दिवाली पांच दिनों का पर्व है. दिवाली के दो दिनों बाद यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यम द्वितीया (Yama Dwitiya 2021) मनाई जाती है. वहीं इस दिन भाई-बहन का त्योहार भाई दूज भी मनाया जाता है. यम द्वितीया पर कायस्थ समाज के बंधु भगवान चित्रगुप्त की पूजा करते हैं. मान्यता है कि इस दिन वे कलम व दवात का प्रयोग नहीं करते. इस बार 6 नवंबर यानि आज (शनिवार) यम द्वितीया पड़ रही है.
पूजन से पहले यमुना स्नान है शुभ
यम द्वितीया की पूजा के लिए प्रात: काल का समय श्रेष्ठ माना जाता है. श्रद्धालु सूर्योदय से ही पूजन आरंभ कर देते हैं. मान्यता ये भी है कि आज के दिन यम द्वितीया की पूजा करने से पहले यमुना स्नान करना शुभ होता है. वहीं आज के दिन स्नान के बाद यम देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य भी दिया जाता है. वहीं आज के दिन को भाई दूज या फिर भ्रातृ द्वितीया नाम से भी जाना जाता है. आज के दिन बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं और फिर आरती करती हैं, जिसके बाद भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं. इस तरह भाई-बहन का ये पर्व प्रतिवर्ष मनाया जाता है.
यम द्वितीया का महत्व
यम द्वितीया को भाई दूज के नाम से भी जाना जाता हैं. दरअसल, पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि एक बार यम देव अपनी बहन यमुना या यामी से मिलने गए. बहन ने आरती कर भाई का स्वागत किया. यम देव के माथे पर तिलक लगाकर बहन ने उन्हें मिठाई खिलाई और फिर बढ़िया भोजन कराया. यमराज, बहन के इस स्वागत से खूब खुश हुए और बहन को उपहार देते हुए इस बात की घोषणा की कि इस दिन जो भी भाई अपनी बहन से मिलने जाएंगे, बहने उनका आरती और तिलक कर स्वागत करें, इससे भाई सभी तरह की बुरी ताकतों से बचेंगे और उनका कल्याण होगा. तभी से इस दिन भाई-बहन का ये प्यारा त्योहार मनाया जाने लगा.
शुभ मुहूर्त
इस बार भाई दूज 6 नवंबर यानि आज मनाया जा रहा है. 6 नवंबर यानि आज (शनिवार) दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से 3 बजकर 22 मिनट तक बहनें अपने भाइयों को टीका लगा सकती है, ये सबसे शुभ मुहूर्त है. इस साल भाई के तिलक के लिए 2 घंटे, 12 मिनट समय मिलेगा.