Diya Ki Bati: किसी भी देवी-देवता की पूजा में हम दीपक (Puja Deepak) जलाते हैं. पूजा के आखिरी में भगवान की आरती की जाती है. इस दौरान रुई की बाती को घी में डुबाया जाता है. जब घी खत्म हो जाती है तो बाती बुझ जाती है. बाद में अधिकांश लोग बाती निकालकर फेंक देते हैं. लेकिन शास्त्रों (Shashtra) में जली हुई बाती का भी महत्व है. ऐसा कहा गया है कि जली हुई बाती में पॉजिटिव एनर्जी (Positive Energy) होती है, इसलिए बाती को कहीं फेंकने के बजाय पहले कुछ जरूरी बातों को जान लें. इस विषय में पंडित क्या कहते हैं जान लीजिए...
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जली हुई बाती का क्या करें?
- जली हुई बातियों को 10 दिन तक इकठ्ठा करें और 11वें दिन एक बड़े दीये में रख दें.
- सभी बातियों को लेकर कपूर और 4 लौंग जला दें, फिर इससे निकलने वाले धुंए को अपने घर में चारों ओर घुमा दें.
- अगले दिन इस दीये को छत पर रख दें और उसकी राख को एक डिब्बी में भर कर रख लें.
- किसी भी जरूरी काम में जाने से पहले इस राख का टीका लगा लें.
- बच्चों की नजर उतारने के लिए भी इस राख का इस्तेमाल कर सकते हैं. राख को सात बार घुमाने के बाद पेड़ों की मिट्टी में मिला दें.
- राख और दीपक की बाती को एक कपड़े में रख दें और एक हफ्ते बाद नदी में प्रवाहित कर दें. इससे ग्रहदोष से छुटकारा मिल जाता है.
- अगर आपको अक्सर अपने शत्रु से भय बना रहता है, तो बची हुई राख और बाती को हाथ में लेकर अपने शत्रु का नाम लें और दक्षिण दिशा की तरफ फेंक दें. इससे आपको लाभ मिल सकता है.
- राख और बाती को पेड़ के नीचे छिपाकर रख दें. इससे कर्ज से छुटकारा मिलने में मदद होगी. इसके अलावा शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है.
दीपक की बची बाती को दोबारा जलाएं या नहीं
कुछ लोग पुरानी बाती पर ही घी या तेल डालकर दोबारा दीपक जलाते हैं. ऐसा करना ठीक नहीं माना जाता है. जब हम भगवान के समक्ष दीप जलाते हैं और अगर दीपक धातु का है तो उसे धोकर साफ-सुथरा करके उसमें नई बाती के साथ जलाते हैं. बची हुई बाती को दोबारा जलाने से सकारात्मकता में कमी आती है.