Lord Shiva an Nandi : भगवान शिव की पूजा नंदी के बिना तो अधूरी है. उनके दर्शन करने से पहले आपको नंदी की प्रतिमा से पहले गुजरने होगा. नंदी को भगवान शिव का द्वारपाल माना जाता है. आप जब भी भोलेनाथ के दर्शन (Lord shiva) के लिए गए होंगे तो देखा होगा वह उनकी तरफ मुख करके ही बैठी होती हैं. इसके अलावा आपने भक्तों को देखा होगा शिव मंदिर में नंदी के कान में अपनी मन्नत कहते हैं. आखिर भगवान शिव और नंदी (relation between nandi and shiva) के बीच क्या रिश्ता है यह बात हम इस आर्टिकल के माध्यम से जानेंगे.
पौराणिक कथाओं के अनुसार जब असुरों और देवताओं के बीच लड़ाई हुई तो भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए विष पी लिया था. इस दौरान विष की कुछ बूंदें धरती पर गिर गई थीं, जिसको नंदी ने चाट लिया था. जिसके बाद भगवान शंकर ने उसे सबसे बड़े भक्त की उपाधि दे दी थी. साथ ही उन्होंने कहा कि जो भी मेरे दर्शन के लिए आएगा उसको सबसे पहले नंदी से गुजरना होगा, तब से ही नंदी भगवान शिव की द्वारपाल के रूप में उनके साथ रहती है. यही कारण है कि हर शिव मंदिर में नंदी को जरूर स्थापित किया जाता है जिसका मुख शिव की तरफ होता है.
नंदी का मुख शिव की ओर होने का एक और मतलब होता है कि अगर आपकी शरीर का ध्यान आत्मा की ओर होगा तभी आपका चरित्र और व्यवहार पवित्र हो सकेंगे. मतलब आपको मन से साफ होना होगा. आपको समय समय पर खुद का आकलन करते रहना चाहिए, ताकि आप बेहतर हो सके. भगवान शिव की तरह ही आपको भी परोपकारी बनना चाहिए. जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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