Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, जानिए पारण तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन-विधि

Mokshada Ekadashi 2022: मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा. इसके लिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है.

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Mokshada Ekadashi 2022: मोक्षदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है.

Mokshada Ekadashi 2022, Puja Muhurat, Pujan Vidhi: मोक्षदा एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. साल 2023 में मार्गशीर्ष मास की एकादशी तिथि 03 दिसंबर को पड़ रही है. ऐसे में इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 03 दिसंबर, शनिवार को रखा जाएगा. इस व्रत का फल मोक्ष प्रदान करने वाला माना गया है, इसलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से समस्त सांसारिक कष्ट दूर हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि दिसंबर 2022 में पड़ने वाली मोक्षदा एकादशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में.

मोक्षदा एकादशी पूजा मुहूर्त 2022 | Mokshada Ekadashi 2022 Puja Muhurat

मोक्षदा एकादशी तिथि आरंभ - 2 दिसम्बर 2022 को रात 5 बजकर 39 मिनट से शुरू

मोक्षदा एकादशी तिथि समाप्त - 3 दिसम्बर 2022 को रात 5 बजकर 34 मिनट तक

पारण का (व्रत तोड़ने का) समय - 4 दिसंबर 13:14 से 15:19 तक

वैष्णव मोक्षदा एकादशी- 4 दिसम्बर 2022, रविवार

वैष्णव एकादशी के लिए पारण का समय - 5 दिसंबर सुबह 06:59 से 09:04 तक

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मोक्षदा एकादशी पूजन विधि  | Mokshada Ekadashi Pujan Vidhi

मोक्षदा एकादशी के प्रात: स्नान आदि करके व्रत और विष्णु पूजा का संकल्प लेते हैं. इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को पूजा स्थान पर स्थापित करें. उनका पंचामृत से अभिषेक करें. फिर उनको चंदन, रोली लगाएं. पीले फूल, वस्त्र, अक्षत्, धूप, दीप, पान, तुलसी पत्र आदि अर्पित करें. भगवान विष्णु को खीर, केला, श्रीफल और केसर भात का भोग लगाएं. इनमें से जो उपलब्ध हो, उसे चढ़ा सकते हैं. उनके लिए एक घी का दीपक जलाएं और उसमें काला या सफेद डाल दें. इसके बाद विष्णु चालीसा, विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें. ​अब मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का श्रवण करें. एकादशी कथा के समापन के बाद भगवान विष्णु की विधिपूर्वक आरती करें. उसके बाद अपनी मनोकामना व्यक्त कर दें. प्रसाद लोगों में वितरित कर दें. पूरे दिन फलाहार करते हुए भगवत भजन करें और रात्रि प्रहर में जागरण करें. अगले दिन प्रात: स्नान आदि करके भगवान विष्णु की पूजा करें और पारण करके व्रत को पूरा करें. पारण से पहले द्वादशी को किसी गरीब या फिर किसी ब्राह्मण को दान भी दें. इस प्रकार मोक्षदा एकादशी व्रत का पूजन पूरा होता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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