Puja tips : मंदिर में बाल खोलकर क्यों नहीं जाते हैं, यहां जानिए इसके पीछे की ठोस वजह

Open hair in temple : महिलाएं पवित्र स्थल पर आखिर बाल खोलकर क्यों नहीं जाती हैं, यह ख्याल मन में जरूर आता होगा, तो आज इस लेख में हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं.

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मान्यता है कि बाल खोलकर रखना क्रोध का प्रतीक माना जाता है. इसे नकारात्मकता से जोड़कर देखा जाता है. 

Hair open in temple : आपने क्या कभी इस बात पर गौर किया है कि महिलाएं मंदिर में बाल खोलकर प्रवेश नहीं करती हैं. अगर बाल खुले होते हैं तो सिर को पल्लू या दुपट्टे से ढ़क लेती हैं. महिलाएं पवित्र स्थल पर आखिर बाल (open hair in temple) खोलकर क्यों नहीं जाती हैं, यह ख्याल मन में जरूर आता होगा. तो आज इस लेख में हम आपको उसी के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि आप भी इसके पीछे का कारण जान सकें. 

मंदिर में क्यों नहीं बाल खोलकर जाते ?

  • ऐसी मान्यता है कि बाल खोलकर पूजा पाठ करने से पूरा ध्यान बाल के संवारने में रहता है. भगवान में ध्यान कम लगता है. इसलिए महिलाओं को मंदिर में या किसी कथा पूजा में बाल खोलकर बैठने से मना किया जाता है.

  • मान्यता है कि बाल (Hair) खोलकर रखना क्रोध (Anger) का प्रतीक (Symbol) माना जाता है. इसे नकारात्मकता से जोड़कर देखा जाता है. 

  • इसको लेकर एक और मान्यता है कि जब माता सीता का विवाह राम से हुआ तो उनकी माता सुनयना ने देवी सीता से कहा था अपने बालों को बांधकर रखना इससे रिश्ता मजबूत होता है. खुले बाल रिश्ते को कमजोर करते हैं.

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  • वहीं, पुराणों में यह भी जिक्र मिलता है कि जब माता कैकेयी कोप भवन में गई थीं तो उन्होंने अपने केस खोल दिए थे और रूदन करने लग गई थीं. इसलिए खुले बाल शोक और अमंगल के प्रतीक माने जाते हैं. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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