उल्लेख अहम रहता है.
- जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन्हीं आर्थिक नीतियों को लेकर सरकार की उपलब्धियां गिना रहे हैं. उन्होंने अर्थव्यवस्था पर प्रहार करने वालों को निराशावाद फैलाने वाले बताया है.
- गुजरात में गैरव महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आर्थिक सुधार का फैसला अकेले खुद उनका फैसला नहीं है. देश की 30 पार्टियों के साथ सलाह करके जीएसटी को लागू किया गया है. खुद कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में जीएसटी की शुरूआत की थी और जब भाजपा ने उसे लागू कर दिया तो अब उसी जीएसटी में कांग्रेस को खामियां नज़र आ रही हैं. उन्होंने कहा कि आर्थिक सुधारों पर कुछ लोग झूठ फैलाने का काम कर रहे हैं.
- इस महीने की शुरुआत में, वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी परिषद पर राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ मुलाकात की और कई मदों पर दरों में बदलाव भी किए थे. इनमें खाने-पीने की वस्तुओं समेत कई मदों में करों की दरों में बदलाव किए थे. इनमें खासतौर से गुजरात में तैयार होने वाला खाकरा और हाथ से बनाया जाने वाला धागा शामिल है. इस पर आलोचकों का कहना था कि सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखते हुए इन वस्तुओं पर कर की दरें कम की हैं.
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