First sawan somwar 2025 : सावन में क्यों गए थे भोलेनाथ ससुराल, पढ़िए यहां इसकी रोचक पौराणिक कथा

Shiv katha : शिवमहापुराण में सावन (श्रावण मास) में भोलेनाथ के ससुराल जाने की कथा प्रसिद्ध है, जो धार्मिक आस्था, पौराणिक कथा और लोक मान्यता का सुंदर संगम है. आइए जानते हैं भोलेनाथ के ससुराल जाने की कथा पंडित अरविंद मिश्र से...

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
सावन की यह कथा यह भी दर्शाती है कि विवाह के बाद पति-पत्नी का प्रेम, समझ और साथ कितना महत्वपूर्ण होता है.

Shivpuran katha : श्रावण मास भगवान शिव को बहुत प्रिय है. इस महीने में उनकी पूजा, रुद्राभिषेक और व्रत करने का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि सावन में शिवलिंग पर जल अर्पण करने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है. यह वह समय होता है जब प्रकृति भी हरी-भरी होती है, और वातावरण शिवमय हो जाता है. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, सावन माह पांचवां महीना होता है, जो पूरे तरीके से शिव भक्ति के लिए समर्पित है. इस माह को लेकर कई लोक और पौराणिक कथाएं हैं, जिसमें से एक है श्रावण मास में शिव जी के ससुराल जाने का...

Sawan 2025 : सावन में जरूर करें शिव चालीसा का पाठ, मिलेंगे 4 बड़े लाभ! जानिए यहां

शिवमहापुराण में सावन (श्रावण मास) में भोलेनाथ के ससुराल जाने की कथा प्रसिद्ध है, जो धार्मिक आस्था, पौराणिक कथा और लोक मान्यता का सुंदर संगम है. आइए जानते हैं भोलेनाथ के ससुराल जाने की कथा पंडित अरविंद मिश्र से...

शिवमहापुराण और लोक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव का विवाह माता पार्वती से हुआ था, जो पर्वत राज हिमालय और मां मैना की पुत्री थीं. पार्वती जी का मायका यानी हिमालय पर्वत पर स्थित है. ऐसे में एक बार विवाह के बाद माता पार्वती ने इच्छा व्यक्त की कि वे अपने मायके जाना चाहती हैं. उन्होंने शिवजी से कहा कि वे भी उनके साथ चलें.

Advertisement

भगवान शिव स्वभाव से भोले और सरल हैं, तो उन्होंने माता पार्वती की भावना और प्रेम को समझते हुए उनकी बात मान ली और श्रावण मास के अवसर पर उनके साथ मायके गए. तभी से लोक परंपरा में यह मान्यता बन गई कि सावन में भगवान शिव माता पार्वती के साथ ससुराल जाते हैं.

सावन की यह कथा यह भी दर्शाती है कि विवाह के बाद पति-पत्नी का प्रेम, समझ और साथ कितना महत्वपूर्ण होता है. यह कथा पारिवारिक रिश्तों की सुंदर व्याख्या करती है. कैसे भगवान शिव जैसे तपस्वी भी पार्वती जी के स्नेहवश ससुराल जाने को तैयार हो जाते हैं. शिव–पार्वती का रिश्ता दर्शाता है कि त्याग और भक्ति में भी प्रेम और समझ जरूरी है.

Advertisement

सावन मास प्रेम, भक्ति, श्रद्धा और प्रकृति की सुंदरता से जुड़ा हुआ है. भगवान शिव जी अपनी पत्नी माता पार्वती से बहुत प्रेम करते थे. भगवान को माता पार्वती ने अपनी भक्ति, प्रेम से उनको साथ चलने को मना लिया था. अर्थात हम भगवान को अपनी भक्ति और प्रेम से खुश कर सकते हैं. 

Advertisement

भगवान शिव के ससुराल जाने की इस कथा एवं प्रकरण ने एक परम्परा का रूप धारण कर लिया है, जो आज भी समाज में प्रचिलत है. ब्रज क्षेत्र में तो लोग रक्षाबंधन पर अपनी ससुराल अपनी पत्नी को लेकर बूरा (शक्कर) खाने जाते हैं.

Advertisement

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Featured Video Of The Day
Himachal Cloudburst: हर साल आती है तबाही.. फिर भी अटल खड़ा है 600 साल पुराना ये मंदिर, कैसे?| Weather
Topics mentioned in this article