Chhath puja significance : भले ही देश में आज भी जाति को लेकर भेदभाव देखने को मिल जाए, लेकिन छठ ऐसा पर्व है, जिसमें जाति के सारे बंधन टूट जाते हैं. 'सूप-डाला' बनाने वाले लोग, किसान, फल सब्जी बेचने वाला दुकानदार, सड़क और घाटों की सफाई करने वाले लोग सबकी अहम भूमिका होती है. यही नहीं, लोकआस्था का महापर्व हिंदू-मुस्लिमों के बंधन को मजबूत करने का काम करता है. पटना में ही मुस्लिम समुदाय की महिलाएं दशकों से मिट्टी के चूल्हे बना रही हैं. इसी चूल्हे पर पूजा का प्रसाद तैयार किया जाता है. खास बात ये कि चूल्हा बनाने वाली महिलाएं महीने भर तक लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन त्याग देती हैं. इसलिए छठ को लोकपर्व कहा जाता है.
आपको बता दें कि छठ महापर्व में सूर्य और उनकी बहन छठी मैया की पूजा होती है जो बच्चों के लालन-पालन की देवी मानी जाती हैं. सूर्य आरोग्य के देवता भी माने जाते हैं तो इस तरह घर परिवार की सुख समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य के लिए छठ उत्सव मनाया जाता है. हिंदू सनातन धर्म में जप और तप का महत्वपूर्ण स्थान है. जप जिसे मंत्रोच्चार से संभव बनाया जाता है तप वो जिसमें शारीरिक कष्ट सहकर ईश्वर की आराधना की जाती है. छठ इसी तप का नाम है. जिसमें हर जाति वर्ग के लोग तप करते हैं अर्घ्य देने के लिए या फिर मंत्रोच्चारण के लिए किसी पुरोहित की जरूरत नहीं होती बल्कि शुद्ध भाव से भगवान भास्कर को दूध या जल अर्पित कर देते हैं.
4 दिनों तक चलने वाला छठ का पर्व इस साल 5 से 8 नवंबर तक चलेगा. जिसमें मुख्य छठ पूजा 7 नवंबर यानी षष्ठी तिथि को होगी. इस साल षष्ठी तिथि 12:41 बजे से शुरू होकर 8 नवंबर की मध्य रात्रि तक रहेगी. ऐसे में शाम का अर्घ्य देने का मुहूर्त 7 नवंबर 5 बजकर 29 मिनट पर सुबह का अर्घ्य देने का मुहूर्त 8 नवंबर को 6 बजकर 37 मिनट तक है.